भ्रष्ट पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को बचाने के लिए वित्त मंत्रालय केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को चार आईएएस अधिकारियों, जो एयरसेल मामले में चिदंबरम के साथ सह आरोपी हैं, पर कार्यवाही के लिए स्वीकृति ना देकर सबसे बड़ा धोखाधड़ी कर रहा है। मैक्सिस मामले पर सीबीआई का अनुरोध अरुण जेटली, जो चिदंबरम के करीबी दोस्त हैं, के तहत वित्त मंत्रालय में 100 दिनों से अधिक समय तक लंबित है। सीबीआई ने 19 जुलाई को दो सेवानिवृत्त वित्त सचिवों और दो सेवारत आईएएस अधिकारियों के साथ चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति को सह आरोपी के रूप में आरोपित किया और अब अदालत ने एजेंसी से 26 नवंबर के पहले अभियोजन के लिए स्वीकृति जमा करने को कहा है।
याद दिला दें कि पूर्व वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने सीबीआई के अनुरोध के 24 घंटों के भीतर 2 जी मामलों में अभियोजन के लिए मंजूरी दे दी थी।
- पूर्व वित्त सचिव अशोक झा
- पूर्व वित्त सचिव अशोक चावला, वर्तमान में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत
- असम संवर्ग के संजय कृष्णन
- बिहार संवर्ग के दीपक कुमार सिंह
1 अक्टूबर को पिछली सुनवाई के दौरान, 2 जी न्यायालय में, उपरोक्त नामित चार आईएएस अधिकारियों के अभियोजन के लिए स्वीकृति प्रदान करने में देरी के लिए न्यायाधीश ओपी सैनी ने सीबीआई की निंदा की थी। न्यायाधीश ने यह भी कहा कि अगर 26 नवंबर तक, अगली सुनवाई की तारिख, तक अभियोजन की अनुमति नहीं दी गयी तो वह “उपयुक्त आदेश” पारित करेंगे।[1]
[1] सीबीआई को एयरसेल-मैक्सिस घोटाले में अभियोजन के लिए स्वीकृति प्रदान करने में वित्त मंत्रालय की देरी की वजह से फटकार पड़ी
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