
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बुधवार को अपनी अंतिम रिपोर्ट में दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के परिवार के सदस्य, इंडियन ओवरसीज बैंक (आईओबी) के साथ एक होटल को हड़पने की साजिश में शामिल थे। अपनी 20 पन्नों की रिपोर्ट में, सीबीआई ने कहा कि 2007 में, पूर्व वित्त मंत्री की पत्नी नलिनी अपनी बहन पद्मिनी के लिए तिरुपुर में एक होटल, कम्फर्ट इन को हथियाने में सक्रिय रूप से शामिल थी। एजेंसी ने अपनी अंतिम रिपोर्ट में उच्च न्यायालय को सूचित किया कि उन्होंने प्रारंभिक जांच को एक नियमित मामले में बदलने का फैसला किया है और यह भी बताया कि आईओबी होटल हड़पने में शामिल बैंक अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन के लिए स्वीकृति नहीं दे रहा है।
2016 में पीगुरूज ने पी चिदंबरम के परिवार के सदस्यों द्वारा होटल हड़पने के मामले को उजागर किया था[1]। मामले की समयावधि इस प्रकार है:
- 2007 में, तत्कालीन वित्त मंत्री चिदंबरम की पत्नी नलिनी की बहन पद्मिनी डॉ कथिरवेल के स्वामित्व वाले तिरुपुर के होटल, कम्फर्ट इन को लेना चाहती थीं। लेकिन कथिरवेल नहीं माने। आईओबी के कुछ अधिकारियों का उपयोग करते हुए, होटल के खाते को गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) के रूप में घोषित कर दिया गया और होटल के मालिक के विरोध को देखते हुए जल्दबाजी में नीलामी प्रक्रिया को आयोजित किया गया।
- बैंक ने जबरन नीलामी करवाई और पद्मिनी को बैंक ने मालिक घोषित कर दिया। नलिनी ने कई तरीकों से कथिरवेल पर काबू पाने की कोशिश की और उनके धोखाधड़ी का विवरण 2016 में दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर याचिका में वर्णित है।
- कथिरवेल की ओर से पेश अधिवक्ता यतिंदर चौधरी ने तर्क दिया कि तत्कालीन वित्त मंत्री के परिवार द्वारा पीएसयू बैंक (आईओबी) के साथ सांठगांठ कर होटल मालिक से होटल हड़प लेना भारत में सत्ता के दुरूपयोग का सबसे बड़ा मामला है।
एजेंसी ने यह भी कहा कि पद्मिनी ने वास्तव में मंच प्रबंधित नीलामी के दौरान कम कीमत बोली और बाद में अंतिम समय पर कीमत में वृद्धि की और केवल एक अन्य बोली लगाने वाले ने नीलामी में हिस्सा ही नहीं लिया!
हम चिदंबरम के परिवार के सदस्यों की धोखाधड़ी को उजागर करते हुए, इस लेख के अंत में सीबीआई की 20-पृष्ठों की अंतिम रिपोर्ट प्रकाशित कर रहे हैं। एक मौके पर, चिदंबरम ने वित्तमंत्री रहते कथिरवेल को पत्र लिखा कि उन्होंने अपनी पत्नी को इस मामले में शामिल न होने का निर्देश दिया था। नलिनी ने केस वापस लेने के लिए चेक के माध्यम से कथिरवेल को पैसा भी दिया था और उनके वॉयस रिकॉर्ड (आवाज रिकॉर्ड) भी दिल्ली उच्च न्यायालय में पेश किए गए थे[2]।
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सीबीआई ने विस्तार से बताया कि कैसे इंडियन ओवरसीज बैंक ने जल्दबाजी में और चिदंबरम परिवार के दबाव में, एक होटल को एनपीए घोषित किया और नीलामी को तेजी से संचालित किया, और तत्कालीन वित्त मंत्री की साली को मालिकाना हक दिया। दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा 2017 में मामले की जांच करने के आदेश दिए जाने के कुछ ही हफ़्तों के भीतर पद्मिनी मृत पायी गयी और उनके दामाद को भी 2018 में रहस्यमय परिस्थितियों में मृत पाया गया था। चिदंबरम की पत्नी नलिनी की भूमिका बताते हुए, सीबीआई ने कहा कि होटल के मालिक कथिरवेल पर दबाव डालने में उनकी भूमिका की जांच करने की जरूरत है और साथ ही जिस तरह से बैंक द्वारा नीलामी की गई थी उसकी भी जांच करने की आवश्यकता है। एजेंसी ने यह भी कहा कि पद्मिनी ने वास्तव में मंच प्रबंधित नीलामी के दौरान कम कीमत बोली और बाद में अंतिम समय पर कीमत में वृद्धि की और केवल एक अन्य बोली लगाने वाले ने नीलामी में हिस्सा ही नहीं लिया!
मार्च 2020 में इंडियन ओवरसीज बैंक की आपत्तियों का हवाला देते हुए, नलिनी और पद्मिनी के साथ सांठगांठ करने वाले अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति देने पर, सीबीआई ने उच्च न्यायालय को बताया कि वे चिदंबरम के परिवार के सदस्यों के खिलाफ होटल हथियाने के मामले में एक नियमित मामला दर्ज करने के लिए तैयार हैं। सवाल यह है कि आईओबी सीबीआई को मामले की जांच करने की अनुमति क्यों नहीं दे रहा है? फिर भी, वित्त मंत्रालय के कुछ बिकाऊ अधिकारियों के माध्यम से, क्या चिदंबरम इस मामले की जांच के लिए सीबीआई के तैयार होने के बाद भी आईओबी अधिकारियों पर दबाव बना रहे हैं?
होटल हथियाने के मामले में चिदंबरम परिवार के सदस्यों पर सीबीआई की 20 पेज की अंतिम रिपोर्ट नीचे प्रकाशित की गई है:
Dr. K Kathirvel vs. CBI (Status Report) by PGurus on Scribd
संदर्भ:
[1] Businessman Kathirvel files complaint with CBI against Chidambaram, family & IOB for hotel grab – Sep 25, 2016, PGurus.com
[2] Phone conversation of Nalini Chidambaram exposes her role in hotel grabbing – Apr 27, 2017, PGurus.com
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