
कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन का मोटर वाहन क्षेत्र पर प्रहार
संसद की एक समिति ने मंगलवार को कहा कि कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन के कारण भारत में प्रति दिन 2,300 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ और 3.45 लाख लोगों की नौकरी चली गई। राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू को सौंपी गई एक संसदीय समिति की रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने पाया कि उपकरण निर्माता उत्पादन में 18-20% की गिरावट हुई और लगभग 286 वाहन विक्रेताओं की महामारी के दौरान दुकानें बंद हो गयीं। तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के सांसद केशव राव की अध्यक्षता में वाणिज्य संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने देश में मोटर वाहन क्षेत्र में निवेश को आकर्षित करने के लिए कई उपायों का सुझाव भी दिया, जिसमें पूर्ववर्ती भूमि और श्रम कानूनों में कुछ सुधार भी शामिल हैं।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा – “वाहन उद्योग संघों द्वारा समिति को सूचित किया गया था कि सभी प्रमुख मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम) ने वाहनों की बिक्री में कम मांग और गिरावट के कारण अपने उत्पादन में 18-20 प्रतिशत की कटौती की है। परिणामस्वरूप, रोजगार की दृष्टि से मोटर वाहन क्षेत्र प्रभावित हुआ और वाहन क्षेत्र में 3.45 लाख नौकरियां चली गयीं।”
स्थायी समिति ने आगे कहा कि प्रभाव का वास्तविक परिमाण लॉकडाउन की अवधि, कोविड-19 के फैलने की तीव्रता और प्रसार की अवधि पर निर्भर करता है
रिपोर्ट में कहा गया – वाहन उद्योग क्षेत्र में नये कर्मचारियों की भर्ती रोक दी गई। इसके अलावा, 286 वाहन विक्रेताओं की दुकानें बंद हो गयीं। इसके अलावा, मोटर वाहन क्षेत्र में उत्पादन में कटौती ने घटक उद्योग, यानी मोटर वाहन स्पेयर पार्ट्स निर्माण में लगे सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) पर प्रतिकूल प्रभाव डाला।
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रिपोर्ट के अनुसार – “जैसा कि ऑटोमोबाइल उद्योग संघों द्वारा सूचित किया गया है, कोविड-19 महामारी और उसके बाद के लॉकडाउन के कारण ऑटोमोटिव ओईएम और घटक आपूर्तिकर्ता में उत्पादन रुका हुआ है, जिससे मोटर वाहन क्षेत्र को प्रति दिन लगभग 2,300 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।” स्थायी समिति ने आगे कहा कि प्रभाव का वास्तविक परिमाण लॉकडाउन की अवधि, कोविड-19 के फैलने की तीव्रता और प्रसार की अवधि पर निर्भर करता है।
समिति ने कहा – संकट को देखते हुए, यह भविष्यवाणी की जाती है कि मोटर वाहन उद्योग के कम से कम लगातार दो वर्षों के गंभीर संकुचन से गुजरने की संभावना है, जिससे क्षमता उपयोग के निम्न स्तर, भविष्य में होने वाले कैपेक्स (पूंजी व्यय) निवेश की कमी, दिवालियापन का उच्च जोखिम और पूरे मोटर वाहन क्षेत्र में नौकरियाँ जायेंगी।
[पीटीआई इनपुट्स के साथ]
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