भगवान बालाजी के गहने गायब होने का मामला

भागवान बालाजी को कैसे लूटना है, इसका एक टीटीडी नमूना। 

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भागवान बालाजी के गहने गायब होने का मामला
भागवान बालाजी के गहने गायब होने का मामला

यह उदाहरण यह निष्कर्ष निकालने के लिए पर्याप्त है कि तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) की लेखा प्रक्रियाओं और उनको सौंपे गए भक्त के विश्वास को संभालने में उनकी ईमानदारी के साथ सब कुछ ठीक नहीं है।

भगवान के धन को हथियाने के लिए मनुष्य के लालच की कोई सीमा नहीं है। सही उदाहरण के लिए, भगवान वेंकटेश्वर और उनकी संपत्ति के प्रशासक टीटीडी से आगे जाने की जरूरत नहीं है। उनके लाखों भक्तों में से प्रत्येक उनके मंदिर में योगदान देता है। कुछ पूर्ण भक्ति भाव से। कुछ अपने लाभ के प्रतिशत के रूप में अपने साथी भगवान को देते हैं। कुछ लोग भगवान द्वारा उनकी प्रार्थना स्वीकारे जाने के लिए बदले में सौदे के रूप में देते है। कुछ प्रायश्चित्त के रूप में। कारण विविध हो सकते हैं। तथ्य यह है कि वह सदियों से सबसे अमीर हिंदू भगवान रहे है। भगवान अभी भी कुबेर को अपना दिव्य ऋण चुका रहे है। कर्मचारी अपने भोजन के हर एक के लिए भगवान के ऋणी है। वे उस दिव्य ऋण की अदायगी और भी कठिन बना रहे हैं। उनके खजाने से चोरी करके। उनका संरक्षक, जो टीटीडी है, भगवान के इर्दगिर्द इस तरह स्थित बेईमान लुटेरों को “सज़ा देने”/ उकसाने / इनाम देने के लिए हास्यास्पद तरीके ढूंढता है।

मेरे हिसाब से जो दिनदहाड़े डकैती है उसके सिर्फ एक उदाहरण को मैं उजागर कर रहा हूं। सिर्फ उस आदमी या टीम की नहीं जिसने यह किया। लेकिन टीटीडी की जिसने हमारा भरोसा लूट लिया है। और फिर भी हमारे भगवन का संरक्षक बना हुआ है। इस घोटाले की व्यापकता ने मुझे झकझोर दिया है। और आप में से प्रत्येक वाचक को चौंका देगा। आभूषण गायब होने का मामला 2016-18 के समय काल का है, वह दौर जब चंद्रबाबू नायडू आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री (सीएम) थे। और स्वयं उनके द्वारा चुने गए लोग प्रशासन में महत्वपूर्ण पदों पर स्थित थे, जिसमें सतर्कता, ट्रेजरी, मंदिर प्रशासन, वित्त और लेखा आदि शामिल थे।

हम लापता गहने के बारे में बात कर रहे हैं और वे गहने में शेष पत्थरों के आधार पर मूल्य का हिसाब लगाने के बारे में बात कर रहे हैं। क्या अभाव सूची में गहना नहीं है? पहले से ही गायब हो गया है?

1. श्रीनिवासुलु, टीटीडी ट्रेजरी में एईओ को वीक्यूसी (वैकुंठम कतार परिसर) के एईओ (सहायक कार्यकारी अधिकारी) के रूप में स्थानांतरित किया गया। वास्तव में यह सिर्फ एक और नया अवैध पैसा बनाने का तरीका है। अपनी नई जिम्मेदारी सम्भालने से पहले, उन्हें पी. प्रभाकरा रेड्डी, एईओ (ट्रेजरी) को प्रभार सौंपना होगा। इसलिए, टीटीडी ट्रेजरी में गहने/भंडार का भौतिक सत्यापन 18-08-2016 को शुरू हुआ और 10-10-2017 को समाप्त हुआ।

2. भंडार विवरण के अनुसार वस्तुसूची के समापन पर, टीटीडी सर्टिफिकेट बताता है, अतिरिक्त वास्तुएं देखे गए (एक्ज़िबिट-बी)। उन्होंने कमीयां भी पाई। अतिरिक्त वस्तुओं में मोती, मूंगा, ढीले पत्थर, प्राथमिक सोने के सिक्के आदि हैं, लेकिन दिलचस्प बात 778.050 किलोग्राम चांदी की उपस्थिति है। इस लेख में बाद में यह चाँदी कितनी महत्वपूर्ण है, मैं बताऊँगा।

