चिदंबरम द्वारा स्टॉक एक्सचेंज हेरफेर घोटाले का पिटारा खुल गया है!
आखिरकार, भ्रष्ट वित्त मंत्री पी चिदंबरम द्वारा समर्थित सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज हेरफेर सार्वजनिक रूप से उजागर हो रहा है। हाई प्रोफाइल सह-स्थान को-लोकेशन मामले में, बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बुधवार को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया, क्योंकि यह व्यापार (ट्रेडिंग) करने वालों के लिए एक स्तरीय क्षेत्र प्रदान करने में विफल रहा, जिन्होंने इसके टिक-बाई-टिक (टीबीटी) डेटा फीड सिस्टम की सदस्यता ली थी।
इसके अलावा, नियामक ने एनएसई के पूर्व प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी चित्रा रामकृष्ण और रवि नारायण पर 25-25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। 2015 में शिकायत दर्ज होने के बाद एनएसई की को-लोकेशन सह-स्थान सुविधा के माध्यम से की जाने वाली उच्च आवृत्ति ट्रेडिंग में धोखाधड़ी और चूक सेबी की नजर में आई।
एनएसई ने, स्टॉक एक्सचेंज के व्यवसाय के संचालन में निहित सिद्धांतों, जो निष्पक्ष और सूचना तक समान पहुंच से संबंधित हैं, की अवहेलना की है।
पीगुरूज ने, भ्रष्ट पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम द्वारा समर्थित स्टॉक एक्सचेंज हेरफेर के साथ की गयी इस धोखाधड़ी, पर कई रिपोर्ट प्रकाशित की हैं[1][2][3][4]।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया (एनएसई) सह-स्थान सुविधा स्टॉकब्रोकर (दलाल) को किराए पर विशिष्ट रैक लेने और एक्सचेंज परिसर के भीतर अपने सर्वर और सिस्टम को उस स्थान पर लगाने की अनुमति देती है। एनएसई की सह-स्थान सेवाओं का प्राथमिक उद्देश्य डायरेक्ट मार्केट एक्सेस (डीएमए), एल्गो ट्रेडिंग और स्मार्ट ऑर्डर रूटिंग (एसओआर) के लिए एक्सचेंज के ट्रेडिंग सिस्टम से कनेक्टिविटी के लिए होने वाले विलंब को कम करना है।
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अपने 96 पन्नों के आदेश में, सेबी ने कहा कि प्रौद्योगिकी प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में असमान पहुंच स्पष्ट थी और एनएसई एक स्टॉक एक्सचेंज के रूप में व्यापार करने वालों, जिन्होंने टीबीटी डेटा फीड सिस्टम की सदस्यता ली है, के लिए एक स्तरीय व्यापारिक क्षेत्र सुनिश्चित करने में विफल रहा। टिक-बाय-टिक (टीबीटी) डेटा फीड, ऑर्डर बुक में हर बदलाव के बारे में जानकारी प्रदान करता है।
नियामक के अनुसार, कई व्यापारिक सदस्यों (ट्रेडिंग मेंबर्स) ने प्रथम-स्तर के नियामक की ओर से बिना किसी जाँच और शेष राशि और कार्यों (सिवाय कुछ ई-मेल्स और सलाहों के) के द्वितीयक सर्वर तक पहुँच को कई बार प्राप्त किया था। एनएसई ने, स्टॉक एक्सचेंज के व्यवसाय के संचालन में निहित सिद्धांतों, जो निष्पक्ष और सूचना तक समान पहुंच से संबंधित हैं, की अवहेलना की है।
सेबी ने कहा – “एनएसई में टीबीटी प्रसार ढांचे को लागू करते समय, ‘निष्पक्ष और न्यायसंगत पहुंच’ का सार प्रौद्योगिकी के कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में लागू करने का प्रयास नहीं किया गया था और केवल ‘सुरक्षा और विश्वसनीयता’ को ध्यान में रखा गया था।” ऐसा करने से, एक्सचेंज ने सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट्स (रेगुलेशन) (स्टॉक एक्सचेंज और क्लियरिंग कॉर्पोरेशन) रेग्युलेशन या एसईसीसी नियमों के प्रावधानों का उल्लंघन किया है।
सेबी ने कहा कि एनएसई एसईसीसी विनियमों के अंतर्निहित प्रावधानों का पालन करने में विफल रहा है और रामकृष्ण और नारायण जांच अवधि के दौरान एक्सचेंज द्वारा की गयी चूक के लिए उत्तरदायी हैं। यह देखते हुए कि इस मामले में हुए उल्लंघन प्रकृति में गंभीर हैं, सेबी ने कहा कि इस तरह के उल्लंघन नियामक ढांचे से समझौता करने वाले हैं और संस्थाओं पर मौद्रिक जुर्माना लगाकर इससे निपटा जाना चाहिए ताकि समग्र रूप से बाजार सहभागियों को एक प्रभावी संदेश भेजा जा सके[5]।
तदनुसार, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एक्सचेंज और उसके पूर्व अधिकारियों पर जुर्माना लगाया। इससे पहले अप्रैल 2019 में, नियामक ने इस मामले में 625 करोड़ रुपये के मुनाफे को वापस करने का निर्देश दिया था और नए व्युत्पन्न उत्पादों को लॉन्च करने पर छह महीने का प्रतिबंध लगाया था।
[पीटीआई इनपुट्स के साथ]
संदर्भ:
[1] C-Company Part-8 – NSE – The early years & PC’s first scam – Nov 07, 2017, PGurus.com
[2] C-Company Part-8 – The tipping point – MCX-SX becoming a full-fledged Stock Exchange – Nov 26, 2017, PGurus.com
[3] C-Company Part-10 – The Way Forward – Dec 05, 2017, PGurus.com
[4] अजय शाह सी-कंपनी का एक छोटा परन्तु मुख्य हिस्सा है! भाग १ – Jun 14, 2018, hindi.pgurus.com
[5] NSE says no imminent IPO, SEBI confirms but… – Feb 10, 2021, PGurus.com
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