भारत का भटकता युवा ‘अग्निपथ’ से ‘अग्निभस्म’ की ओर
भारत में प्रस्तावित अग्निपथ योजना 17-21 वर्ष के युवाओं के लिये बहुत महत्वपूर्ण है। लेकिन वे तो भटक गये क्योंकि दुर्भाग्यवश भारत के विपक्षी दल केवल मोदी सरकार को सत्ता से हटाने और पूर्ण रूप से अराजकता और आगजनी कराने में लगे हैं।
जीवन भर एक शिक्षक होने के नाते, मेरी बहुत बड़ी निराशा और प्रश्न अपने अध्यापक वर्ग से है। वह सभी पढ़े लिखे हैं, उनका काम बच्चों का मार्गदर्शन भी है पढ़ाने के साथ। मेरी सोच यह है कि युवाओं के भटकने का एक कारण यह भी है कि अध्यापक वर्ग 17 वर्ष के नासमझ या कम समझ वालों को अग्निपथ योजना के गुण नहीं बता रहे हैं। या यह कहना ठीक होगा कि वे अग्निपथ के विरोधी हैं या इसे समझते ही नहीं।
“हम सभी भी कभी 17 वर्ष के थे और 12वीं बोर्ड में सफल भी हुये थे। हमारे क्या विकल्प और आशाएं थीं, हमारे अध्यापकों ने, गांव के और पढ़े लिखे लोगों और रिश्तेदारों ने हमारा मार्गदर्शन किया और हम में से कुछ सफल और कुछ निराश हुए नौकरी पाने में, आगे पढ़ने में, व्यवसाय करने में या आर्मी में जाकर देश सेवा में लग जाने आदि में।
आज के 17 वर्ष के युवाओं को मैंने काफी करीब से देखा है और समझने का प्रयास किया है क्योंकि मैं एक एनजीओ विद्या ज्ञान के माध्यम से भारत के ग्रामीण स्थलों में जाता रहता हूँ। लेकिन खेदजनक बात यह है कि विशेष रूप से गाँव के युवाओं को बहुत कम मार्गदर्शन मिल रहा है। 17 वर्ष के बहुत से युवा बेरोजगार हैं क्योंकि 12 पास करके मजदूरी या खेती करने के लिये पढ़ाई उनकी बाधा बनती है। नौकरियों की कमी है या वह उस लायक नहीं हैं। आगे पढ़ना चाहते हैं लेकिन न योग्यता, न धनराशि और न देश के लिये कुछ करने के लिये पेट में अग्नि!
क्या आज के अध्यापक वर्ग से यह अपेक्षित नहीं है कि वह युवाओं से पूछे और आवश्यकता अनुरूप उन्हें बताएं कि उनका उज्ज्वल भविष्य अग्निपथ से ही सम्भव है, लेकिन अगर वह भटक कर अग्निभसम की ओर जायेंगे, तो न केवल उनका विकास बल्कि देश का विकास और भारत की अखंडता सम्भव नहीं होंगे। विरोधी राजनीतिक दलों का एकमात्र मुद्दा अराजकता, अशांति, और धर्म के नाम पर सामाजिक दंगे, जातिवाद को ले कर सभी को बाँटना आदि है। और यह सब होता है बेरोजगार, बेकार, और नासमझ युवाओं को प्रलोभन दे कर भड़काने से। इस राजनीति की आड़ में वे रेलगाडियाँ, बसें, सरकारी और निजी सम्पत्ति को अग्नि में भसम कर रहे हैं। भारत में जगह जगह ट्रेनों को रोककर यात्रियों को परेशानी देना, देश को बंद करने का प्रयत्न आदि।
