
लेफ्ट-लिबरल्स और कांग्रेस में उनके सहयोगी गंदी चालें चलने और आरोप लगाने में माहिर हैं। हालिया मामला है फेसबुक के भारत में संचालन के खिलाफ। अब वामपंथी-उदारवादी (लेफ्ट-लिबरल्स) और कांग्रेस के कुछ लोग जो हमेशा वामपंथियों की गतिविधियों के सहयोगी हैं, फेसबुक और उसके दूसरे प्लेटफॉर्म व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम पर दक्षिण पंथी होने का आरोप लगा रहे हैं। विशेष रूप से वे फेसबुक के भारत के नीति निदेशक अंखी दास पर भाजपा समर्थक रुख अपनाने का आरोप लगा रहे हैं। इन जर्जर तत्वों द्वारा हद पार की जा रही है – वे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की जांच की मांग कर रहे हैं और अंखी दास को गंदी गालियां और धमकियां दे रहे हैं। अब दिल्ली पुलिस ने भाजपा समर्थक होने की धमकियों पर अंखी दास की शिकायत के आधार पर मामला दर्ज किया है[1]।
इस मामले का तथ्य यह है कि कांग्रेस और वामपंथी तंत्र वर्षों से ट्विटर और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों को नियंत्रित कर रहा था; यह ज्ञात तथ्य है कि तत्कालीन सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री कपिल सिब्बल ने इन सोशल मीडिया मंचों में नियुक्तियों में एक बड़ी बात कही थी। कई कांग्रेस और वामपंथी समर्थक लोग ट्विटर और फेसबुक में नियुक्त किए गए थे। यूपीए के कार्यकाल में, दक्षिणपंथियों को अपनी राय जाहिर करने का जरा सा भी हक यदि था तो उसे केवल दैवीय हस्तक्षेप ही समझना होगा!
सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म भी व्यापार करना चाहते हैं। यदि वे भारत में व्यवसाय चाहते हैं तो उन्हें बहुसंख्यक सोच के साथ रहना होगा।
ट्विटर के पहले भारत के प्रमुख राहील खुर्शीद, जो पहले विवादास्पद टीवी चैनल एनडीटीवी के साथ थे (यह अभी भी कैसे चल रहा है? कौन इसे देख रहा है?), भारत के खिलाफ और भारतीय सेना के कश्मीर के मुद्दों पर उनके कई बयानों के लिए बदनाम थे। वह न केवल बीजेपी / दक्षिण पंथ के विरोधी थे, बल्कि वे एक हिंदुओं से घृणा करने वाले भी थे। इसलिए, इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि एनडीटीवी के कई पत्रकार ट्विटर और फेसबुक में काम कर रहे हैं। कोई सामान्य व्यक्ति सोचता है कि सोशल मीडिया लोकतांत्रित समाचारों से भरा है, दक्षिण पंथ की आवाज़ों को इन कथित स्वतंत्र प्लेटफार्मों द्वारा हटा दिया (शैडोबैन) या दबा (थ्रॉटल) दिया गया[2]।
यह याद रखना चाहिए कि भारतीय मतदाताओं को रिझाने के लिए फेसबुक के साथ सांठगांठ के लिए कांग्रेस एक संदिग्ध डिजिटल लॉबिंग फर्म कैंब्रिज एनालिटिका के साथ काम कर रही थी। उनका मिशन क्या था? 2019 में राहुल गांधी को संदिग्ध माध्यमों से भारतीय प्रधानमंत्री बनाना? एमआरजीए? (राहुल को फिर से महान बनाना?) लेकिन भारतीय मतदाता समझदार है और रागा (राहुल गांधी) 2019 में अपने “पुश्तेनी-शहर” अमेठी से चुनाव हार गए।
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2019 के लोकसभा चुनाव और 2018 में, फेसबुक ने कई दक्षिण पंथी पेज और टिप्पणियां (कमेंट्स) हटा दीं। बीजेपी के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने अपने लेख में नाम बताएं हैं कि फेसबुक में कांग्रेस और वामपंथी तंत्र के किन लोगों को नियुक्त किया गया था[3]।
लेफ्ट-लिबरल-कांग्रेस तंत्र से कई बीजेपी-विरोधी और हिंदू-विरोधी व्यक्तियों को ट्विटर और फेसबुक के भारतीय कार्यालयों में नियुक्त किया गया था। जब अंखी दास जैसा कोई व्यक्ति उनकी विचारधारा को नहीं अपना रहा है, तो उन्हें इस तंत्र द्वारा खलनायक बनाया जा रहा है। यह क्रियाकलाप बताता है कि जब भारत में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के कार्यालयों में उनके क्लब के किसी व्यक्ति को नियुक्त नहीं किया जाता है तो वामपंथी-उदारवादी (लेफ्ट-लिबराती) चिंतित है। यह तंत्र क्रूरतापूर्वक दक्षिण पंथियों और जो इनकी विचारधारा के नहीं होंगे उनके कई एकाउंट्स को डिलीट करेगा, उन पर प्रतिबंध लगायेगा। वे सपने देखते हैं कि सोनिया गांधी या राहुल गांधी नियंत्रित शासन भारत में वापस आएगा। सपने देखते रहो! मूल बात यह है कि उनकी मति फिर गयी है और अब उन सभी को कोसते, अनाप-सनाप कह रहे हैं, और आरोप लगा रहे हैं, जो उनकी विचारधारा का समर्थन नहीं करते।
सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म भी व्यापार करना चाहते हैं। यदि वे भारत में व्यवसाय चाहते हैं तो उन्हें बहुसंख्यक सोच के साथ रहना होगा। उम्मीद है, सुधार करने के लिए अगला ट्विटर है, जो अभी इस वाम-लिबरल तंत्र और कांग्रेस में उनके सहयोगियों और कुछ जेहादी-समर्थक संगठनों के पक्ष में है।
संदर्भ:
[1] Facebook policy head Ankhi Das files complaint against ‘violent threats’ – Aug 17, 2020, The Indian Express
[2] Red Agenda – Zuckerberg’s Oversight Board shows FB will stay biased as usual – May 26, 2020, PGurus.com
[3] The Congress charge of a ‘controlled’ Facebook in India – All that is white is not milk! Aug 17, 2020, The Times of India
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