हिजाब के जिहाद से बेटियों की रक्षा आवश्यक!
कर्नाटक से शुरु हुआ “हिजाब हल्ला” अब सभी जगह फैल रहा है और राजनीतिक रूप ले रहा है। हिजाब का राजनीतिकरण करने का उद्देश्य है अराजकता पैदा करना, हिन्दू-मुस्लिम विवाद खड़ा करना और फिर से भारत के “टुकड़े-टुकड़े” करने के और प्रयास।
मै पिछले कई दिनों से हिजाब हल्ला अमेरिका में रह कर देख रहा हूँ और सोचता हूँ कि ऐसा भारत में ही क्यों विशेष रूप से हो रहा है, इस का प्रभाव मुस्लिम समाज की बेटियों की पढ़ाई में बाधा और उसके कारण सभी की पढ़ाई में नुक्सान होगा।
भारत में “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” एक सराहनीय योजना है। जिस एनजीओ (विद्या ज्ञान इन्डिया) से मैं जुड़ा हूँ उसके माध्यम से हमने बेटी पढ़ाओ के अंतर्गत सुकन्या खाते खुलवाने का प्रयास किया है। उसमें हमने महसूस किया है कि मुस्लिम समाज के माता पिता की बहुत कम साझेदारी रही है। जिन परिवारों से मैंने बात की है बेटियों के पढ़ाने के विषय में, उनको कोई विशेष रूचि नहीं थी। उनकी सोच बेटी की जल्दी शादी करने में थी।
मैंने पढ़ा है कि सांसद ओवैसी का कहना है कि जिस लड़की ने हिजाब हल्ला में अहम हिस्सा लिया है वह आगे चल कर एक दिन प्रधान मंत्री बनेगी। उनका सपना सराहनीय है और महिला के सशक्तिकरण का प्रतीक भी होगा। लेकिन अफसोस यह है कि ओवैसी साहब इन लड़कियों को किताब से दूर और हिजाब के पास ले जा रहे हैं। इतने पढ़े लिखे सांसद क्या यह नहीं समझते कि किताबों की पढ़ाई करने से यह लड़कियाँ कोई भी खिताब हासिल कर सकती हैं लेकिन हिजाब हल्ले से तो उनकी पढ़ने की प्रवृत्ति कम और जिहाद की प्रवृत्ति का और ज्यादा बढ़ावा होगा। [1]
भारत की हर बेटी को, विशेष रूप से मुस्लिम समुदाय और ग्रामीण क्षेत्रों की, अधिक से अधिक पढ़ाना आवश्यक है। यही बेटियाँ कल की मातायें हैं और परिवार को सुरक्षित और सम्पन्न रखेंगी। इन को हिजाब से जिहाद के रास्ते से बचाकर (बेटी बचाओ), इनको किताब के माध्यम से अच्छी पढ़ाई से अच्छे खिताब (बेटी पढ़ाओ) की ओर ले जाना है। मैं बहुत विश्वास के साथ कहता हूँ कि हर बेटी में पढ़ने की क्षमता और रुचि है, शायद बेटों से भी अधिक।
भारत में हिजाब हल्ला क्यों और वह भी पढ़ाने वाली संस्थाओं को लेकर? आज दुनिया में 16 देश हैं (ट्यूनीशिया, ऑस्ट्रिया, फ्रांस, ताजिकिस्तान, चाड, मोरक्को, चीन, श्रीलंका, स्विट्जरलैंड आदि) जहाँ हिजाब का इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं है। मुझे लगता है कि भारत के मौलाना और अन्य राजनीतिक लोग हिजाब को एक मुद्दा बना कर लड़कियों पर नियंत्रण करना चाहते हैं। क्या यह पुरुषों की महिलाओं के विरुद्ध उनको अनपढ़ रख कर आत्मनिर्भर ना बनाने की सेज ही नहीं बल्कि साजिश है। मेरे विचार से इस तरह की सोच रखने वाले किसी भी इंसान की जगह आज के बदलते हुये भारत में नहीं है।
मुझे एक और संभावना लगती है कि मुस्लिम समाज को तीन तलाक और काश्मीर से हटाई गई धारा 370 की नाराजगी को लेकर यह हिजाब हल्ला एक नई चाल है। इसको बढ़ावा देने वाले वामपंथी विचार धारा वाले बहुत हैं। कांग्रेस जैसी राजनीतिक पार्टी के लिये यह अच्छा मौका है हल्ला करने का, जैसे उन्होंने शाहीन बाग और किसान आंदोलन को बढ़ावा दिया था। खालिस्तान विचार धारा वाले भी साथ में लग गये हैं। विदेशी सरकारें भी भारत को आगे बढ़ते नहीं देखना चाहतीं, तो वह भी अपने तरीके से हिजाब हल्लों को बढ़ाने में लगे हैं।
अंत में, मैं एक बार कहना चाहता हूँ कि महिला सशक्तिकरण और लडकियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिये उन्हें किताब के माध्यम से अच्छे खिताब की ओर ले जायें (बेटी पढ़ाओ)। यह आवश्यक है कि हम सब बेटियों को हिजाब हल्ले में उलझा कर उनको पढ़ाई से वंचित ना करें और ना ही उनको जिहादी विचार धारा से जोड़ें (बेटी बचाओ)।
भारत को अभी बहुत आगे जाना है विश्व गुरु के रूप में, सामाजिक, राजनीतिक, पढ़ाई आदि में अवसर और सुविधाएं अत्यावश्यक हैं और इसके लिये एक संगठित, सक्षम और समृद्ध देश आवश्यक है।
संदर्भ :
[1] हिजाब पहनने वाली लड़की एक दिन बनेगी भारत की प्रधानमंत्री… कर्नाटक में जारी विवाद के बीच ओवैसी का बयान – Feb 13, 2022, हिंदुस्तान
ध्यान दें:
1. यहां व्यक्त विचार लेखक के हैं और पी गुरुस के विचारों का जरूरी प्रतिनिधित्व या प्रतिबिंबित नहीं करते हैं।
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हिजाब हल्ला जैसे जिहाद इस्लाम का मजाक बनाने में सक्षम हैं ।
Well said.