क्या चिदंबरम और प्रणाॅय रॉय को बचाने के लिए, राजस्व विभाग और सीबीडीटी ने महिला आईआरएस अधिकारियों के खिलाफ एनडीटीवी से रिश्वत लेने के मामले को बंद कर दिया?

चिदंबरम सरकार के नाक के नीचे एनडीटीवी को बचाने के लिए सीबीडीटी के अदृढ़ अधिकारियों, जिन्हें बिना-पारी पदोन्नति का वादा दिया गया, की सहायता से षड्यंत्र रच रहे हैं।

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राजस्व विभाग और सीबीडीटी में कुछ लोग 2 दागी आईआरएस अधिकारियों को बचाने की कोशिश क्यों कर रहे हैं?
राजस्व विभाग और सीबीडीटी में कुछ लोग 2 दागी आईआरएस अधिकारियों को बचाने की कोशिश क्यों कर रहे हैं?

राजस्व विभाग और सीबीडीटी में कुछ लोग 2 दागी आईआरएस अधिकारियों को बचाने की कोशिश क्यों कर रहे हैं?

 

वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के कुछ अधिकारी अपने पुराने बॉस पी चिदंबरम और एनडीटीवी के मालिक प्रणाॅय रॉय को बचाने के लिए शैतानी खेल खेल रहे हैं जिसमें वे एनडीटीवी, जब एक अधिकारी का पति एनडीटीवी में पत्रकार था, से रिश्वत लेने और लाभ स्वीकार करने के लिए पकड़े गए दो महिला आईआरएस अधिकारियों को बचा रहे हैं। ताजी खबर यह है कि वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग और सीबीडीटी के वरिष्ठ अधिकारी, सदस्य (प्रशासन) पीसी मोदी सहित, महिला आईआरएस अधिकारियों शुमना सेन और आशिमा नेब के खिलाफ आपराधिक अभियोजन मामले को बंद करने की कोशिश कर रहे हैं। शुमना सेन को आय के मामलों में एनडीटीवी की मदद करते हुए पकड़ा गया था जब वह एनडीटीवी के टैक्स सर्कल की शीर्ष अधिकारी थी और उसका पति अभिसार शर्मा एनडीटीवी में पत्रकार था।

एक साधारण सवाल यह उठता है कि अगर रिश्वतखोर कर चोरी करने वाले आईआरएस अधिकारी शुमना सेन और आशिमा नेब और पत्रकार अभिसार शर्मा एनडीटीवी लिमिटेड द्वारा प्राप्त रिश्वत पर कर का भुगतान नहीं करने के दोषी नहीं है, तो वे क्यों डर रहे हैं?

एनडीटीवी को बचाने के लिए की गई धोखाधड़ी और महिला आईआरएस आयकर अधिकारी और उनके सहयोगी द्वारा अर्जित रिश्वत और लाभों को मुखबिर आयकर आयुक्त एसके श्रीवास्तव ने उजागर किया, जिन्होंने तत्कालीन वित्त मंत्री चिदंबरम के क्रोध का सामना भी किया[1]

बाद में सभी अदालतों में चिदंबरम के आदेश पर श्रीवास्तव के खिलाफ दर्ज किए गए झूठे मामले खारिज हो गए और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के सक्त निर्देशों के अनुसार, वित्त विभाग को इन दोनों महिला अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति जारी करनी पड़ी। यह देखते हुए कि यह उनके लिए खतरा होगा, चिदंबरम और प्रणाॅय रॉय वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग और सीबीडीटी में पैरवी कर रहे हैं।

राजस्व विभाग, वर्तमान में ए बी पांडे की अध्यक्षता में है, और सीबीडीटी के सदस्य (प्रवेश) पी सी मोदी महिला आईआरएस अधिकारियों आशिमा नेब और सुमना सेन और उनके विवादास्पद पत्रकार पति अभिसार शर्मा के खिलाफ आपराधिक मुकदमा रोकने की कोशिशों में लगे हुए हैं। अगर आपराधिक मुकदमा शुरू होता है, तो मामला चिदंबरम और प्रणाॅय रॉय तक पहुंच जाएगा। सबसे बड़ा सवाल यह है कि कैसे ये अधिकारी आपराधिक अभियोजन को बंद करने की कोशिश कर रहे हैं जबकि अभियोजन के लिए मंजूरी स्वयं प्रधान मंत्री के सक्त आदेशों के बाद दिया गया था।

