रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए भारत का एक और कदम

अब तक जारी की गई सूचियों में तोप, वायुयान, लड़ाकू विमान व इनमें इस्तेमाल होने वाले उपकरण और ऑन बोर्ड ऑक्सीजन प्रणाली भी शामिल हैं।

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रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए भारत का एक और कदम
रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए भारत का एक और कदम

रक्षा सामग्री की तीसरी सूची जारी, देश में होगा निर्माण!

रक्षा में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक नया कदम उठाते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह गुरुवार को रक्षा सामग्री की एक और सूची जारी करेंगे। इस सामग्री का निर्माण देश में ही किया जाएगा। इससे पहले वर्ष 2020 में 101 सामग्री की पहली सूची और 2021 में 108 उपकरण व अन्य सामान की दूसरी सूची जारी की जा चुकी है। अब तीसरी सूची में संभवत: 100 सामग्री शामिल की जा रही हैं।

रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इन सूचियों में शामिल रक्षा सामग्री को वर्ष 2025 तक देश में ही बनाना सुनिश्चित किया जाएगा। इसके बाद इनके आयात को प्रतिबंधित कर दिया जाएगा। अब तक जारी की गई सूचियों में तोप, वायुयान, लड़ाकू विमान व इनमें इस्तेमाल होने वाले उपकरण और ऑन बोर्ड ऑक्सीजन प्रणाली भी शामिल हैं। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि जारी होने वाली तीसरी सूची में जिन सौ रक्षा सामग्रियों को रखा गया है, उनके देश में बनने से अगले पांच वर्षों में भारतीय कंपनियों को 2.10 लाख करोड़ रुपये के रक्षा आर्डर मिल सकेंगे।

बता दें कि पहली और दूसरी सूची जारी होने के बाद से रक्षा मंत्रालय ने कुल 53,839 करोड़ रुपये के 31 प्रोजेक्ट को मंजूरी प्रदान की है। इनमें शामिल रक्षा सामग्री का निर्माण देश में ही शुरू किया जा रहा है। जबकि, 1,77,258 करोड़ रुपये की 83 और परियोजनाओं का कार्य भी प्रगति पर है। अगले पांच से सात वर्षों के बीच कुल 2,93,741 करोड़ रुपये के अन्य रक्षा उत्पादों के स्वदेशीकरण पर भी कार्य शुरू किया जाएगा।

रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान में कहा, “तीसरी सूची में शामिल वस्तुओं के हिस्से के रूप में अगले पांच वर्षों में 2,10,000 करोड़ रुपये से अधिक के ऑर्डर दिए जाने की संभावना है।” रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह प्रमुख उपकरणों और प्लेटफार्मों की सूची जारी करेंगे जिन्हें दिसंबर 2025 तक स्वदेशी बनाया जाना है।

सैन्य अभियानों के पूर्व महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया (सेवानिवृत्त) ने कहा, “यह एक केंद्रित दृष्टिकोण है। इससे रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने की दिशा में बल मिलेगा। यह भारत की रणनीतिक स्वायत्तता में भी योगदान देगा।” इससे पहले 21 अगस्त, 2020 और 31 मई, 2021 को क्रमश: 101 और 108 हथियारों और प्रणालियों की सूचियां जारी की गई थी।

मंत्रालय ने कहा, “पहली और दूसरी सूची की अधिसूचना के बाद से सशस्त्र बलों द्वारा 53,839 करोड़ रुपये की 31 परियोजनाओं के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए हैं। 1,77,258 करोड़ रुपये की 83 परियोजनाओं के लिए आवश्यकता की स्वीकृति (एओएन) दी गई है। इसके अलावा अगले पांच से सात वर्षों में 2,93,741 करोड़ रुपये की डील को आगे बढ़ाया जाएगा।”

भारत के रक्षा खरीद नियमों के तहत रक्षा अधिग्रहण परिषद द्वारा एओएन सैन्य हार्डवेयर खरीदने की दिशा में पहला कदम है। पहली दो सूचियों में शामिल हथियारों और प्रणालियों में आर्टिलरी गन, मिसाइल डिस्ट्रॉयर, शिप-बोर्न क्रूज़ मिसाइल, लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट, लाइट ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, लॉन्ग-रेंज लैंड-अटैक क्रूज़ मिसाइल, बेसिक ट्रेनर एयरक्राफ्ट और मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर शामिल हैं। इसके अलावा इसमें असॉल्ट राइफलें, स्नाइपर राइफलें, मिनी-यूएवी, विशेष प्रकार के हेलीकॉप्टर, अगली पीढ़ी के कोरवेट, एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल (ऐईडब्ल्यूएंडसी) सिस्टम, टैंक इंजन और मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल सिस्टम भी शामिल हैं।

मंत्रालय ने कहा, “तीसरी सूची की अधिसूचना सैन्य निर्माण में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए एक प्रमुख पहल है। यह घरेलू उद्योग में सरकार के बढ़ते विश्वास को दर्शाती है। सशस्त्र बलों की मांग को पूरा करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों के उपकरण बनाना और आपूर्ति करने की क्षमता को भी दर्शाती है।”

[आईएएनएस इनपुट के साथ]

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