भारत जल्द ही चीनी दूरसंचार उपकरणों पर प्रतिबंध लगाएगा। दूरसंचार क्षेत्र हेतु राष्ट्रीय सुरक्षा निर्देश तैयार किये जायेंगे!

भारत चीनी दूरसंचार उपकरणों पर प्रतिबंध लगाने वाला है, विश्वसनीय स्रोतों की सूची बनाएगी!

1
821
भारत चीनी दूरसंचार उपकरणों पर प्रतिबंध लगाने वाला है, विश्वसनीय स्रोतों की सूची बनाएगी!
भारत चीनी दूरसंचार उपकरणों पर प्रतिबंध लगाने वाला है, विश्वसनीय स्रोतों की सूची बनाएगी!

राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए दूरसंचार क्षेत्र के लिए एक राष्ट्रीय सुरक्षा निर्देश नीति तैयार की गयी

बड़े पैमाने पर चीनी उपकरणों के उपयोग को रोकने के लिए, भारत ने दूरसंचार क्षेत्र में राष्ट्रीय सुरक्षा निर्देश पर एक नीति बनाने का फैसला किया है। इस नीति का उद्देश्य सेवा प्रदाताओं (सर्विस प्रोवाईडर) द्वारा उपकरणों की खरीद के लिए एक विश्वसनीय स्रोत को नियुक्त करके दूरसंचार बुनियादी ढांचे को सुरक्षित करना है। सुरक्षा से संबंधित मंत्रिमंडल की, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली बैठक के बाद कानून, दूरसंचार और आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पत्रकारों को जानकारी देते हुए कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए दूरसंचार क्षेत्र के लिए एक राष्ट्रीय सुरक्षा निर्देश नीति तैयार की गयी है।

प्रसाद ने कहा, “भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करने की आवश्यकता को देखते हुए, मंत्रिमंडल ने दूरसंचार क्षेत्र हेतु राष्ट्रीय सुरक्षा निर्देश के लिए अनुमोदन प्रदान किया है।” इस निर्देश नीति के प्रावधानों के तहत, सरकार देश के दूरसंचार तंत्र में स्थापना के लिए विश्वसनीय स्रोतों और विश्वसनीय उत्पादों की एक सूची घोषित करेगी। प्रसाद ने कहा, “विश्वसनीय उत्पादों को नियुक्त करने की पद्धति को नामित प्राधिकारी, राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वयक द्वारा तैयार किया जाएगा। दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को ऐसे नए उपकरणों को जोड़ने की आवश्यकता होगी जो विश्वसनीय एवं नामित हों।” उन्होंने यह भी कहा कि नीति 180 दिनों में तैयार हो जायेगी।

निर्देश में विश्वसनीय श्रेणी में घरेलू व्यवसायियों द्वारा बनाए गए दूरसंचार उपकरणों को अर्हता प्राप्त करने के प्रावधान हैं। दूरसंचार विभाग की उत्तम बाजार पहुंच (पीएमए) योजना के मानदंडों को पूरा करने वालों को ‘भारत-विश्वसनीय स्रोतों’ के रूप में प्रमाणित किया जाएगा।

हाल के महीनों में, भारत ने राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए दूरसंचार से लेकर बिजली तक के क्षेत्रों में उपयोग होने वाले चीनी उपकरणों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है। ये प्रतिबंध, स्पाइवेयर या हानिकारक सॉफ़्टवेयर जिन्हें “मालवेयर” के रूप में जाना जाता है, से बचाव हेतु लगाए गए हैं, ये सॉफ्टवेयर आयातित उपकरणों में लगे हुए आते हैं। उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की अध्यक्षता वाली समिति के अनुमोदन के आधार पर विश्वसनीय स्रोत और उत्पाद की सूची तय की जाएगी।

इस खबर को अंग्रेजी में यहाँ पढ़े।

सरकार उन निर्दिष्ट स्रोतों की भी एक सूची बनाएगी जिनसे कोई खरीद नहीं की जा सकती है। मंत्री ने कहा – “वर्तमान निर्देश नीति में टीएसपी के तंत्र में पहले से ही विद्यमान मौजूदा उपकरणों के अनिवार्य प्रतिस्थापन की परिकल्पना है।” पिछले साल सरकार ने बिना इंटरनेशनल मोबाइल इक्विपमेंट आइडेंटिटी या आईएमईआई नंबर वाले चीनी हैंडसेट (मोबाइल) के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था, फिर से सुरक्षा कारण ही मुद्दा हैं, जैसे कि चोरी के हैंडसेट का इस्तेमाल आतंक या धोखाधड़ी के लिए किया जाता है।

प्रसाद ने कहा कि, निर्देश तंत्र में पहले से उपस्थित उपकरणों के वार्षिक रखरखाव अनुबंधों और उनके अपडेट को भी प्रभावित नहीं करेगा। निर्देश में विश्वसनीय श्रेणी में घरेलू व्यवसायियों द्वारा बनाए गए दूरसंचार उपकरणों को अर्हता प्राप्त करने के प्रावधान हैं। दूरसंचार विभाग की उत्तम बाजार पहुंच (पीएमए) योजना के मानदंडों को पूरा करने वालों को ‘भारत-विश्वसनीय स्रोतों’ के रूप में प्रमाणित किया जाएगा।

दूरसंचार विभाग, दिशानिर्देशों को उचित रूप से सूचित करेगा और दूरसंचार सेवा प्रदाताओं द्वारा निर्देशों के अनुपालन की निगरानी सुनिश्चित करेगा। प्रसाद ने कहा, “दूरसंचार विभाग, निर्देश के प्रावधानों के कार्यान्वयन के लिए लाइसेंस शर्तों में उचित संशोधन करेगा। मंजूरी की तारीख से 180 दिनों के बाद नीति लागू होगी।”

इससे पहले पीगुरूज ने बताया था कि अनिल अंबानी के रिलायंस समूह ने अपने दूरसंचार और ऊर्जा क्षेत्रों में स्थापित करने के लिए, चीनी उपकरण खरीदने के लिए चीनी बैंकों से 18 बिलियन डॉलर का ऋण लिया था[1]। चीनी बैंकों ने ‘भुगतान न होने’ के लिए लंदन कोर्ट में अनिल अंबानी के खिलाफ मुकदमा दायर किया और लंदन कोर्ट ने उन्हें तुरंत 5,400 करोड़ रुपये का भुगतान करने को कहा। अनिल अंबानी को मुकदमे का सामना करना पड़ रहा है और उन्होंने अदालत में यह कहा है कि वह अपने व्यापारिक साम्राज्य के पतन के कारण तीव्र वित्तीय कमी का सामना कर रहे हैं।

संदर्भ:

[1] चीनी बैंकों ने अनिल अंबानी की रिलायंस टेलीकॉम और बिजली कम्पनियों को 18 बिलियन डॉलर से अधिक का ऋण दिया। यह चीनी उपकरणों को खरीदने के लिए थाDec 07, 2020, hindi.pgurus.com

1 COMMENT

  1. […] के मोबाइल सिग्नल बूस्टर, विशेष रूप से चीन से आयात किए गए, पिछले कई सालों से भारत […]

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.