तेजस को विकसित करने के लिए भारत सरकार ने मंजूरी दी
भारत में निर्मित हल्के लड़ाकू विमान तेजस की पूरी दुनिया में धूम मची है। हाल के दिनों में कई देशों ने इसे खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है। अब इस तेज का एक नया वर्जन आने वाला है, जो पहले से ज्यादा खतरनाक और ताकवर होगा। बुधवार को कैबिनेट ने इस पर मुहर लगा दी। इसके अलावा सरकार ने पांचवी पीढ़ी स्टील्थ टेक्नॉलॉजी को भी हरी झंडी दे दी है। माना जा रहा है कि इससे हमारी वायु सेना और भी ताकतवर हो जाएगी।
भारत में निर्मित तेजस सिंगल इंजन वाला हल्का लड़ाकू विमान है। कहा जा रहा है कि तेजस के नए वर्जन को तैयार करने में सरकार 6500 करोड़ रुपये खर्च करेगी। सरकार ने इससे पहले ढाई हज़ार करोड़ का फंड जारी करने की बात कही थी। अब कुल मिलाकर इस नए प्रोजेक्ट के लिए 9000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। कमेटी ने इसके अलावा स्टील्थ टेक्नॉलॉजी के साथ लड़ाकू विमान के लिए 15 हजार करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट को हरी झंडी दी है।
तेजस के नए वर्जन में ज्यादा ताकतवर इंजन लगाए जाएंगे। इसमें पहले से ज्यादा लड़ने की क्षमता होगी। साथ ही इसमें पहले के मुकाबले ज्यादा हथियार लादे जा सकेंगे।
तेजस मार्क-1ए में जीई-एफ404 का इंजन लगा था, जिसमें पीक पावर की क्षमता 81 किलोन्यूटॉन्स थी। लेकिन अब नए वर्जन में जीई-एफ414 की इंजन होगी। इसमें पीक वार की क्षमता 83 किलोन्यूटॉन्स होगी।
नया फाइटर स्वदेशी एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे रडार से भी लैस होगा। बेहतर चपलता के लिए फाइटर के पास पंखों के ठीक आगे कैनर्ड भी होंगे। ज़ाहिर है इससे नए तेजस का वजन भी बढ़ जाएगा।
तेजस-1 का वजन 14.5 टन था। लेकिन अब ये बढ़ कर 17.5 टन पर पहुंच जाएगा. तेजस मार्क -2, 4.5 टन पेलोड ले जाने में सक्षम होगा। जबकि इससे पहले तेजस मार्क 1 में 3.5 टन की अधिकतम पेलोड क्षमता थी।
ये तकनीक काफी महंगी और जटिल है। लेकिन अब जल्द ही इस तकनीक का इस्तेमाल भारत में भी किया जाएगा। फिलहाल अमेरिका एफ/ए-22 रैप्टर और एफ-35 लाइटनिंग फाइटर इससे लैस है। इसके अलावा स्टेल्थ टेक्नॉलजी का इल्तेमाल चीन के चेनगडु जे-20 और रूस के सुकोई-57 में भी किया जा रहा है।
[आईएएनएस इनपुट के साथ]
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