कैसी विडम्बना है हमारे अपने देश की कि वह अग्निपथ का विरोध केवल इसलिये कर रहे है कि वह चार वर्ष के बाद फिर से बेरोजगार हो सकते हैं। मेरा अनुरोध और अपेक्षा हर अध्यापक से यह है कि वह उनको समझाएं कि अगर वह अग्निपथ में सफलता के योग्य हैं तो उनको पहले 4 वर्षों मे पढाई भी और कमाई भी (चाहे वह अस्थायी है), उनका स्किल डेवलपमेंट, अनुशासनता, जिम्मेदारी से काम करने की क्षमता, अच्छा शरीर और स्वास्थ्य आदि और सर्वोपरि देश सेवा, देश के प्रति गर्व और देश की अखंडता में उनका सराहनीय योगदान होगा। अग्निपथ योजना के अंतर्गत अगर 4 वर्ष के पश्चात उनको देश सेवा से निर्वत्त भी होना पड़े तो उनको लगभग 21 लाख की धनराशि भी मिलेगी केवल 21 वर्ष की आयु में। किसी भी प्रकार से उनका भविष्य उस भटके हुए बेरोजगार से बहुत अच्छा है जो आज अग्निभस्म की ओर जा रहे हैं।
ऐसा क्यों है कि हर युवा को सरकारी नौकरी ही चाहिये। यह ना कभी था और ना संभव है। दुनिया में कहीं ऐसा ना हुआ है और होना भी नहीं चाहिये। देश का विकास सम्भव है अगर आपकी योग्यता ही आपकी नौकरी की पहचान हो ना कि कोई भी अपने आप को “सरकारी दामाद ” बन कर किसी अन्य ययोग्यता प्राप्त को उस नौकरी से वंचित रखे। क्या यह “सरकारी दामाद” वाली सोच हमारे समाज और देश के युवाओं को अंतर्राष्ट्रीय मुकाबलों में बढ़ने में बाधक नहीं है। क्या आज हम इतने स्वार्थी हो गये हैं कि अपने युवाओं का भविष्य अच्छा ना होने दें। आज का भटकता युवा हमारे ही किसी गाँव / शहर के परिवार का बेटा / बेटी है; कोई गैर नहीं है और यह भारत देश भी तो अपना ही है।
एक शिक्षक के रूप में मैं चाहता हूँ कि भारत का हर शिक्षक अपने मार्गदर्शन से युवाओं को भटकने से बचाये। शिक्षक क्यों? क्योंकि लगभग हर गाँव में शिक्षक हैं जिनके पास कम से कम स्नातक स्तर की विद्या है और उनका कुछ तो दायित्व है समाज सेवा का। भारत में चल रही अराजकता और आगजनी को रोकने में। शिक्षक यह भी बताना ना भूले कि “अग्निपथ के 4 वर्ष के बाद केंद्रीय और राज्य सरकारें, प्राइवेट कम्पनियाँ और अन्य इन युवाओं को नौकरी में प्राथमिकता भी देंगे अगर वह अपनी योग्यता, स्किल, सहनशीलता और अनुशासन आदि से काबिल हैं।
भटकते युवाओं को समझायें कि अग्निपथ भविष्य में उज्वलता, सफलता और विकास का मार्ग है लेकिन अग्निभसम केवल बेरोजगारी, निराशा, और असफलता का रास्ता है। अग्निपथ उनको देश सेवा की ओर ले जाता है लेकिन अन्यथा वह आगजनी और अराजकता से देशद्रोही भी साबित हो सकते हैं।
अपने शिक्षक वर्ग के अतिरिक्त मेरा अनुरोध देश के सभी राजनीतिक दलों से है कि वह युवाओं को राजनीति का मुद्दा मत बनाएं, उन्हें विकास के सपने से पथभ्रष्ट ना करें, उनके भविष्य को अग्नि में भसम होने से बचायें, उनको देश सेवा के अवसर से वंचित ना होने दें। क्या आपका आत्म सम्मान और देश के प्रति निष्ठा आपको नहीं ललकार रही है कि भारत के हर युवा को हम ” अग्निभसम नही अग्निपथ की ओर ले जाने के लिये शिक्षक वर्ग का सहयोग करें। सफल, सक्षम युवा ही एक समृद्ध, सुखद, सहनशील, अखंडित, और विश्वगुरु वाला भारत बनायेगा। जय हिन्द जय भारत!!
ध्यान दें:
1. यहां व्यक्त विचार लेखक के हैं और पी गुरुस के विचारों का जरूरी प्रतिनिधित्व या प्रतिबिंबित नहीं करते हैं।
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