ओमिक्रोन का देसी टीका जल्द ही हमारे सामने होगा

कंपनी ने वैक्सीन की रिस्क मैन्युफैक्चरिंग शुरू कर दी है और एक बार रेग्युलेटरी अप्रूवल मिलने के बाद पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन बनाया जाने लगेगा

0
270
ओमिक्रोन का देसी टीका जल्द ही हमारे सामने होगा
ओमिक्रोन का देसी टीका जल्द ही हमारे सामने होगा

ओमिक्रोन वैक्सीन एक नई उम्मीद बनकर आएगी

कोरोना वैक्सीन बनाने की दिशा में देश को दो बड़ी उपलब्धि हासिल होने वाली है। पुणे स्थित जीनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स नई टेक्नॉलजी पर आधारित मेसेंजर प्लैटफॉर्म पर कोविड वैक्सीन बना रही है, वह खास ओमिक्रोन को टार्गेट करने वाली वैक्सीन भी बना रही है।

महाराष्ट्र के पुणे स्थित जीनोवा बायोफार्मास्यूटिकल्स ने हाल ही में दूसरे चरण के ट्रायल का डेटा फार्मा रेग्युलेटर को सौंपा है। सार्स-कोव2 वायरस के डेल्टा वेरियेंट पर विकसित दो डोज वाली यह एमआरएनए वैक्सीन का फेज 2 ट्रायल 3,000 लोगों पर किया गया है। सूत्रों के अनुसार कंपनी अब तीसरे चरण का ट्रायल भी पूरा करने जा रही है।

भारत के पास कोविड-19 महामारी के खिलाफ अपनी पहली मेसेंजर या एमआरएनए वैक्सीन जल्दी होगी। जीनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स इस वैक्सीन के तीसरे चरण का ट्रायल पूरा करने वाली ही है। एक और खुशखबरी है कि यही कंपनी विशेष तौर पर ओमिक्रोन के लिए वैक्सीन बना रही है। इसके लिए भी मेसेंजर प्लैटफॉर्म का ही उपयोग किया जा रहा है।

कंपनी ने वैक्सीन की रिस्क मैन्युफैक्चरिंग शुरू कर दी है और एक बार रेग्युलेटरी अप्रूवल मिलने के बाद पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन बनाया जाने लगेगा। रिस्क मैन्युफैक्चरिंग का मतलब रेग्युलेटरी अप्रूवल से पहले निर्माण की प्रक्रिया को कहा जाता है। चूंकि नई वैक्सीन को रेग्युलेटर से अप्रूवल नहीं मिलने की आशंका भी रहती है, ऐसी परिस्थिति में बनाई गई वैक्सीन की बर्बादी का जोखिम रहता है।

वहीं, ओमीक्रोन को लक्षित करने वाली वैक्सीन जीनोवा फार्मास्यूटिकल्स की लैबरेटरी में तैयार कर ली गई है और अब इसका इंसानों पर परीक्षण किया जाना है ताकि इसके असर और इम्यूनिटी पैदा करने की इसकी क्षमता का पता लगाया जा सके।

कंपनी में तैयार की जा रही ओमीक्रोन स्पेसिफिक वैक्सीन भी इस मामले में बेहद खास है कि आगे भी जब कोई नया वेरियेंट आएगा तो उसे टार्गेट करने के लिए वैक्सीन में बदलाव किया जा सकेगा। सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑगर्नाइजेशन (सीडीएससीओ) कंपनी की तरफ से सौंपे गए ट्रायल डेटा का अध्ययन करेगा और फैसला करेगा कि वैक्सीन को मंजूरी दी जाए या नहीं।

भारत बायोटेक ने हाल ही में दावा किया था कि उसकी कोवैक्सीन की तीसरी या बूस्टर डोज से ओमीक्रोन वेरियेंट का सफाया हो जाता है। रेग्युलेटर ने अभी इस दावे की पड़ताल नहीं की है। वैश्विक स्तर पर ओमीक्रोन के खिलाफ मॉडर्ना, जैनसेन, साइनोफार्म, गामालेया, नोवावैक्स और एस्ट्राजेनेका के असर को परखा जा रहा है। हालांकि, इनके इतर ओमीक्रोन के लिए कई वैक्सीन बनाई जा रही है। मसलन, फाइजर ने कहा कि ओमीक्रोन को भेदने वाली उसकी एमएरएनए वैक्सीन मार्च में तैयार हो जाएगी।

[आईएएनएस इनपुट के साथ]

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.