गोरखनाथ मंदिर का हमलावर आईएसआईएस से प्रभावित था!
गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर की सुरक्षा में तैनात पीएसी जवानों पर हमला करने वाला अहमद मुर्तजा अब्बासी जल्द ही कनाडा शिफ्ट होने वाला था। वह कनाडा से ही आईएसआईएस के गढ़ सीरिया भागने की फिराक में था। वह आईएसआईएस से प्रभावित था और उसे फंडिंग भी करता था।
चूंकि, कनाडा जैसे देशों में जाने के लिए कड़े नियमों का पालन और अच्छा-खासा बैंक बैलेंस होना जरूरी है, इसलिए मुर्तजा ने बैंक खातों में करीब 20 लाख रुपए जमा कर रखे थे। लेकिन, ये रुपए उसे विदेशी फंडिंग के जरिए नहीं मिले थे। उसके परिवार के लोगों ने ही उसके खाते में यह रकम डाल रखी थी।
जब मुर्तजा को अपनी गिरफ्तारी का डर हुआ तो उसने मंदिर में फिदायीन हमला प्लान किया। उसने सोचा था कि पकड़े जाने से बेहतर है कि किसी को मारकर मरो।
गोरखनाथ मंदिर पर हमला करने वाला मुर्तजा आईएसआईएस से इतना प्रभावित हो चुका था कि वह सिर्फ अपनी जान देने तक ही नहीं, बल्कि रुपए भी आतंकियों की मदद के लिए भेजता था। वह करीब 8 लाख रुपए नेपाल के बैंक खातों के जरिए आईएसआईएस को भेज चुका था। उसे ऐसा लगता था कि वह अल्लाह की राह में लगे बंदों की मदद कर रहा है।
एटीएस की अलग-अलग टीमें मुर्तजा सहित उसके परिवार और उसके संपर्क में रहे लोगों से पूछताछ कर रही हैं। उसके परिवार के लोगों ने एटीएस की पूछताछ में खुद इस बात को स्वीकार किया है कि मुर्तजा कनाडा जाने वाला था। हालांकि, परिवार का यह भी दावा है कि वह कनाडा जॉब के सिलसिले में जाने की तैयारी कर रहा था।
बैंक बैलेंस और आईईएलटीएस होना जरूरी है। दरअसल, कनाडा में शिक्षा प्राप्त करने या जॉब करने के लिए फंड्स का प्रमाण देना होता है। वर्तमान नियमों के अनुसार, बैंक बैलेंस कम से कम 10,000 कैनेडियन डॉलर होने चाहिए और क्यूबेक में पढ़ाई के लिए कम से कम 11,000 कैनेडियन डॉलर होने चाहिए। वहीं, स्टूडेंट वीजा के लिए किसी भी अंडर ग्रैजुएट डिग्री के लिए आईईएलटीएस (इंटरनेशल इंग्लिश लैंग्वेज टेस्टिंग सिस्टम; एक तरह की प्रवेश परीक्षा) के प्रत्येक सेक्शन में न्यूनतम 6 और कम से कम 5.5 अंक प्राप्त करना जरूरी है। पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री के लिए चारों सेक्शन में कम से कम 6 और औसत 6.5 अंक मिलने चाहिए।
एटीएस सूत्रों के मुताबिक, मुर्तजा को आईएसआईएस से संपर्क करवाकर कनाडा के रास्ते सीरिया भेजने का मददगार सहारनपुर जिले के छुटमलपुर मुस्लिम कॉलोनी का रहने वाला हाफिज अब्दुल रहमान है। मूल रूप से फतेहपुर इलाके के बड़कला का रहने वाला हाफिज मुर्तजा छुटमलपुर मुस्लिम कॉलोनी में मोबाइल की दुकान चला रहा था। मुर्तजा लगातार अब्दुल के संपर्क में था और उसके साथ कई बार नेपाल सहित अन्य जगहों पर यात्राओं में भी शामिल रहा है। एटीएस हाफिज अब्दुल को भी हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है।
वहीं, अब तक की पूछताछ में सामने आया है कि मुर्तजा के घर जब दो अप्रैल को एटीएस पहुंची, तो उसे इस बात का अंदाजा लग गया कि अब वो पकड़ा जाएगा और उसका बच पाना मुश्किल है। उसने अपने संपर्क में रहे किसी संदिग्ध को इसकी जानकारी दी और तत्काल पकड़े जाने से पहले हमले की तैयारी कर ली। उसे पता था कि वो पकड़ा जाएगा, इसलिए उसने हमला कर मरने की ठान ली। वह बिना कुछ सोचे तत्काल नेपाल चला गया। सूत्रों का दावा है कि नेपाल बॉर्डर पर ही मुर्तजा को हथियार मुहैया होने थे, लेकिन वह जिससे मिलने गया था उससे मुलाकात नहीं हो सकी।
हथियार के इंतजार में मुर्तजा बांसी स्थित अपने रिश्तेदार के घर आकर रात में रुक गया। मगर, अगले दिन भी पूरा समय निकल जाने के बाद भी जब उसे हथियार नहीं मिले, तो उसने बांसी से ही 700 रुपए में दो बांका (धारदार हथियार) खरीदे। मुर्तजा इतना शातिर है कि हमले से पहले ही उसने अपना मोबाइल फोन भी फॉर्मेट कर दिया, ताकि पकड़े जाने पर उसका कोई रिकॉर्ड न मिल सके। इसके बाद वह देर शाम सोनौली रोड से गोरखपुर पहुंचा और रास्ते में ही गोरखनाथ मंदिर पर हमला कर दिया। फिलहाल, एटीएस उसका मोबाइल कब्जे में लेकर डाटा रिकवर कर रही है।
[आईएएनएस इनपुट के साथ]
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