
सीपीआई(एम) ने पुनर्जागरण की धारणा को दफना दिया और इस्लामी कट्टरवाद की शरण ले ली!
सीपीआई(एम) नेतृत्व ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ 26 जनवरी को केरल में एक पुनर्जागरण दीवार का मंचन किया था, जिसमें कासरगोड से तिरुवनंतपुरम तक लाखों पुरुष और महिलाएं एक मानव दीवार की तरह खड़ी थीं[1]। लेकिन जब राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव का समय आया, तो माकपा ने पुर्नजागरण को तिलांजलि दे दी और इस्लामी कट्टरवाद का सहारा ले लिया।
मुस्लिम बहुल जिलों मलप्पुरम और कोझीकोड से होती हुई एक ड्राइव (कार) आपको एक अलग युग और स्थान पर ले जाएगी। अगर यात्री को संदेह है कि वह तालिबान भूमि तक पहुंच गया है, तो उसकी कोई गलती नहीं है। इन जिलों से होकर गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों पर लगे फ्लेक्स बोर्ड, अपनी पत्नी के लिए वोट की गुहार लगाने वाले मुस्लिम पुरुषों की तस्वीरों से भरे पड़े हैं, ये महिलाएं नगरपालिका, पंचायत, और ब्लॉक पंचायत वार्डों की महिला आरक्षित सीटों से चुनाव मैदान में हैं[2]।
सीपीआई(एम), एक ऐसी पार्टी जो धर्मनिरपेक्षता, समाजवाद, लैंगिक समानता और अन्य सभी प्रगतिशील विचारों की कसमें खाती है, उसने फ्लेक्स बोर्ड और अन्य विज्ञापनों से महिला उम्मीदवारों की तस्वीरों को गायब कर इस मामले में बढ़त भी हासिल कर ली है।
इस्लामी रिवाज़ (केरल में प्रचलित) के अनुसार, मुस्लिम महिलाएं तस्वीर नहीं खिंचा सकती हैं क्योंकि फोटोग्राफी मुस्लिम समुदाय के लिए हराम है। इस्लामी कट्टरपंथियों से माकपा कार्यकर्ता भी जा मिले, जिन्होंने पार्टी उम्मीदवारों को चुनने के लिए मतदाताओं से अनुरोध करते हुए फ्लेक्स बोर्ड पर महिलाओं के पतियों के फोटो लगवाए हैं…एक उम्मीदवार जो हमारे बीच की है – “पेकप्पिल्ली वार्ड से हसन कुन्जू की पत्नी आमिना हसनकुंजू का चुनाव करें।” कृपया आमिना को न खोजें। लेकिन हसन कुन्जू के आदमकद पोस्टर हर जगह हैं।

विलायूर में वार्ड 13 से हाजरा अली का चुनाव करने के लिए मतदाताओं से गुहार करते कांग्रेस नेता अप्पतिंकट्टिल अली। आमिना और हजारा का कोई अता-पता नहीं है, लेकिन उनके पति हर जगह दिखाई दे रहे हैं।

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सीपीआई(एम) के कार्यकर्ता शम्सुद्दीन, जो अपनी पत्नी जमशीला के वार्ड पार्षद के रूप में चुनाव हेतु जनता को मना रहे हैं, ”हमें ऐसे व्यक्ति की जरूरत है, जो हमारे बीच का हो।”

मुस्लिम लीग के नेता मोहम्मद कुंजिप्पा अपनी पत्नी रेजीना के लिए मैदान में हैं।

सीपीआई(एम), एक ऐसी पार्टी जो धर्मनिरपेक्षता, समाजवाद, लैंगिक समानता और अन्य सभी प्रगतिशील विचारों की कसमें खाती है, उसने फ्लेक्स बोर्ड और अन्य विज्ञापनों से महिला उम्मीदवारों की तस्वीरों को गायब कर इस मामले में बढ़त भी हासिल कर ली है। पुरुष कामरेड अपनी पत्नियों के लिए मतदाताओं से वोट की याचना कर रहे हैं। यह दिलचस्प है कि इन सभी उम्मीदवारों को हथौड़ा-हंसिया-सितारा प्रतीक यानी सीपीआई(एम) का आधिकारिक प्रतीक आवंटित किया गया है।
विख्यात फिल्म निर्माता अली अकबर ने कहा, “मतदाताओं को यह बताने का उनका तरीका है कि हालांकि वे माकपा के उम्मीदवारों के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन वे रूढ़िवादी इस्लामिक नियमों का पालन करते हैं।” उन्होंने कहा कि दकियानूसी (रूढ़िवादी) इस्लामवादी महिलाओं की तस्वीरों को प्रदर्शित करने के खिलाफ हैं। अकबर ने कहा, “यह एक और संकेत है कि जमात-ए-इस्लामी ने माकपा में अपनी पकड़ बना ली है[3]। यह लंबे समय में राज्य में मुस्लिम समुदाय के भविष्य के लिए अच्छा नहीं है।”
संदर्भ:
[1] Kerala: 7 million join human chain against CAA – Jan 27, 2020,
Matters India
[2] Political parties engaged in old dogmas, beliefs for campaigning – Oct 28, 2020, The Pioneer
[3] CPI(M) accused of ties with Jamaat-e-Islami – Oct 19, 2015, The Hindu
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