दुनिया के मुकाबले भारतीय महिलाएं बॉस की कुर्सी तक पहुंचने में अधिक सक्षम
ग्रांट थॉर्नटन की इंटरनेशनल बिजनेस रिपोर्ट-2022 के नए आंकड़े सामने आए हैं। इस सर्वे में 29 देशों की 10 हजार कंपनियां शामिल रहीं। इसके मुताबिक 2017 में दुनिया भर में महिला बॉस 25% थीं, जो 2022 में 32% ही हो पाईं, लेकिन भारत में महिलाओं के लिहाज से आंकड़े बेहतर हैं।
देश में 2017 से 2022 के बीच कंपनियों में बॉस की कुर्सी तक पहुंचने वाली महिलाओं की संख्या दोगुनी से भी ज्यादा बढ़ गई है। साल 2017 में वरिष्ठ पदों पर काम करने वाली महिलाएं 17% थीं, जो 2022 में 38% हो गईं। यानी पांच साल में दुनियाभर में बॉस बनने वाली महिलाओं की तुलना में करीब 3 गुना ज्यादा।
ग्रांट थॉर्नटन के भारत की 250 से ज्यादा कंपनियों पर किए गए सर्वे के नतीजे कहते हैं कि कोरोनाकाल के बाद पनपे नए वर्क कल्चर से महिलाओं को ज्यादा फायदा हुआ है। सर्वे के मुताबिक, 63% का मानना है कि वर्क फ्रॉम होम और काम के घंटों की आजादी जैसे नए वर्क कल्चर से महिला कर्मचारियों को लाभ हुआ है।
49% का यह भी कहना है कि कंपनी में महिला व पुरुष का औसत सुधारने के लिए स्टेक होल्डर्स ने दबाव बढ़ाया। वहीं, 90% ऐसा मानते हैं कि इस नए वर्क कल्चर की वजह से लंबी अवधि में भी महिलाओं के करियर को और ऊंची उड़ान मिल सकती है।
महिलाएं सिर्फ पदोन्नति पा रही हैं, ऐसा नहीं हैं… वे अपने दम पर कारोबार खड़ा करने और रोजगार देने के मामले में भी कम नहीं हैं। इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन की रिपोर्ट के मुताबिक, देश के 45 फीसदी स्टार्टअप की मालकिन महिलाएं हैं। यही नहीं, लगभग 20% मध्यम और लघु उद्योगों की कर्ताधर्ता महिलाएं हैं।
देश में करीब 43.2 करोड़ महिलाएं काम करती हैं। 1.35-1.57 करोड़ उद्योगों की मालिक महिलाएं ही हैं और इनसे 2.2 से 2.7 करोड़ लोगों को रोजगार मिला हुआ है। अनुमान है कि 2030 तक महिलाओं के स्थापित उद्योग 3 करोड़ तक पहुंच जाएंगे, जिनमें 15-17 करोड़ लोगों को रोजगार मिलेगा।
[आईएएनएस इनपुट के साथ]
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