संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (यूएनएचआरसी) ने मंगलवार को भारत के सर्वोच्च न्यायालय में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ पूरी तरह से अवैध याचिका दायर की। यूएनएचआरसी की वर्तमान अध्यक्ष चिली की पूर्व राष्ट्रपति सुश्री मिशेल बाचेलेट (68) हैं, जो स्पष्ट रूप से एक साम्यवादी (कम्युनिस्ट) है। वह चिली की सोशलिस्ट पार्टी की नेता थीं और 2014-2018 की अवधि के दौरान चिली की राष्ट्रपति थीं और कई राजनीतिक विरोधियों पर हमला करने और उन्हें दोषी करार देने में निर्मम थी, और इसके लिए उन्होंने सभी मानवाधिकार मानदंडों का उल्लंघन किया। खेदपूर्ण, अब वह यूएनएचआरसी की प्रमुख हैं। उनसे पहले, यूएनएचआरसी का नेता सऊदी अरब से था। सऊदी अरब और मानवाधिकार ??? ये बात हजम नहीं होती।
चिली की सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना प्रतिष्ठित कम्युनिस्ट नेता अल्लेंदे ने की है। भारत के डी राजा के नेतृत्व वाले सीपीआई और सीताराम येचुरी के नेतृत्व वाले सीपीआई (एम) अंतर्राष्ट्रीय कम्युनिस्ट नेटवर्क में सोशलिस्ट पार्टी ऑफ़ चिली का हिस्सा हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है और यह समझने के लिए अलौकिक बुद्धि की आवश्यकता नहीं है कि भारतीय कॉमरेड चिली से अपने कॉमरेड मिशेल बाचेलेट की सेवाओं का दुरुपयोग कर रहे हैं।
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भारतीय कम्युनिस्ट पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वीजा देने पर प्रतिबंध लगाने के लिए अमेरिका स्थित कम्युनिस्ट नेटवर्क के साथ संपर्क में थे, जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। कम्युनिस्ट नेताओं ने इस संबंध में अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा को एक ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी किए थे।
अब यूएनएचआरसी की प्रमुख मिशेल बाचेलेट ने सीएए के खिलाफ भारत के सर्वोच्च न्यायालय में अवैध रूप से एक याचिका दायर करके एक ज़बरदस्त उल्लंघन किया है। हमें उम्मीद है कि भारत सरकार मिशेल बाचेलेट को उचित जवाब देगी और संयुक्त राष्ट्र में मिशेल बेचेलेट के पद का दुरुपयोग करने का मुद्दा उठाएगी।
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