चीन से लगी सीमा पर भारत की रणनीति, एलएसी की सड़कों और पुलों की निर्माण में तेजी!

अधिकांश निर्माण कार्य सेना के लड़ाकू इंजीनियरों और सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा किया जा रहा है।

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चीन से लगी सीमा पर भारत की रणनीति
चीन से लगी सीमा पर भारत की रणनीति

चीन जैसे पड़ोसी की हरकतों पर लगाम लगाने के लिए भारत ने रणनीति बदली

पिछले कुछ समय से चीन के साथ बढ़ते तनाव को देखते हुए केंद्र सरकार ने एक खास रणनीति के तहत काम करना शुरू कर दिया है। शीर्ष रक्षा सूत्रों ने मंगलवार को कहा कि चीन के साथ जारी गतिरोध के बीच भारत ने पिछले दो वर्षों में कई सड़कों, पुलों, पटरियों और सुरंगों के निर्माण के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ सीमा संपर्क में काफी सुधार किया है। कई अन्य महत्वपूर्ण बुनियादी परियोजनाएं प्रगति पर हैं। अधिकांश निर्माण कार्य सेना के लड़ाकू इंजीनियरों और सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा किया जा रहा है।

एलएसी के लिए वैकल्पिक सड़कों का निर्माण और उन्हें जोड़ने वाली अन्य फीडर सड़कें सरकार द्वारा शुरू की गई रणनीतिक परियोजनाओं में से हैं। इसी क्रम में हिमाचल प्रदेश में मनाली को पश्चिमी लद्दाख और जांस्कर घाटी से जोड़ने वाला एक वैकल्पिक सड़क तैयार की जा रही है। 2026 तक पूरा होने वाली 298 किलोमीटर लंबी सड़क में हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए 4.1 किलोमीटर की ट्विन-ट्यूब शिंकुन ला सुरंग भी होगी, जिसे जल्द ही रक्षा मंत्रालय की मंजूरी मिलने की संभावना है।

भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में विवाद का कारण रहे डीएसडीबीओ रोड जो कि कुल 256 किलोमीटर लंबा है, उसका काम भी पूरा हो चुका है। इस पूरी सड़क पर 35 छोटे-बड़े ब्रिज प्रस्तावित हैं, जो कि स्थायी या बड़े बेलि ब्रिज होंगे। इस रूट पर बने डीएसडीबीओ हाइवे से पहले सड़क का हाल बहुत खस्ता था और श्योक और घाटियों को पार करने के लिए, जो ब्रिज थे वो क्लास 18 हुआ करते थे।

यानी उन के उपर से 18 टन से ज़्यादा वजन वाले वाहन दौलत बेग ओल्डी तक पहुंचाना चुनौती से कम नहीं होता था। लेकिन अब इस डीएसडीबीओ रोड पर जितने भी ब्रिज तैयार किए जा रहे है या अपग्रेड किए जा रहे है वो क्लास 70 हैं यानी कि 70 टन वज़नी सैन्य उपकरण, टैंक आसानी से गुजर सकते हैं।

बता दें कि अब तक, मनाली से लेह की एकमात्र पहुंच सड़क 477 किलोमीटर मनाली-लेह सड़क है, जो हिमालय की पूर्वी पीर पंजाल रेंज में 13,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और हर साल भारी बर्फबारी के चलते आवागमन ठप हो जाता है। सूत्र ने कहा कि सुरंगों, गुफाओं और भूमिगत गोला-बारूद के भंडार का निर्माण प्रगति पर है। वर्तमान में, नौ सुरंगों का निर्माण कार्य चल रहा है, जिसमें 2.535 किलोमीटर लंबी सेला सुरंग शामिल है, जो एक बार पूरा हो जाने के बाद दुनिया की सबसे ऊंची दो लेन वाली सुरंग होगी।

ग्यारह और सुरंगों की योजना भी बनाई जा रही है। कुल मिलाकर, बीआरओ ने 60,000 किमी से अधिक सड़कों, 53,000 मीटर की लंबाई वाले 693 प्रमुख स्थायी पुलों और 19 किमी की कुल दूरी के साथ चार सुरंगों का निर्माण किया है। इसमें अटल टनल भी शामिल है, जो 10,000 फीट से ऊपर दुनिया में सबसे लंबी सुरंग (9.02 किमी) होने का विश्व रिकॉर्ड रखती है और उमलिंगला पर दुनिया की सबसे ऊंची मोटर योग्य सड़क का निर्माण हो रहा है।

पिछले दो साल के भीतर भारत ने अपने सैनिकों के एलएसी पर डटे रहने के लिए वैसी व्यवस्था बना दी है जैसा कि चीन अपनी तरफ तैयार कर रहा है। सेना के सूत्रों के मुताबिक एलएसी के पास पूर्वी लद्दाख में 2200 ट्रूप के रहने के लिए अस्थायी शेल्टर तैयार किए गए हैं। साथ ही 450 टैंक, बख्तरबंद बंद गाड़ियों और तोपों के रखने के लिए निर्माण को पूरा कर लिया गया है। ये एसे शेल्टर हैं, जिन्हें आसानी से दूसरी जगह पर कम समय में शिफ़्ट किया जा सकता है।

[आईएएनएस इनपुट के साथ]

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