जाहिर है, अतिरिक्त वास्तुएं वे हैं जो स्कन्ध प‌ंजी (स्टॉक रजिस्टर) में दर्ज नहीं होते। ई.ओ., टीटीडी ने अधिकृत रूप से टीवी पर कहा है कि उनके पास सबसे अच्छा सतर्कता विभाग है। इसलिए, कोई भी गहने उचित तरीके से दर्ज किया बिना अंदर लाए या या बाहर नहीं निकाले जा सकते हैं। क्रूर मजाक यहाँ समाप्त नहीं होता।

कमीयों में निम्नलिखित शामिल हैं: (प्रदर्शन-बी)

S.No Stock Particulars Quantity Weight
Kg-Gms-Mgs
Value
Rs.
1. Itallics mine and I will explain it later in this article. 2 Nos Gold Rings with Ordinary stones and 2 Nos. Gold Necklace with Ordinary stones stock 04 Nos 000.147.400×2839/-     4,18,469.00
2 Gold coins separated from Primary Gold 53 Nos 000.440.700×2839/- 12,52,147.00
3 *TTD’s biggest joke on this narrated in their own order. Silver Kireetam* 1 No 005.400.000×43000/-  2,32,200.00
4 Silver coated copper coins (SCCR) 028.548.520×500/-     14,274.00
5 Aluminium coins 001.280.000×136/-           174.00
Total 19,15,264.00

 

टीटीडी ने अभाव का कीमत रु 19,15,264 बताया जो उसके अधिकारियों और चुनिन्दा मूल्यांककों / आईटी मूल्यांककों द्वारा प्रमाणित किया गया। गुप्त जांच और एम श्रीनिवासुलु, जिनके कार्यकाल में गहने और सिक्के गायब हो गए थे, से स्पष्टीकरण की मांग का पहल किया गया। इस मुद्दे पर बोर्ड की बैठकें हुईं। केवल भागवान जानता है कि दिखावे के जांच और मुलाकात में क्या हुआ। श्रीनिवासुलु द्वारा बंद दरवाजे की बैठकों में दिए गए विभिन्न स्पष्टीकरणों को ज्यों के त्यों स्वीकारा गया। क्योंकि ईओ, बोर्ड आदि इस आदमी की ईमानदारी के बारे में इतना आश्वस्त थे कि 05-06-2018 को, ईओ ने एक आदेश पारित किया: प्रोसीडिंग्स आरओसी क्रमांक सी3/43/आईएनवी/ 2016, जिसमें स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि टीटीडी को एम श्रीनिवासुलु, एईओ (वीक्यूसी) से रु 7,36,376 की वसूली करनी चाहिए, ट्रेजरी अनुभाग से कुछ कमी की ओर हस्तांतरित किए गए। भगवान ही जानता है कि कैसे रु .9,15,264 का आंकड़ा मिला और कैसे टीटीडी ने श्रीनिवासुलु से मात्र रु 7,36,376 की वसूली स्वीकार कर ली है।

टीटीडी का दावा है कि जो दो अंगूठियां और दो हार गायब है उनमें साधारण पत्थर थे। तिरुपति में जानकर लोगों का कहना हैं कि ये बहुत ही दुर्लभ और कीमती हीरे हैं, साधारण पत्थर नहीं। एक्ज़िबिट बी देखें, सभी चार वस्तुओं का मूल्य 4,18,489 रुपये है जब वास्तविक मूल्य करोड़ों में होना चाहिए अगर ये हीरे थे और साधारण पत्थर नहीं।

टीटीडी प्रमाण पत्र में कहा गया है कि “सत्यापन के पूरा होने की तारीख पर, अर्थात 10/10/2017, कमी का मूल्य वर्तमान बाजार मूल्य पर लिया गया है, गहने में शेष अन्य पत्थरों के वजन और प्रकृति को ध्यान में रखते हुए“। क्या यह विडंबना नहीं है? हम लापता गहने के बारे में बात कर रहे हैं और वे गहने में शेष पत्थरों के आधार पर मूल्य का हिसाब लगाने के बारे में बात कर रहे हैं। क्या अभाव सूची में गहना नहीं है? पहले से ही गायब हो गया है?

