इसरो जल्द शुक्र ग्रह और सूर्य के अध्ययन के लिए अपनी तकनीक विकसित करने जा रहा!
भारत जल्द ही शुक्र ग्रह और सूरज के अध्ययन के लिए खुद की तकनीक विकसित करने जा रहा है। गुजरात के अहमदाबाद स्थित फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी के निदेशक डा. अनिल भारद्वाज ने कहा कि आकाश में चल रही हलचल पर इसरो नजर बनाए हुए है। वर्ष 1975 में पहला उपग्रह आर्य भट्ट छोड़ने के बाद भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान को तेजी से आगे बढ़ाया और स्वयं के प्रक्षेपण केंद्र बनाए। उन्होंने कहा कि हमारे चंद्रयान और मंगल मिशन सफल रहे हैं। भविष्य में हम शुक्र ग्रह और सूर्य के अध्ययन के लिए अपनी तकनीक विकसित करने जा रहे हैं। जापान की एयरो स्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (जाक्सा) के सहयोग से हम चंद्र लेंटर और रोवर को चांद की डार्क साइट में स्थापित करने के मिशन पर तेजी से काम कर रहे हैं। इस मिशन को लेकर जाक्सा के साथ वार्ता चल रही है।
उत्तरांचल यूनिवर्सिटी में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘आकाश तत्व’ में अंतिम दिन पहले व दूसरे सत्र में विशेषज्ञों ने आकाश को लेकर विभिन्न पक्षों पर अपने विचार रखे। डा. अनिल भारद्वाज ने कहा कि जापान के सहयोग से इसरो चांद के अनसुलझे रहस्यों का पता लगाने की दिशा में काम कर रहा है। आदित्य एल-वन मिशन पर भी तेजी से काम किया जा रहा है। जार्ज मेसन विवि अमेरिका के प्रो. जे. शुक्ला ने जलवायु परिवर्तन और मौसम का अनुमान लगाने की वर्तमान स्थिति पर विस्तार से अवगत कराया।
दिन के प्रथम सत्र में डीआरडीओ के विज्ञानी अंकुश कोहली ने वातावरण में उपांतरण और भू-स्थित अनेक तकनीक का भारत पर दूरगामी प्रभाव से सतर्क रहने की सलाह दी। आईआईटी मुंबई की प्रो. गीता विचारे ने सूर्य के अंदर चल रही गतिविधियों के कारण बड़ी मात्रा मे मिलने वाले विकरणों और प्लाज्मा के रूप में मिलने वाले आवेशित कणों का सोलर विंड के कारण पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र पर पड़ने वाले प्रभाव पर विचार रखे। उन्होंने कहा कि इसमें इतनी ऊर्जा होती है कि वह हमारे संचार तंत्र, जीपीएस, तेल संयत्रों, इलेक्ट्रिक ग्रिड जैसे तंत्र को नष्ट कर सकते हैं।
नासा के विज्ञानी डा. एन गोपाल स्वामी ने सूर्य पर विश्वभर में हो रहे शोध और सूर्य पर हो रही घटनाओं के पृथ्वी पर प्रभाव का विस्तृत वर्णन किया। आईआईटी कानपुर के प्रो. मुकेश शर्मा ने पूरे देश, विशेषकर राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण संबंधी शोध के आधार पर बताया कि वर्तमान में वायु की गुणवत्ता अत्यंत खराब व चिंताजनक है। इसे सुधारने के लिए हमें कार्बन उत्सर्जन को सीमित करने की विभिन्न विधियों पर काम करना होगा। सड़कों की धूल, वाहनों, घरों, फैक्ट्रियों से होने वाले प्रदूषण को आकाश में जाने से बचाना होगा। आईआईटी दिल्ली के प्रो. मुकेश खरे ने स्वच्छ हवा और साफ आकाश की अवधारणा को सब तक पहुंचाने व इस पर चल रहे कार्यों का विवरण दिया। दिल्ली विवि के प्रो. एसके ढाका ने दिल्ली में ऐरोसोल की अधिकता व पर्यावरणीय डाटा को प्रस्तुत किया और इसमें सुधार हेतु सुझाव दिए।
[आईएएनएस इनपुट के साथ]
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