लोग कह रहे है कि तबलीगी जमात के मुख्यालय से 18 मीटर दूर थाना था फिर भी पुलिस ने कुछ नहीं किया, पर्यटक वीज़ा पर आकर विदेशी मज़हब का प्रचार करते रहे लेकिन किसी ने कुछ नहीं किया।
रिलैक्स, आप थे कहाँ अब तक?
भारत की संसद में एक सांसद (भूतपूर्व पुलिस अधिकारी ) द्वारा बोला गया, और अभी तक रिकोर्ड पर है कि एक मुख्यमंत्री द्वारा हैदराबाद आतंकी हमले के आरोपियो को छुड़वाया गया, उस दिन आप कहाँ थे?
अखिलेश यादव ने रामपुर सीआरपीएफ कैम्प आतंकी हमले के आरोपियों को छुड़ाने के लिए अर्ज़ी दी थी, जिन्हें बाद में उम्र क़ैद की सज़ा हुई, उस दिन आप कहाँ थे?
कवाल मुज़्ज़फ़्फ़रनगर हत्याकांड के आरोपी मुसलमानो को छोड़ने से मना करने वाले एसएसपी और ज़िलाअधिकारी का रात में अखिलेश द्वारा स्थानतंत्रण कर दिया गया, उस दिन आप कहाँ थे?
हज़ारों कहानिया है। बस इतना समझ लीजिए कि मुसलमानो पर भारत का क़ानून लागू होना बहुत पहले समाप्त हो चुका है। आप सोचते थे ये सब आप से बहुत दूर किन्ही अन्य लोगों के साथ होता है। लेकिन अब आप जानते है कि भाईजान कोरोना लेकर आपके दरवाज़े तक आ पहुँचा है।
चुनाव का सीधा साधा मॉडल है भारत में: एक हिंदू जाति को पकड़ो, साथ में मुसलमानो को लो, सत्ता पक्की। हिंदू को कुछ एक सौ चपरासी और सिपाही की नौकरी दो (वो भी बिना पैसे लिए नहीं), और मुसलमान? मुसलमान को कोई चपरासी की नौकरी नही चाहिए, उसका कबाड़ी वाला भी पहले दिन से चपरासी से दुगना कमाता है। उसे भारत के क़ानून से मुक्ति चाहिए। वोट बैंक मैनेजर उसे क़ानून से मुक्त कर देता है। शहर के रेह्डी बाज़ार, टैक्सी व्यवसाय, रंगदारी, और अपराध पर मुसलमान का अधिकार हो जाता है। हिंदू व्यवसायी उन्हें हफ़्ता देना आरम्भ कर देते है।
जात भी ख़ुश, मुसलमान भी ख़ुश।
और सरकारी अधिकारी? सरकारी अधिकारी शपथ संविधान की लेता है लेकिन, इच्छा घूस की होती है। मुख्यमंत्री उसे नौकरी से नहीं निकाल सकता, लेकिन मलाईदार पोस्ट से हटा सकता है। पोस्ट जाने पर अधिकारी का नुक़सान कई सौ करोड़ तक हो सकता है। अधिकारी समझौता करता है। लेकिन उसे ज्ञात होता है कि जो वो कर रहा है उससे देश का क्या होने वाला है। इसलिए वह बच्चों को विदेश भेज देता है।
भारत में मुसलमान की ताक़त किसी हिंदू जाति के भ्रष्टाचार और हिंदू अधिकारियों के भ्रष्टाचार का परिणाम है। और जातियों का और अधिकारियों का भ्रष्टाचार उस हिंदू मूर्खता का परिणाम जो सोचती है कि हम अनैतिक, भ्रष्ट, कुइच्छा रखने वाले अधर्मी हो सकते है और इसके बाद भी हमारा तथा हमारे बच्चों का कोई भविष्य हो सकता है। और प्रकृति मूर्खों के प्रति अत्यंत निर्दयी होती है।
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