इनकम टैक्स पोर्टल गड़बड़ियां: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मुद्दों को सुलझाने के लिए इंफोसिस के लिए 15 सितंबर की समय सीमा तय की

क्या इंफोसिस नए आयकर सॉफ्टवेयर में सामने आ रहे सभी अनावृत मुद्दों को 15 सितंबर की समय सीमा में ठीक करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ संसाधन लगाएगी?

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क्या इंफोसिस नए आयकर सॉफ्टवेयर में सामने आ रहे सभी अनावृत मुद्दों को 15 सितंबर की समय सीमा में ठीक करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ संसाधन लगाएगी?
क्या इंफोसिस नए आयकर सॉफ्टवेयर में सामने आ रहे सभी अनावृत मुद्दों को 15 सितंबर की समय सीमा में ठीक करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ संसाधन लगाएगी?

वित्त मंत्री सीतारमण ने नए आईटी पोर्टल में गड़बड़ियों को ठीक करने के लिए इंफोसिस को 15 सितंबर तक का समय दिया

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को इंफोसिस के सीईओ सलिल पारेख को 15 सितंबर तक आयकर पोर्टल को ठीक करने का अल्टीमेटम (चेतावनी) दिया। वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, वित्त मंत्री ने नई आयकर फाइलिंग पोर्टल में जारी गड़बड़ियों पर सरकार की “गहरी निराशा और चिंता” से अवगत कराया और सभी समस्याओं को हल करने के लिए सॉफ्टवेयर दिग्गज कंपनी के लिए 15 सितंबर की समय सीमा निर्धारित की है।

इससे पहले वित्त मंत्री दो महीने पहले सार्वजनिक रूप से सामने आई थीं, और इंफोसिस द्वारा 4,200 करोड़ रुपये से अधिक का अनुबंध हासिल करने के बाद बनाए गए नए पोर्टल में गड़बड़ी के खिलाफ सार्वजनिक रूप से बोली थीं। सोमवार को इंफोसिस के सीईओ को वित्त मंत्रालय ने तलब किया था।[1]

निर्मला सीतारमण ने ई-फाइलिंग पोर्टल में जारी गड़बड़ियों के बारे में “सरकार और करदाताओं की गहरी निराशा और चिंताओं” से अवगत कराया।

आयकर विभाग द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि बैठक के दौरान वित्त मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि इंफोसिस की ओर से और अधिक संसाधन लगाने और प्रयास करने की आवश्यकता है ताकि अपेक्षित सेवाओं की डिलीवरी में पहले ही हो चुकी काफी देरी से आगे बचा जा सके। आईटी विभाग ने बैठक के बाद एक बयान में कहा – “माननीय वित्त मंत्री ने मांग की कि पोर्टल की वर्तमान कार्यक्षमता पर करदाताओं के सामने आने वाले मुद्दों को 15 सितंबर 2021 तक टीम द्वारा हल किया जाना चाहिए ताकि करदाता और पेशेवर व्यक्ति पोर्टल पर निर्बाध रूप से काम कर सकें।”

इस खबर को अंग्रेजी में यहाँ पढ़े।

सीतारमण ने ई-फाइलिंग पोर्टल में जारी गड़बड़ियों के बारे में “सरकार और करदाताओं की गहरी निराशा और चिंताओं” से अवगत कराया। उन्होंने यह भी कहा – “उन्होंने करदाताओं द्वारा बार-बार सामना किए जाने वाले मुद्दों के लिए इंफोसिस से स्पष्टीकरण मांगा।” बैठक के दौरान, पारेख को करदाताओं को हो रही कठिनाइयों और पोर्टल के कामकाज में देरी के कारण उत्पन्न होने वाली समस्याओं के बारे में भी अवगत कराया गया।

“पारेख ने बताया कि वह और उनकी टीम पोर्टल के सुचारू कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए सब कुछ कर रहे हैं। इसके अलावा, उन्होंने कहा, टीम के 750 से अधिक सदस्य इस परियोजना पर काम कर रहे हैं और इंफोसिस के सीओओ प्रवीण राव व्यक्तिगत रूप से इस परियोजना की देखरेख कर रहे हैं। यह भी आश्वासन दिया कि इंफोसिस पोर्टल पर करदाताओं को एक परेशानी मुक्त अनुभव सुनिश्चित करने के लिए तेजी से काम कर रही है।”

