अल-कायदा का गढ़ बन रहा असम
भारत के उत्तर पूर्वी राज्य असम में अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन अल कायदा और उसकी इकाई अंसारुल बांग्ला ने अपने पैर पसार लिए है। पिछले दो सालों से सक्रिय इस संगठन ने असम में कैसे अपनी जमीन तैयार की और भारत के खिलाफ माहौल बनाया। पांचों जिहादी किस तरह विदेशी ताकतों की मदद से भारत की आंतरिक शांति को भंग करने की फिराक में लगे थे।
ये पांचों लोग कथित रूप से अल कायदा और उसके संगठन अंसारुल बांग्ला टीम से जुड़े हुए हैं। इसमें सबसे पहला चेहरा है मुस्तफा… आरोप है कि यही असम के मोरगांव जिले में अल कायदा की गतिविधियों को फैलाने का सूत्रधार है। पुलिस ने इसे 27 जुलाई को गिरफ्तार किया, जिसके बाद भारत के खिलाफ इसकी मानसिकता का खुलासा हुआ।
पुलिस के मुताबिक उत्तर प्रदेश के बांदा में मुस्तफा ने करीब 10 साल तालीम ली और फिर असम आया। असम आने के बाद मजहबी तालीम के नाम पर वर्ष 2018 से इसने अपनी गतिविधियां चालू कीं और इसी आड़ में कथित रूप से यह युवाओं को देशविरोधी गतिविधियों के लिए भड़काने लगा।
पुलिस ने बताया कि मुस्तफा की इस काम में अफसरुद्दीन मदद करता था, जिसे उसके साथ ही गिरफ्तार किया गया। उनकी निशानदेही पर पिछले डेढ़ महीने के दौरान इस माड्यूल से जुड़े तीन और लोग अहमद अल, मुसद्दीक और इकरामुल को गिरफ्तार किया गया। पुलिस के मुताबिक, ये चारों आरोपी मुस्तफा के निर्देश पर युवाओं से खास अंदाज में सम्वाद करते थे।
पुलिस के मुताबिक, सबसे पहले युवाओं को मजहबी तालीम दी जाती थी। उसके बाद अल कायदा और अंसारुल बांग्ला की प्राथमिक सदस्यता दिलाई जाती थी। सदस्य के पुराने होने पर उसकी सदस्यता को पक्का कर दिया जाता था और उसे नियमित रूप पर भत्ता भी दिया जाता था। जांच एजेंसियों के मुताबिक दो सालों में मोरेगांव जिले में ही मुस्तफा और उसके माड्यूल ने 50 से ज्यादा युवाओं को इस नए तरीके से प्रशिक्षण दिया है। इसमें लगातार देश के विरोध में काम करना और आतंकी गतिविधियों को अंजाम देना शामिल है।
असम पुलिस के स्पेशल डीजीपी जीपी सिंह राज्य में अल कायदा आतंकियों के खिलाफ चल रहे ऑपरेशन की टीम का अहम हिस्सा हैं। पुलिस के इस ऑपरेशन का असर भी साफतौर पर दिख रहा है, जहां धार्मिक स्थलों को देशविरोधी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल करनेवाले लोगों की गिरफ्तारी का सिलसिला जारी है।
पिछले 4 महीनों के दौरान जिन प्रमुख इलाकों से अलकायदा और अंसारुल बांग्ला टीम के सदस्यों की गिरफ्तारी हुई है वो हैं बारपेटा, जोगीघोपा, बारपेटा और बिलासीपारा। जांच एजेंसियों का मानना है कि इस संवेदनशील मामले की तफ्तीश के दौरान और भी ज्यादा खुलासे होने बाकी हैं।
मोरेगांव के अलावा अगर पूरे असम राज्य की बात करें तो पिछले 4 महीने के दौरान 7 जिलों में 42 लोग आतंकी गतिविधियों में संलिप्तता के आरोप में गिरफ्तार किए चुके हैं, जो कि अब तक का सबसे ज्यादा आंकड़ा है। सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, असम में आतंक फैलाने के लिए इन लोगों की बंग्लादेश से संचालित आतंकी संगठनों की ओर से लगातार पैसों की मदद भी की जा रही है। उनका अंदेशा है कि कश्मीर के बाद असम में भी अल कायदा का ऐसा नेटवर्क उभरा है जो आंतरिक सुरक्षा के लिए दूसरा सबसे बड़ा खतरा बन सकता है।
[आईएएनएस इनपुट के साथ]
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