युवाओं के पंजीकरण शुरू होते ही कोविन पोर्टल पर भारी भीड़
पांच घंटे में, 1.1 करोड़ (11 मिलियन) से अधिक युवाओं ने बुधवार को कोविड टीकाकरण के लिए पंजीकरण कराया, जब भारत ने 18 से 44 वर्ष के बीच उम्र के नागरिकों का पंजीकरण शुरू किया। वैक्सीन की भारी कमी के कारण, युवाओं को केवल पंजीकरण दिया गया और टीकाकरण के लिए स्लॉट (समय) आवंटित करने की अनुमति नहीं दी गई और अधिकारियों ने कहा कि पहली वरीयता दूसरी खुराक के पात्र 45 वर्ष से ऊपर के लोगों को दी जाएगी और फिर 45 वर्ष से ऊपर के पहली खुराक के पात्र लोगों को खुराक दी जायेगी।
भारत में टीकाकरण के आंकड़े अभी भी बहुत कम हैं। आज तक, 136 करोड़ से अधिक की आबादी वाले देश में केवल 14.5 करोड़ (45 वर्ष से अधिक) लोगों का टीकाकरण किया गया है और जिनमें से सिर्फ 2.36 करोड़ (23.6 मिलियन) लोग ही पूरी तरह से (दूसरी खुराक मिली) टीकाकरण प्राप्त कर पाए हैं। इससे पता चलता है कि केवल 1.7% आबादी का ही टीकाकरण हुआ है। जनवरी से मार्च तक, भारत ने 60 देशों को 6.6 करोड़ से अधिक खुराक का निर्यात किया जबकि देश में उस समय केवल 4.46 करोड़ लोगों का टीकाकरण हुआ था। इस टीका निर्यात नीति के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की बहुत आलोचना की गयी है, जबकि देश के अंदर पर्याप्त कमी थी। अब कई लोगों को टीकाकरण की दूसरी खुराक मिलने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है और सरकार का टीकाकरण पोर्टल कोविन पोर्टल 18 साल और उससे अधिक के पात्रों के पंजीकरण के लिए 28 अप्रैल को खोले जाने के बाद से बहुत अधिक भीड़ का सामना कर रहा है। भारी भीड़ के कारण, पोर्टल ने केवल शाम 4 बजे से काम करना शुरू किया, हालांकि इसने पहले आधी रात से पंजीकरण की घोषणा की थी। भारत में, कई सरकारी पोर्टल इस प्रकार की क्रेश (काम करना बंद हो गया) का सामना करते रहते हैं। उदाहरण के लिए, कई कर (टैक्स) पोर्टल विशेष रूप से जीएसटी पोर्टल और कॉर्पोरेट मामलों के पोर्टल (एमसीए) में पिछले कई वर्षों में कई बार गिरावट झेली है। संयोग से जीएसटी और एमसीए पोर्टल को इंफोसिस ने संभाला है और अभी भी सरकार ने इसमें सुधार नहीं किया है।
संसद द्वारा अनुमोदित वर्तमान केंद्रीय बजट में 35,000 करोड़ रुपये की एक अच्छी खासी राशि टीकाकरण के लिए आवंटित की गई है और कई राज्य सरकारों ने भी वित्तीय वर्ष 2021-22 में टीकाकरण के लिए सैकड़ों करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।
सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक से वैक्सीन आपूर्ति के आश्वासन और फाइजर, मॉडर्ना, जॉनसन एंड जॉनसन, स्पुतनिक आदि जैसे टीकों के आयात की प्रक्रियाओं पर वर्तमान स्थिति से, यह व्यापक रूप से समझा जा सकता है कि टीकाकरण भारत में जून या जुलाई तक गति प्राप्त करेगा। लेकिन यहां एक और सवाल यह है कि क्या भारत जैसे विशाल देश में जहाँ लगभग 95 करोड़ लोग 18 साल से ऊपर के हैं और टीकाकरण के लिए पात्र हैं, वैक्सीन का प्रबंधन केवल कोविन वेबसाइट या आरोग्य सेतु ऐप के जरिए किया जा सकता है? केंद्र और राज्य सरकार दोनों को कोविड-19 महामारी का मुकाबला करने के लिए टीकाकरण के पूर्ण लाभ के लिए भारत के लोगों को जागरूक करने के लिए स्थानीय क्षेत्र वार जाना चाहिए और प्रत्येक स्थान पर टीकाकरण शिविर आयोजित करना चाहिए।
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संसद द्वारा अनुमोदित वर्तमान केंद्रीय बजट में 35,000 करोड़ रुपये की एक अच्छी खासी राशि टीकाकरण के लिए आवंटित की गई है और कई राज्य सरकारों ने भी वित्तीय वर्ष 2021-22 में टीकाकरण के लिए सैकड़ों करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। यह सुनिश्चित है कि भारत को पूर्ण टीकाकरण के लिए एक वर्ष या दो वर्ष से अधिक समय लगेगा या कम से कम महामारी की तीसरी अनुमानित लहर से उबरने तक। कई वैज्ञानिक महसूस करते हैं, तीसरी लहर दूसरी लहर जितनी भयानक नहीं होगी। लेकिन भारत में केंद्र और राज्य दोनों सरकारों को कोविड-19 महामारी का मुकाबला करने के लिए आने वाले तीन-चार महीनों में टीकाकरण की गति को बढ़ाने के लिए तैयार रहना चाहिए। 18 से 44 वर्ष के युवाओं को टीकाकरण के लिए जितनी जल्दी हो सके समय निर्धारित होना चाहिए और सभी एजेंसियों और सभी राजनीतिक दलों को खुले दिल के साथ इस दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान पर एकजुट होना चाहिए।
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