7 जून को लाइव (जनता के लिए उपलब्ध) हुआ नया आयकर पोर्टल 21 और 22 अगस्त को देर शाम तक कार्य करने में सक्षम नहीं था। तकनीकी प्रमुख द्वारा वर्णित “आपातकालीन रखरखाव“/ इमरजेंसी मेंटेनेंस के बाद यह दोबारा शुरू हुआ। इंफोसिस द्वारा संचालित पोर्टल की उपयोग कर्ता के लिए गैर-अनुकूल प्रकृति पर शिकायतें प्रचुर मात्रा में हैं। लाखों यूजर्स और चार्टर्ड अकाउंटेंट ने नए पोर्टल पर नाराजगी जताई। पहले से ही इंफोसिस द्वारा संचालित जीएसटी पोर्टल और एमसीए पोर्टल को बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और लाखों उपयोगकर्ता इन गैर-अनुकूल पोर्टलों पर काम करने के दर्द को व्यक्त कर रहे हैं।

नया पोर्टल विकसित करने के लिए इंफोसिस को 2019 में 4,242 करोड़ रुपये में अनुबंध दिया गया था। इस परियोजना का उद्देश्य अगली पीढ़ी के आयकर फाइलिंग सिस्टम को विकसित करना था ताकि रिटर्न के लिए लगने वाले समय को 63 दिनों से घटाकर एक दिन किया जा सके और रिफंड में तेजी लाई जा सके। हाल ही में पूर्व मुख्य आयकर आयुक्त डीपी कर ने पूर्व राजस्व सचिव एबी पांडे पर संदेहपूर्ण ढंग से यह बड़ा अनुबंध इन्फोसिस को आवंटित करने का आरोप लगाया था। कर ने पांडे पर इंफोसिस के चेयरमैन नंदन नीलेकणी के साथ गुप्त करार करने का आरोप लगाया।[2]

पीएचडीसीसीआई प्रत्यक्ष कर समिति के अध्यक्ष मुकुल बागला ने कहा कि भारत में लगभग 7 करोड़ व्यक्ति या संस्थाएं हैं जो अपना आयकर रिटर्न दाखिल करते हैं। आयकर पोर्टल में गड़बड़ियों के कारण, 7 जून से उनके दिन-प्रतिदिन के कामकाज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। यदि वे धारा 115बीएसी के तहत नई दरों का विकल्प चुनते हैं तो करदाता आयकर विभाग के पास पहले से दाखिल दस्तावेजों को डाउनलोड करने या निर्धारण वर्ष 2021-22 के लिए अपना आयकर रिटर्न दाखिल करने में असमर्थ हैं। उन्होंने कहा कि उपयोगकर्ता धारा 148 के तहत नोटिस, जुर्माना कार्यवाही आदि का जवाब दाखिल करने के लिए रिटर्न दाखिल करने में सक्षम नहीं है। कई अन्य महत्वपूर्ण कर कार्य प्रभावित हुए हैं।

बागला ने कहा – “एक पूर्णतः कार्यात्मक आयकर पोर्टल की अनुपस्थिति में, या तो हम सभी आयकर कार्यवाही को तब तक निलंबित कर दें जब तक कि यह पोर्टल कार्यात्मक नहीं हो जाता है और आईटीआर दाखिल करने की नियत तारीखों को आगे बढ़ा दें, अन्यथा करदाता के साथ-साथ कर पेशेवर का जीवन बहुत परेशानी में है।”

संदर्भ:

[1] वित्त मंत्रालय ने नए आयकर पोर्टल में अंतहीन गड़बड़ियों के लिए इंफोसिस के सीईओ को तलब किया। क्या इंफोसिस को प्रतिबंधित करने का समय आ गया है?Aug 23, 2021, hindi.pgurus.com

[2] पूर्व मुख्य आयकर आयुक्त डीपी कर ने पूर्व राजस्व सचिव एबी पांडे के खिलाफ इंफोसिस से सांठगांठ और रिश्वत के आरोपों की जांच की मांग कीJul 09, 2021, hindi.pgurus.com

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