रुको, पिक्चर अभी बाकी है।

यहां टीटीडी कहानी में ट्विस्ट आता है। अब, 25/07/2018 को एम श्रीनिवासलू एक प्रतिनिधित्व प्रस्तुत करता है। उनका अनुरोध बहुत सरल 4-बिंदु नुसख़ा:

1. कमी और मूल्य का विवरण देने

2. पुरातत्व विभाग के प्रतिनिधि द्वारा प्रमाणीकरण के बाद पहुंचे गए अंतर राशि को किस्तों में भरने की अनुमति, जो उसकी लापरवाही के कारण हुई (अभाव क्रमांक 2 – एक सोने का सिक्का जिसका वजन 000.025.100 x2839/- = 71, 259/- है)

यदि आपको लगता है कि अभाव में केवल साधारण सोने के सिक्के हैं, तो आप गलत हैं। टीटीडी का आदेश स्पष्ट रूप से बताता है: सहायक ईओ (ट्रेजरी) को अनुमति है:

एम. श्रीनिवासुलु, एईओ (वीक्यूसी) से प्रत्येक मूल्यवान वस्तुओं की निम्न कमी की ओर (यहीं पर बंद दरवाजे की बैठकों के बाद 19 लाख की राशि को 7.36 लाख तक कम किया गया) रु 7,36,376 वसूली की जाए:

S.No. Stock Particulars Quantity Weight
Kg-Gms-Mgs
Value
1 2 Nos. Gold Rings with “Ordinary stones” and 2 Nos of Gold Necklace with “Ordinary Stones” 04 Nos 000.147.400×2839/-  4,18,469.00
2 Gold Coins separated from primary gold 1 Nos 000.025.100×2839/-     71,259.00
3 Silver Kireetam 1 No 005.400.000×43000/-  2,32,200.00
4 Silver coated copper coins 028.548.520×500     14,274.00
5 Aluminium coins 001.280.000×136          174.00
Total Rs.  7,36,376.00

 

रुको, मैं आश्चर्यचकित हूं कि वे बहुत प्राचीन मूल्य के 52 सिक्कों, जो गायब हो गए, के मूल्यांकन पर कैसे पहुंचे; वे इन 52 प्राचीन सिक्कों के लिए रु 71,259/- के मूल्य पर पहुंचे और जब यह राशि वसूली जाएगी , आदेशानुसार ट्रेजरी के अधिकारियों को यहां मौजूद वस्तुओं के विरुद्ध आवश्यक विलोपन प्रविष्टियाँ करना चाहिए। अब किताबों में आइटम, उनके मूल्यांकन और प्रविष्टियों को हटाने के लिए टीटीडी का आदेश देखें:

S.No Item No. Description of the Item Quantity Weight
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(My note: ATQ stands for Antique)

ATQ 152 Gold coins having the portrait of King George IV, Edward-VII and Victoria OGI 1902 to 1914 on the obverse a soldier on a horse killing the dragon with a sword 49 413.700
2 ATQ 153 Gold Coin Bahmani Dynasty coins both obverse and reverse having Persian script 2 19.050
3 ATQ 154

(they note it is a rare coin, as though other coins aren’t)

Gold coin having George IV obverse and Edward VII reverse, it is a rare coin 1 7.950
Total weight 440.700

 

इन सभी प्राचीन सिक्कों का मूल्य रु 71,259 / – (केवल रुपए इकहत्तर हजार दो सौ उनतालीस)।

हे भगवान। यदि यह आपको झक्की नहीं बना देता, तो कहानी में एक और झक्की मोड़ की प्रतीक्षा करें:

याद है, 5.400 किलोग्राम चांदी मुकुट भी गायब है? वास्तव में हमे बेवकूफ़ बनाया जा है। एम श्रीनिवासुलु अपने प्रतिनिधित्व में बिंदु 3 में टीटीडी को लिखते हैं:

3) चूंकि 11.778 किलोग्राम अधिक चांदी दिया गया इसलिए चांदी मुकुट (5.400 किलोग्राम) की कमी के भरपाई से छूट दी जाए, जिससे उसकी लापरवाही के कारण हुए (शॉर्टेज नं .3) अनुपस्थित त्रुटि (हुह! टेनिस कहां आया?) से उसे छुटकारा दिया जाए।

4) ट्रेजरी में सत्यापन पूरा होने तक ध्यान में लिए गए अभाव पर छूट (1,4 और 5)।

यह 11.778 किलोग्राम चांदी को अतिरिक्त के रूप में पाया गया। यानी ये स्टॉक में दर्ज नहीं था। उसकी धृष्टता और स्वीकृति को देखें। वह चाहते हैं कि अभाव को दिए गए अतिरिक्त चांदी के साथ समायोजित किया जाए।

क्या टीटीडी ट्रेजरी उनकी व्यक्तिगत तिजोरी है? क्या वह अतिरिक्त चांदी का मालिक है?

स्वाभाविक रूप से उठने वाले कुछ प्रश्न निम्नलिखित हैं:

1) इसे क्यों साधारण अभाव/वसूली प्रक्रिया के रूप में देखा गया और चोरी के रूप में क्यों नहीं और पुलिस में शिकायत करके व्यक्ति (व्यक्तियों) को पूछताछ के लिए क्यों नहीं सौंपा गया?

