भ्रामक विज्ञापनों पर सरकार सख्त कार्यवाही के लिए तैयार
केंद्र सरकार ने टेलीविजन और सोशल मीडिया पर भ्रामक विज्ञापनों को दिखाने को लेकर सख्ती दिखाई है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने बुधवार को विज्ञापन एजेंसियों को सरोगेट ऐड्स के लिए जारी की गई गाइडलाइन का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। सरकार का कहना है कि इसका उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
मंत्रालय ने कहा कि यह देखा गया है कि विज्ञापन एजेंसियां सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (सीसीपीए) की ओर से जारी गाइडलाइन का पालन नहीं कर रही हैं और प्रतिबंधित चीजों का किसी दूसरी चीजों या फिर दूसरे माध्यम से विज्ञापन किया जा रहा है।
मंत्रालय ने कहा कि हाल ही में वर्ल्ड लेवल पर आयोजित कई खेलों में ऐसे सरोगेट एडवर्टाइजमेंट के उदाहरण देखे गए। साथ ही यह भी देखा गया कि म्यूजिक सीडी, क्लब सोडा और पैकेज्ड ड्रिंकिंग वॉटर की आड़ में कई शराब के ब्रांड का विज्ञापन किया जा रहा है। गुटका और तंबाकू का इलायची की आड़ में प्रचार किया जा रहा है। इसके अलावा, ऐसे कई ब्रांड सेलिब्रिटीज का भी इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसका युवाओं पर गलत प्रभाव पड़ रहा है।
मंत्रालय ने कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री, एसोचैम, इंटरनेशनल स्पिरिट्स एंड वाइन एसोसिएशन ऑफ इंडिया और इंडियन सोसाइटी ऑफ एडवरटाइजर्स को भ्रामक और सरोगेट एड से संबंधित प्रावधानों के दिशानिर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कहा है। इसका पालन नहीं करने पर सीसीपीए की ओर से विज्ञापन एजेंसियां के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
शर्तें लागू होने पर फ्री एडवर्टाइजमेंट को भ्रामक कहा जाएगा। बच्चों के जरिए चैरिटी, पोषण संबंधी दावे भी भ्रामक हो सकते हैं। ब्रांड प्रमोशन के लिए किसी प्रोफेशनल का इस्तेमाल करना गलत। नियम और शर्तों में जो कुछ भी फ्री बताया गया है, डिस्क्लेमर में भी वह फ्री होना चाहिए।
यदि विज्ञापनों में दी गई जानकारी प्रोडक्ट में नहीं पाई जाती है, तो उन विज्ञापनों को भ्रामक विज्ञापन माना जाएगा। जो विज्ञापन उनके डिस्क्लेमर से अलग होते हैं, उन्हें भी भ्रामक विज्ञापन माना जाएगा। इसके अलावा, यदि कोई सेलिब्रिटी किसी विज्ञापन में कुछ दावा कर रहा है और वह सही नहीं पाया जाता है तो वह विज्ञापन भी भ्रामक विज्ञापन श्रेणी में आता है।
आपने अक्सर टीवी पर किसी शराब, तंबाकू या ऐसे ही किसी प्रोडक्ट का ऐड देखा होगा, जिसमें प्रोडक्ट के बारे में सीधे न बताते हुए उसे किसी दूसरे ऐसे ही प्रोडक्ट या पूरी तरह अलग प्रोडक्ट के तौर पर दिखाया जाता है। जैसे शराब को अक्सर म्यूजिक सीडी या सोडे के तौर पर दिखाया जाता है। यानी ऐसा ऐड जिसमें दिखाया कोई और प्रोडक्ट जाता है, लेकिन असल प्रोडक्ट दूसरा होता है, जो सीधा-सीधा ब्रांड से जुड़ा होता है।
सीसीपीए किसी भी भ्रामक विज्ञापन के लिए मैन्युफैक्चर्स, एडवर्टाइजर्स और एंडोर्सर्स पर 10 लाख रुपए तक का जुर्माना लगा सकता है। बाद के उल्लंघनों के लिए 50 लाख रुपए तक का जुर्माना भी लगा सकता है। अथॉरिटी भ्रामक विज्ञापन के एंडोर्सर पर 1 साल का बैन लगा सकती है। बाद में उल्लंघन के लिए इसे 3 साल तक बढ़ाया जा सकता है। ये नियम उपभोक्ताओं को भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने का अधिकार भी देंगे।
[आईएएनएस इनपुट के साथ]
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