सीबीडीटी और इसके सदस्य (प्रवेश) पीसी मोदी, जो बहुत जल्द ही सीबीडीटी के अध्यक्ष नियुक्त होने की उम्मीद कर रहे हैं, को डर है कि अगर एक बार आयकर विभाग द्वारा रिश्वत लेने वाले कर-चोर आईआरएस शुमना सेन और आशिमा नेब और पत्रकार अभिसार शर्मा के खिलाफ आयकर विभाग द्वारा एनडीटीवी लिमिटेड से प्राप्त घूस पर कर का भुगतान नहीं करने के लिए आपराधिक मामले दायर किए गए; कोई भी, चिदंबरम भी एनडीटीवी लिमिटेड, प्रणाॅय रॉय और राधिका रॉय को नहीं बचा सकता। यदि आपराधिक मुकदमा शुरू होता है, तो स्वचालित रूप से मामला शीर्ष अधिकारियों तक पहुंचेगा। इस मामले से स्पष्ट होता है कि चिदंबरम ने इन रिश्वत लेने वाले अधिकारियों की सहायता की थी।

शुमना सेन दिल्ली उच्च न्यायालय में मामला हार गई थीं। इन दोनों अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन के लिए अनुमति देते हुए निर्णय लेख के नीचे प्रकाशित किया गया है।

आयकर कानून के अनुसार प्राप्त रिश्वत पर कर का भुगतान नहीं करने के लिए आपराधिक मुकदमा चलाने का प्रावधान है और आईआरएस अधिकारी शुमना सेन, आशिमा नेब, और पत्रकार अभिसार शर्मा ने एनडीटीवी से प्राप्त रिश्वत पर कर का भुगतान नहीं किया था; इसलिए आयकर विभाग उनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज करने की सही करवाई कर रहा है। इस मामले पर दिल्ली के मुख्य आयुक्त अशोक कुमार ने विस्तार से विचार किया, जिन्होंने अपने संवैधानिक आदेश दिनांक 30.03.2017 से, हाँ 21 महीने पहले, रिश्वत लेने वाले कर चोरी करने वाले आईआरएस अधिकारी शुमना सेन और आशिमा नेब और पत्रकार अभिसार शर्मा पर एनडीटीवी लिमिटेड से उनके द्वारा प्राप्त रिश्वत पर कर का भुगतान नहीं करने के लिए आपराधिक मुकदमे को मंजूरी दे दी थी और एक बार दी गई मंजूरी को किसी भी स्तिथि में वापस नहीं लिया जा सकता है।

लेकिन एनडीटीवी लिमिटेड और पी चिदंबरम को बचाने, जिन्हें तब ही बचाया जा सकता है अगर भ्रष्ट आईआरएस अधिकारियों और अभिसार शर्मा को बचाया जाए, की अपनी उत्सुकता में पीसी मोदी 10 दिनों से मुख्य आयुक्त अनिल कुमार, आईआरएस पर अवैध रूप से कार्य करने और या तो सरकारी फ़ाइल को नष्ट करने या उसके पूर्ववर्ती द्वारा दी गई मंजूरी को रद्द करने के लिए दबाव डाल रहे हैं।

पीसी मोदी द्वारा अतिसन्धान

पीसी मोदी के कृत्य और आचरण की अवैधता, जो एक बैच (श्री आदित्य विक्रम, आईआरएस 1981) से अपने वरिष्ठ की जगह स्वयं सीबीडीटी का अध्यक्ष बनाने की उम्मीद कर रहा है, जिसे आयकर कानून के तहत आपराधिक मुकदमें बताए गए हैं को सीबीडीटी के सदस्य (प्रवेश) द्वारा निपटा नहीं जाता है बल्कि सदस्य (जांच), सीबीडीटी द्वारा निपटा जाता है। श्री सुशील चंद्रा (आईआरएस 1980) सदस्य (जांच), सीबीडीटी हैं और कानून के मुताबिक केवल वे ही रिश्वत लेने वाले कर चोरी करने वाले आईआरएस अधिकारियों शुमना सेन और आशिमा नेब और पत्रकार अभिसार शर्मा के एनडीटीवी लिमिटेड से प्राप्त रिश्वत पर कर का भुगतान नहीं करने के आपराधिक मुकदमे के मामले में कोई रिपोर्ट मांगने के लिए सक्षम हैं, लेकिन सदस्य (प्रवेश), सीबीडीटी पीसी मोदी की कार्यप्रणाली से अवगत भी नहीं हैं। नेशनल हेराल्ड-एजेएल धोखाधड़ी मामले में मां और बेटे को बचाने के लिए 31.12.2018 को जारी किए गए शरारती सीबीडीटी परिपत्र को प्राप्त करने के पीछे कौन होगा ये समझना मुश्किल नहीं है।

