उदय सिंह कुमावत पेरिस में मेनिका जाल में फंस गए

यह स्तर है वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों में से एक का।

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उदय सिंह कुमावत आईएएस पेरिस में अपने प्रवास के दौरान फ्रांसीसी खुफिया एजेंसी द्वारा प्रायोजित मेनिका जाल में फंस गए।

भारत के वित्त मंत्रालय के संयुक्त सचिव (राजस्व) उदय सिंह कुमावत आईएएस पेरिस में अपने प्रवास के दौरान फ्रांसीसी खुफिया एजेंसी द्वारा प्रायोजित मेनिका जाल में फंस गए। यह अधिकारी ब्लैक मनी आयोग के विशेष जांच दल (एसआईटी) में सदस्य सचिव के संवेदनशील पद पर है। पेरिस में काम कर रहे पीगुरूज के पाठकों ने हमें बताया कि फ्रेंच खुफिया एजेंसी ने पेरिस में तैनात भारतीय खुफिया एजेंसी(रॉ) के अपने समकक्षों को वीडियो दिया है।

कुमावत पेरिस क्यों गए?
कुमावत पेरिस में वित्तीय कार्रवाई टास्क फोर्स (एफएटीएफ) के संबंध में एक आधिकारिक बैठक में भाग लेने पहुंचा, और इस बैठक में देश का प्रतिनिधित्व किया। अंतर्राष्ट्रीय बैठक 18 से 23 फरवरी तक थी। पेरिस जाने से पहले, कुमावत ने बेल्जियम के लिए एक आगन्तुक वीजा प्राप्त करने की कोशिश की थी। वित्त मंत्रालय में एक पूर्व महिला सहयोगी वर्तमान में बेल्जियम में तैनात की गई है। लेकिन कुमावत को बेल्जियम का वीजा न मिलने की स्थिति में, कुमावत ने उस महिला को भी पेरिस आने के लिए आमंत्रित किया। यह महिला सहयोगी वित्त मंत्रालय में एक निदेशक स्तर की अधिकारी थी और भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) विभाग के उत्तर ब्लॉक में कुमावत और इस महिला अधिकारी के नजदीकी रिश्ते की कहानी आम थी।

उदय सिंह कुमावत एक बहुत शक्तिशाली अधिकारी है, जिसका कांग्रेस, भाजपा और राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेताओं के साथ बड़ा संबंध है।

कई अधिकारियों का कहना है कि कुमावत हमेशा अपने कमरे के दरवाजे पर एक लाल लाइट रखता था, जब यह महिला अधिकारी उसके कमरे में प्रवेश करती थी, यह मिलन घंटों तक चलता था। सात महीने पहले, जैसा कि कुछ सहयोगियों ने हास्य की भावना के साथ बताया, कुमावत की पत्नी ने उसके केबिन में घुसकर दोनों को पकड़ा और वित्त मंत्रालय में हंगामा खड़ा कर दिया था। कई अधिकारियों के अनुसार, कुमावत की पत्नी ने मंत्रालय में वरिष्ठ स्तर पर शिकायत की थी और मंत्रालय से मांग की कि महिला अधिकारी को विभाग से बाहर निकाल दिया जाए।

पत्नी और प्रेमिका के बीच फँसे, कुमावत बेल्जियम के दूतावास में उस महिला अधिकारी के लिए एक बढ़िया नियुक्ति करने में कामयाब रहे। कुमावत वित्त मंत्रालय, आयकर, सीमा शुल्क, प्रवर्तन निदेशालय, वित्तीय खुफिया इकाई आदि में सभी नियुक्ति और स्थानान्तरणों को नियंत्रित कर रहे हैं। अपने वरिष्ठ और वित्त सचिव हसमुख अधिया पर दबाव डालकर, कुमावत ने महिला अधिकारी के लिए बेल्जियम में पदस्थापना की, लगभग 40 अन्य अधिकारियों ने पद के लिए आवेदन किया था, उन सभी की उम्मीदवारी को नजरअंदाज कर दिया गया।

