आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व प्रमुख चंदा कोचर को उसके पापों के लिए कैसे पकड़ा गया? किसने उसे बचाने की कोशिश की?

केवल 40,000 करोड़ रुपए के वीडियोकॉन लोन में रिश्वत लेने के मामले के लिए चंदा कोचर की जांच की गई - क्या अन्य लोगों पर भी कार्यवाही होगी?

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केवल 40,000 करोड़ रुपए के वीडियोकॉन लोन में रिश्वत लेने के मामले के लिए चंदा कोचर की जांच की गई - क्या अन्य लोगों पर भी कार्यवाही होगी?
केवल 40,000 करोड़ रुपए के वीडियोकॉन लोन में रिश्वत लेने के मामले के लिए चंदा कोचर की जांच की गई - क्या अन्य लोगों पर भी कार्यवाही होगी?

आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व प्रमुख चंदा कोचर, भारतीय बैंकिंग की ग्लैमर गर्ल, अब अपने जीवन के सबसे बुरे दौर का सामना कर रही हैं। वह भारत के कॉर्पोरेट और बैंकिंग क्षेत्रों में महिला सशक्तीकरण की मुख्य पोस्टर लड़कियों में से एक थीं, हालांकि हम (सामूहिक रूप से मीडिया) इस जानकारी के बावजूद चुप रहे कि उन्हें उनके गुरु और आईसीआईसीआई बैंक के पूर्व अध्यक्ष केवी कामथ द्वारा आगे बढ़ाया गया था, जिन्होंने कई योग्य उम्मीदवारों को दरकिनार कर उन्हें (कोचर) अपना उत्तराधिकारी चुना। अपनी शागिर्द चंदा को रखकर कामथ को रिमोट कंट्रोल के माध्यम से बैंक चलाने की अनुमति मिल गयी। 58 वर्षीय चंदा कोचर ने 2012 में कर्ज में डूबे वीडियोकॉन समूह को ऋण देने के लिए अपने पति दीपक कोचर के माध्यम से धोखाधड़ी की और रिश्वत ली थी। लेकिन उनकी धोखाधड़ी लंबे समय तक नहीं चल पाई।

चार साल बाद, मार्च 2016 में, छोटे निवेशकों के लिए एक संगठन चलाने वाले जाने-माने वादी अरविंद गुप्ता ने सबसे पहले चंदा कोचर के खिलाफ शिकायत दर्ज की। अपनी विस्तृत शिकायत में, उन्होंने बताया कि कैसे वीडियोकॉन ग्रुप को आईसीआईसीआई बैंक से ऋण दिलाने के लिए चंदा के पति दीपक कोचर को लगभग 10% मिला था और उसने यह पैसा पवनऊर्जा और बिजली उत्पादन के क्षेत्र में काम करने वाली उनकी कंपनी नूपॉवर में लगाया। अरविंद गुप्ता ने मार्च 2016 में भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई), सिक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया (सेबी), केंद्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) जैसे सभी एजेंसियों और यहाँ तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए अपनी आठ पन्नों की विस्तृत शिकायत दर्ज की। उन्होंने इस शिकायत को अपने ब्लॉग और यहां तक कि एक उद्योग लॉबीइंग पत्रिका में भी प्रकाशित किया। दुर्भाग्य से, किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया। अरविंद गुप्ता द्वारा विशिष्ट स्पष्ट शिकायत का क्या हुआ? जवाब है: कुछ नहीं। क्यों?

शक्तिशाली आका (पालने वाला)

क्योंकि चंदा कोचर के दो शक्तिशाली आका हैं। वे कौन हैं? वे भारत के पूर्व वित्त मंत्री हैं। एक दिवंगत अरुण जेटली और दूसरे उनके अच्छे दोस्त, भ्रष्ट, कुटिल पी चिदंबरम। मार्च 2018 तक, याचिकाकर्ता अरविंद गुप्ता अपनी विस्तृत शिकायत की एक प्रति के साथ सभी मीडिया हाउस और संपादकों सहित सभी दरवाजों पर दस्तक दे रहे थे। किसी ने भी महिला बैंकिंग प्रमुख के इस बड़े घोटाले को प्रकाशित करने का साहस नहीं किया क्योंकि आईसीआईसीआई बैंक मीडिया के सबसे बड़े विज्ञापनदाताओं में से एक थी। इसके अलावा, चंदा कोचर सभी मीडिया घरानों और उनके मालिकों के प्रति उदारता दिखाते हुए उन्हें कुछ न कुछ देकर खुश करती रही।