पी चिदंबरम और एनडीटीवी के लिए कल तक चीजें अच्छी थीं। लेकिन, उनके लिए दुर्भाग्यवश, एस.के. श्रीवास्तव, आईआरएस को सीबीडीटी में खेली जा रही धोखाधड़ी का पता चल गया और वे मुख्य आयुक्त [सुश्री गीतमाला मोहनानी, आईआरएस 1985] से मिले और मामले को शांत करने के सरासर अवैध प्रयास पर शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन किया और कहर टूट पड़ा। तत्काल, शुमना सेन और आशिमा नेब को राजस्व सचिव ए.बी. पांडे [आयएएस 1984 महाराष्ट्र] के पास भेजा गया ताकि वे एसके श्रीवास्तव, आईआरएस द्वारा यौन उत्पीड़न, छेड़छाड़ और बलात्कार के ड्रामा को फिर से दोहरा सके और जिसके बदले में उन्हें एनडीटीवी लिमिटेड से रिश्वत लेने और उस रिश्वत पर कर से बचने की अनुमति दी जानी चाहिए और शाम के सदस्य (प्रवेश), सीबीडीटी द्वारा के लिए, पीसी मोदी ने फतवा जारी किया कि शनिवार, 19 जनवरी को आयकर कार्यालय छुट्टी होने के बावजूद खुला रहेगा और शुमाना सेन, आशिमा नेब और अभिसार शर्मा के खिलाफ आपराधिक मामले को बंद करने के लिए आयकर विभाग द्वारा सुबह 10 बजे तक एक रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी।

मुख्य आयुक्त बाला (आईआरएस 1990) को अनिल कुमार [आईआरएस 1985] के घर तुरंत भेजा गया, ताकि वह शनिवार 19 जनवरी 2019 को सुबह 10 बजे तक राजस्व सचिव को वांछित रिपोर्ट सौंपने के लिए कह सके। क्रोधित अनिल कुमार छुट्टी पर चले गए और मुख्य आयुक्त बाला को किसी तरह जूनियर अधिकारियों से काम करवाने की व्यवस्था करनी पड़ी।

एक साधारण सवाल यह उठता है कि अगर रिश्वतखोर कर चोरी करने वाले आईआरएस अधिकारी शुमना सेन और आशिमा नेब और पत्रकार अभिसार शर्मा एनडीटीवी लिमिटेड द्वारा प्राप्त रिश्वत पर कर का भुगतान नहीं करने के दोषी नहीं है, तो वे क्यों डर रहे हैं? क्योंकि वे अदालत को अपनी कहानी बता सकते हैं और बरी हो सकते हैं लेकिन दूध का जला छाछ भी फूँक – फूँककर पीता है और दो बार जले जा चुके हैं, उपरोक्त उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को याद रखें, कोई जोखिम कैसे उठा सकता है? इसलिए, पी सी मोदी, जिसे पी चिदंबरम ने अपने समर्थक अरबिन्द मोदी के माध्यम से इस महीने के अंतिम सप्ताह में सीबीडीटी अध्यक्ष बनाने का आश्वासन दिया है, ने स्वयं कटु आलोचना करने का निर्णय लिया है और इस मामले को अदालत तक पहुंचाने का गंभीर जोखिम नहीं उठाने का फैसला किया है।

राजस्व और सीबीडीटी विभाग में बहुत सारे सीधे और ईमानदार आईआरएस अधिकारी हो सकते है, लेकिन चिदंबरम जैसे आदतन धोखेबाज और प्राणॉय रॉय जैसे सीरियल घोटालेबाज हजार साल में एक बार पैदा होते हैं और इसलिए, सीबीडीडी को एनडीटीवी, पी चिदंबरम, कर-चोरी करने वाले आईआरएस अधिकारी सेन, नेब और पत्रकार अभिसार शर्मा को उनके द्वारा एनडीटीवी लिमिटेड से प्राप्त रिश्वत पर कर का भुगतान नहीं करने के कृत्यों से बचाने के इच्छुक हैं।

राजस्व और सीबीडीटी विभाग में कानून का कोई मुल्य नहीं है। क्या राजस्व सचिव एबी पांडे कोई ठोस कदम उठाएंगे या उनके प्रसिद्धवरिष्ठों, अशोक चावला, आईएएस और अशोक झा, आईएएस, जो अब अपने बॉस चिदंबरम के साथ एयरसेल-मैक्सिस मामले में अभियोजन का सामना कर रहे, के कदमों पर ही चलेंगे? समय ही बताएगा।

दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले और दो महिला आईआरएस अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन के लिए स्वीकृति नीचे दी गई है।

Prosecution Sanction Qua ANSSAS 2017 – Copy by PGurus on Scribd

Delhi HC Order Oct 19, 2012 by PGurus on Scribd

References:

[1] NDTV Frauds: The Real CulpritAmazon.in

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