पेरिस पहुंचे, कुमावत को पेरिस में होटल डु कलेक्शनियन में रखा गया था और जैसा कि बेल्जियम के लिए वीजा से इनकार कर दिया गया था, उसने अपनी प्रेमिका अधिकारी को पेरिस आमंत्रित किया। महिला अधिकारी पेरिस पहुँची और फ्रांसीसी एजेंसियां उन दोनों के मिलन स्थल पर नजर रख रही थीं। गुप्त कैमरों ने उन दोनों के छुप-छुपकर मिलने के लम्हों को पूरी तरह रिकॉर्ड किया। यह स्तर है वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों में से एक का। वह पेरिस में एफएटीएफ के अतिमहत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय बैठक में भाग लेने के लिए गए थे। भारत का और उसके दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करने के लिए भेजा गया ऑफिसर अपना काम छोड़ अय्याशी कर रहा था, वित्तीय एक्शन टास्क फोर्स के मीटिंग के लिए पेरिस गये ऑफिसर का यह बर्ताव निंदनीय है। और 23 फरवरी के बाद होटल प्रबंधन ने कुमावत को खाली करने के लिए कहा, जब कुमावत ने दो और दिनों के लिए वहाँ रुकने की मांग की। चूंकि होटल प्रबंधन अड़ियल था, कुमावत और महिला अधिकारी दूसरे होटल में स्थानांतरित हुए और 24 और 25 फरवरी को अपनी रंगरलियाँ जारी रखीं। और शीघ्र ही फ्रांसीसी पुलिस ने नई जगह पर भी उनकी निगरानी रखना शुरू कर दिया।

पीगुरूज को यह पता लगा है कि कुछ दिनों पहले फ्रांसीसी खुफिया एजेंसी ने कुमावत और महिला अधिकारी की रंगरलियों की कॉम्पैक्ट डिस्क (सीडी) पेरिस में तैनात भारतीय खुफिया एजेंसी (रॉ) के अधिकारियों को दी थी।

उदय सिंह कुमावत एक बहुत शक्तिशाली अधिकारी है, जिसका कांग्रेस, भाजपा और राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेताओं के साथ बड़ा संबंध है। वह बिहार कैडर के 1993 बैच का आईएएस अधिकारी है। उसने कई बीजेपी, कांग्रेस और राकांपा के मंत्रियों के साथ विशेष अधिकारी (ओएसडी) के रूप में काम किया। अगस्त 2017 में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने कुमावत को बिहार कैडर वापस लौटा दिया था। दिलचस्प बात यह है कि वह केंद्रीय वित्त मंत्रालय में हैं और कई राजनेताओं ने मार्च 2018 तक केंद्रीय सरकार में उसकी सेवा बढ़ाने के लिए सिफारिश की है और हाल ही में वित्त सचिव हसमुख अधिया ने मई 2018 तक कुमावत की सेवा विस्तार की सिफारिश की है। इन घटनाओं से उदय सिंह कुमावत, आईएएस की शक्ति दिखाई देती है। एसीसी द्वारा स्थानांतरण का आदेश देने के बाद, कैसे एक अधिकारी इतने समय तक रह सकता है? उसे कौन संरक्षित कर रहा है? यह एक ज्ञात तथ्य है कि बिहार में सभी दलों के कई शक्तिशाली नेताओं ने वित्त मंत्रालय में कुमावत की सेवा को जारी रखने की सिफारिश की थी (यह सिफारिश कहीं निजी हितों को लेकर तो नहीं), प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एसीसी के नेतृत्व में उसे वापस बिहार कैडर में स्थानांतरित किया गया, कारण थे वित्त मंत्रालय में उसके कारनामे। इसके बावजूद तमाम नेताओं की उसके समर्थन में सिफारिश, कुछ तो हित रहे होंगे।

अब समय आ गया है कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली को इस प्रकार के घटिया किस्म के अधिकारियों, जो देश के लिए शर्म की बात है, को बाहर का रास्ता दिखाना चाहिए। यह आश्चर्यजनक घटना नहीं होगी। अगर यह व्यापारिक जगत होता, तो श्री कुमावत को बाहर निकाल दिया जाता। और यह कार्यवाही बेहतर होगी क्योंकि यह अधिकारी इसी का हकदार है।

… आगे जारी किया जायेगा

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