सर्वोच्च न्यायालय की फटकार के पांच दिन बाद, भारत सरकार ने टीकाकरण नीति में बदलाव किया। प्रधानमंत्री ने की मुफ्त टीकाकरण की घोषणा

भारत ने नीति बदली, निशुल्क टीकाकरण की घोषणा टीकों से पैसा बनाने की कोशिश कर रहे राज्यों पर अप्रत्यक्ष मार है!

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भारत ने नीति बदली, निशुल्क टीकाकरण की घोषणा टीकों से पैसा बनाने की कोशिश कर रहे राज्यों पर अप्रत्यक्ष मार है!
भारत ने नीति बदली, निशुल्क टीकाकरण की घोषणा टीकों से पैसा बनाने की कोशिश कर रहे राज्यों पर अप्रत्यक्ष मार है!

टीकाकरण (वैक्सीन) नीति पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कई सवाल उठाए जाने के पांच दिन बाद, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को घोषणा की कि केंद्र सरकार 21 जून से 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोगों के टीकाकरण के लिए राज्यों को मुफ्त कोविड-19 टीके प्रदान करेगी। प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के नाम एक संबोधन में कहा कि केंद्र सरकार ने राज्य कोटे के 25 प्रतिशत सहित, वैक्सीन निर्माताओं से 75 प्रतिशत खुराकों को खरीदने और राज्य सरकारों को मुफ्त देने का फैसला किया है। मोदी ने कहा कि निजी क्षेत्र के अस्पताल 25 प्रतिशत टीकों की खरीद जारी रख सकते हैं, लेकिन उनके सेवा शुल्क को टीके की निर्धारित कीमत से 150 रुपये प्रति खुराक से अधिक नहीं रखा जायेगा।

मोदी सरकार तब से विवादों का सामना कर रही थी जब उन्होंने राज्यों को वैक्सीन निर्माताओं से सीधे टीके खरीदने के लिए कहा था। विवाद उस समय चरम पर था जब वैक्सीन कंपनियों ने राज्यों द्वारा खरीद पर कीमत बढ़ा दी थी। कई राज्यों ने वैश्विक निविदा जारी (ग्लोबल टेंडर फ्लोटिंग) करने की कोशिश की और असफल रहे। केंद्र सरकार की चुप्पी के कारण, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) और भारत बायोटेक जैसी वैक्सीन कंपनियों ने राज्यों की खरीद के लिए बढ़ी हुई कीमत की घोषणा कर दी, जिसकी व्यापक आलोचना हुई।

मोदी ने कहा कि नाक से दिये जाने वाले (नेजल स्प्रे) टीके पर शोध जारी है, उन्होंने कहा कि अगर यह सफल रहा तो भारत के टीकाकरण अभियान को काफी बढ़ावा दे सकता है।

सर्वोच्च न्यायालय ने 2 जून को विवादास्पद वैक्सीन नीति, मूल्य निर्धारण और वितरण तंत्र में अंतर और देश भर में टीकों की व्यापक अनुपलब्धता पर केंद्र सरकार से कई सवाल पूछे थे[1]। केंद्र को 30 जून को न्यायालय के समक्ष जवाब देना है और अब केंद्र सरकार ने वैक्सीन की केंद्रीकृत खरीद और 18 वर्ष से ऊपर के सभी लोगों को मुफ्त वैक्सीन देकर और निजी अस्पतालों में सेवा शुल्क के रूप में 150 रुपये तय कर अपनी नीति में बदलाव किया है।

इस खबर को अंग्रेजी में यहाँ पढ़े।

अपने भाषण में, प्रधान मंत्री ने बिना नाम लिए आरोप लगाया कि कई राज्यों ने टीकाकरण पर नियंत्रण की मांग की और अब वे विफल हो गए हैं।

मोदी ने कहा कि देश में सात कंपनियां कोरोना वायरस के खिलाफ विभिन्न टीकों का उत्पादन कर रही हैं और तीन अन्य टीकों का परीक्षण अंतिम चरण में है। प्रधानमंत्री ने कहा कि दूसरे देशों की कंपनियों से टीके खरीदने की प्रक्रिया में भी तेजी लाई गई है। बच्चों के वायरस से प्रभावित होने पर हाल ही में विशेषज्ञों द्वारा व्यक्त की गई चिंताओं के बीच मोदी ने कहा कि इस दिशा में दो टीकों का परीक्षण किया जा रहा है। मोदी ने कहा कि नाक से दिये जाने वाले (नेजल स्प्रे) टीके पर शोध जारी है, उन्होंने कहा कि अगर यह सफल रहा तो भारत के टीकाकरण अभियान को काफी बढ़ावा दे सकता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने कम समय में दो भारत निर्मित (मेड-इन-इंडिया) कोविड-19 टीके बनाकर अपनी क्षमता साबित की और 23 करोड़ से अधिक खुराक का इंतज़ाम पहले ही किया जा चुका है। इस बीच, अब तक 4.48 करोड़ लोगों को पूरी तरह से टीका लगाया जा चुका है। इसका मतलब है कि 136 करोड़ से अधिक आबादी वाले देश में 3.3% आबादी पूरी तरह से टीकाकरण प्राप्त कर चुकी है।

प्रधान मंत्री ने जोर देकर कहा कि विभिन्न स्तरों पर कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं और आवश्यक दवाओं के उत्पादन में तेजी लाई गई है। उन्होंने कहा कि भारत कई मोर्चों पर कोविड-19 महामारी से लड़ रहा है और देश भर में नए स्वास्थ्य ढांचे का निर्माण किया गया है।

संदर्भ:

[1] सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र की टीकाकरण नीति की आलोचना की। केंद्र और राज्यों से वैक्सीन खरीद, आपूर्ति और वितरण के सभी विवरण मांगेJun 03, 2021, hindi.pgurus.com

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  1. […] और एमआर शाह की पीठ द्वारा दिया गया सर्वोच्च न्यायालय का 80-पृष्ठ का फैसला, मार्च 2020 के अंतिम […]

  2. […] ने केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए कोविड-19 वैक्सीन निर्यात पर प्रतिबंध को “बहुत बुरा […]

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