इस खबर को अंग्रेजी में यहाँ पढ़े।

कई मीडिया हाउस और उनके मालिकों को आईसीआईसीआई बैंक से सुलभ ऋण (सॉफ्ट लोन) मिला। हमने पीगुरूज में एनडीटीवी के मालिक प्रनॉय रॉय के बैंकिंग ऋण धोखाधड़ी की सूचना दी, जिन्होंने आईसीआईसीआई बैंक के ऋण का उपयोग अपनी फर्जी खोल कम्पनी (शेल फर्म) में किया, जिसने सार्वजनिक सीमित सूचीबद्ध एनडीटीवी के नाम का दुरुपयोग किया और दक्षिण अफ्रीका में एक महलनुमा घर खरीदने के लिए लगभग 45 करोड़ रुपये का उपयोग किया[1]। आरोप लगे कि मीडिया में कुछ लोगों ने इस शिकायत को प्रकाशित नहीं करने और संबंधित व्यक्तियों से कृपा पाने के लिए पैसे लिये।

चंदा कोचर और परिवार और वीडियोकॉन ग्रुप के खिलाफ अरविंद गुप्ता की शिकायत पर दो साल से कुछ नहीं हो रहा था। मार्च 2018 के तीसरे सप्ताह में, एक मुखबिर अधिकारी ने पीगुरूज की शोध टीम को कटु याचिका के बारे में सचेत किया, जिसे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जांच के निर्देश के बाद भी एजेंसियों के ठंडे बस्ते में रखा गया था। हमने कुछ ही समय में इस बारे में विस्फोटक रिपोर्ट और 25 मार्च, 2018 को पूरी शिकायत प्रकाशित की थी[2]। अगले दिन आईसीआईसीआई बैंक ने इस मुद्दे को लेकर एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की और इसके बाद केवल ‘इंडियन एक्सप्रेस’ अखबार ने ही इसे छापा। यह आगे। फिर अन्य मीडिया भी इस मुहिम में शामिल हो गयी और हफ्तों के भीतर चंदा कोचर ने अपने आप को बचाने के लिए इस्तीफा दे दिया।

प्रधानमंत्री मोदी ने तब एजेंसियों को जांच के आदेश दिए, लेकिन तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसे समाप्त कर दिया। फिर सीबीआई ने एक मामला दर्ज किया और ईडी ने भी दो दिन पहले (10 जनवरी) चंदा कोचर और उनके पति की फर्मों की संपत्ति 600 करोड़ रुपये (जब्ती कीमत 75 करोड़ रुपये) जब्त की[3]

चंदा और पति दीपक, और वीडियोकॉन समूह के संचालक, मोदी के आदेश के बाद सीबीआई से ईडी से लेकर एसएफआईओ से आयकर, अलग-अलग एजेंसियों के चक्कर लगा रहे थे। लेकिन जांच में देरी के लिए जेटली हर तरह के हथकंडे खेल रहे थे। जब तत्कालीन वित्तमंत्री जनवरी 2019 में कैंसर के इलाज के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका पहुंचे तो सीबीआई ने मामले में पहली सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज की। संयुक्त राज्य अमेरिका से, यह भूलते हुए कि वह एक मंत्री हैं (उन्होंने एक बार नेताओं को अनुशासित रहने की नसीहत दी थी!), जेटली ने सीबीआई के खिलाफ ट्वीट किया था। पीगुरूज ने इस अपवित्र कार्रवाई के लिए जेटली को ध्वस्त किया – मैंने खुद एक लेख लिखा जिसमें जेटली को इस भ्रष्ट गतिविधि के लिए ध्वस्त किया[4]। प्रधान मंत्री के ठोस समर्थन के साथ, एजेंसियों ने वित्त मंत्री द्वारा किये गए आडम्बरों को अनदेखा किया और आगे बढ़ गईं।

अब चंदा कोचर अपने पापों का भुगतान कर रही है। कानून को अपनी कार्रवाई करने दें। कोई भी कानून से ऊपर नहीं है। मुझे उम्मीद है कि यह बाकया अगली पीढ़ी के लिए एक सबक होगा, जो उद्योग जगत (कॉर्पोरेट वर्ल्ड), बैंकिंग या किसी भी सार्वजनिक सेवा में प्रवेश करेगा।

संदर्भ:

[1] सीबीआई को प्रनॉय रॉय और उसकी पत्नी से पूछताछ करनी चाहिए और ईडी को उनकी संपत्तियों को कुर्क करना चाहिएJun 19, 2019, hindipgurus.com

[2] ICICI Bank head Chanda Kochhar and her husband on the radar of probe agencies for giving loans to the debt-ridden Videocon? Mar 25, 2018, PGurus.com

[3] ईडी ने पूर्व आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व चेयरमैन चंदा कोचर और उनके रिश्वत लेने वाले पति और उनकी कंपनियों की 600 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क कीJan 11, 2020, hindi.pgurus.com

[4] चंदा कोचर और आईसीआईसीआई बैंक के अन्य अधिकारियों को सबक सिखाने पर जेटली ने सीबीआई पर क्यों तंज कसा है?Feb 01, 2019, hindi.pgurus.com

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