2) ट्रेजरी में कई गहने और कीमती पत्थर क्यों हैं जो अभी भी बेहिसाब है या भंडार रजिस्ट्री में नहीं लिये गए हैं?

3) टीटीडी इस निष्कर्ष पर कैसे पहुंचा कि गायब हुए अंगूठीयों और हारों में केवल साधारण पत्थर थे? जब वे कहते अन्य पत्थरों (गायब गहने के) से मूल्य का हिसाब लगाया गया तब उनका झूठ पकड़ा जाता है

4) किसी को भी यह कैसे पता चला कि ऐसे 52 प्राचीन सिक्कों का मूल्य लगभग 72,000/- ही है

5) बहुप्रचारित ईओ के इस कथन का क्या हुआ कि उनके पास सबसे अच्छी सतर्कता प्रणाली है और कुछ भी बिना देखे या अभिलेखित किए बिना अंदर या बाहर नहीं जा सकता है?

6) टीटीडी केवल भगवान बालाजी का संरक्षक है। किसने टीटीडी को यह अधिकार दिया कि वह भगवान को चढ़ाए गए चढ़ावा का निरस्तीकरण करे?

7) ऐसा क्यों है कि भंडार का कोई वार्षिक परीक्षण नहीं लिया जाता है और रिपोर्ट दर्ज की जाती है? टीटीडी के आदेशों में से एक जो यहां प्रकाशित की गई है वह स्पष्ट रूप से उप-कार्यकारी अधिकारी (ट्रेजरी और इन्वेंटरी) को ट्रेजरी में भंडार का वार्षिक भौतिक सत्यापन करने के लिए “अनुरोध” करता है। (यह ध्यान रखना बहुत ही उचित होगा कि जब तक आभूषण 4 भगवान की सेवा करने वाले अर्चक मिरासदार परिवारों के नियंत्रण में थे, तब तक वे अगले परिवार को सेवा सौंपने से पहले ईमानदारी से गहनों का वार्षिक भौतिक सत्यापन करते थे। यह खुलेआम और तत्कालीन वरिष्ठ टीटीडी अधिकारियों की उपस्थिति में) किया जाता था।

8) ईओ ये बयान क्यों दे रहा है कि सभी आभूषण बरामद किए गए हैं? क्या उक्त लापरवाह दोषी से कोई वसूली नहीं की जा रही है?

9) टीटीडी कौनसे फ़र्जी वसूली प्रक्रिया का अनुसरण कर रहा है जब देश के कानून में वसूली करने और अपराधी को दंडित करने की स्पष्ट प्रक्रिया है।

10) टीटीडी के कितने कर्मचारी, जिनमें टीटीडी ट्रेजरी, विजिलेंस, एडमिनिस्ट्रेशन और बोर्ड के लोग चल इस अवैध धंधा में शामिल हैं?

मैं आश्वस्त हूं कि यह उदाहरण यह निष्कर्ष निकालने के लिए पर्याप्त है कि तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) की लेखा प्रक्रियाओं और उनको सौंपे गए भक्त के विश्वास को संभालने में उनकी ईमानदारी के साथ सब कुछ ठीक नहीं है। लगता है टीटीडी खुद को भागवान, जो वास्तविक मालिक है, के संरक्षक के बजाय मंदिर और उससे संबंधित संपत्तियों का मालिक समझाता है।

इस खबर को अंग्रेजी में यहाँ पढ़े।

डॉ सुब्रमण्यम स्वामी ने पहले ही सरकार को टीटीडी छोड़ने के लिए आंध्र उच्च न्यायालय में मामला दायर किया है। मैं डॉ स्वामी से आग्रह करूंगा कि एक अंतरिम राहत के रूप में, इस घोटाले के आलोक में, उन्हें अदालत से तुरंत आभूषण घोटाले की सीबीआई जांच का आदेश देने की मांग करनी चाहिए, साथ ही आभूषण मूल्यांकनकर्ताओं, जेमोलॉजिस्टों आदि की एक समिति वास्तव में भगवन की मौजूदा आभूषणों का भौतिक परीक्षण करने के लिए नियुक्त करे और परिणाम को टीटीडी वेबसाइट पर प्रदर्शित किया जाए।

कम से कम, भक्तों को पता होगा कि भविष्य के लिए मानदण्ड (बेंचमार्क) क्या हो सकता है।

पाठक के संदर्भ के लिए नीचे दस्तावेज संलग्न किए गए हैं:

ध्यान दें:
1. यहां व्यक्त विचार लेखक के हैं और पी गुरुस के विचारों का जरूरी प्रतिनिधित्व या प्रतिबिंबित नहीं करते हैं।

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