सिस्टर अभया हत्या मामले में कैथोलिक पादरी और नन को आजीवन कारावास
अंत में, कैथोलिक सिस्टर अभया को न्याय मिल गया, जिनकी 28 साल पहले चर्च के कॉन्वेंट में हत्या कर दी गई थी। तिरुवनंतपुरम की एक विशेष सीबीआई अदालत ने बुधवार को कैथोलिक पादरी और नन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई, जो सिस्टर अभया की हत्या के दोषी पाए गए थे, सिस्टर अभया ने कोट्टायम जिले के कॉन्वेंट की रसोई में रात के समय आरोपियों को शारीरिक संबंध बनाते गलती से देख लिया था। कहीं अभया इस रहस्य को उजागर न कर दे, इस डर से, मार्च 1992 में उसे मौके पर ही मार दिया गया और शव को आरोपियों ने एक कुएं में फेंक दिया।
विशेष सीबीआई न्यायाधीश के सानल कुमार ने पादरी थॉमस कोट्टूर को दोहरे आजीवन कारावास की सजा सुनाई और 6.5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। जबकि मामले की अन्य आरोपी सिस्टर सेफी को उम्रकैद की सजा सुनाई गई और उस पर साढ़े पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया। मंगलवार को न्यायालय ने दो लोगों को सिस्टर अभया की हत्या का दोषी पाया, सिस्टर अभया 1992 में कोट्टायम के सेंट पायस कॉन्वेंट के एक कुएं में मृत पाई गयी थी। अदालत ने सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने के लिए भी दोनों को सात साल की कैद की सजा सुनाई। हालाँकि, अदालत ने कहा कि सजा को साथ-साथ ही दिया जायेगा।
29 मार्च, 1993 को सीबीआई ने जांच शुरू की और सीबीआई द्वारा तीन क्लोजर रिपोर्ट भी दर्ज की गईं, जिनमें कहा गया कि हालांकि यह हत्या का मामला था, लेकिन अपराधियों का पता नहीं चल सका।
पादरी कोट्टूर को आईपीसी की धारा 302 और 449 के तहत दो अपराधों – हत्या और आपराधिक अतिचार के लिए दोहरे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। अदालत ने धारा 302 के तहत 5 लाख रुपये और नन के कॉन्वेंट में आपराधिक अतिचार के लिए 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। सिस्टर सेफी को आईपीसी की धारा 302 के तहत आजीवन कारावास के साथ-साथ 5 लाख रुपये का जुर्माना और साथ ही सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने के लिए भी सात साल की सजा, जिसमें 50,000 रुपये का जुर्माना भी शामिल है।
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अभया (21), कोट्टयम के बीसीएम कॉलेज की द्वितीय वर्ष की छात्रा, सेंट पायस कॉन्वेंट में रह रही थी। इस मामले के एक अन्य आरोपी, पादरी जोस पुथ्रीकायिल को सबूतों के अभाव में पहले ही छोड़ दिया गया था।
प्रारंभ में, मामले की जांच स्थानीय पुलिस और राज्य अपराध शाखा (क्राइम ब्रांच) द्वारा की गई थी, जिसने निष्कर्ष निकाला था कि अभया ने आत्महत्या की थी। 29 मार्च, 1993 को सीबीआई ने जांच शुरू की और सीबीआई द्वारा तीन क्लोजर रिपोर्ट भी दर्ज की गईं, जिनमें कहा गया कि हालांकि यह हत्या का मामला था, लेकिन अपराधियों का पता नहीं चल सका।
हालाँकि, 4 सितंबर, 2008 को, केरल उच्च न्यायालय ने सिस्टर अभया हत्या मामले को संभालने के तरीके के लिए सीबीआई को फटकार लगाई और कहा कि एजेंसी “अभी भी राजनीतिक और नौकरशाही शक्ति धारी व्यक्तियों की एक कठपुतली है” और निर्देश दिया कि जांच को दिल्ली इकाई द्वारा अपने कोच्चि समकक्ष को सौंप दी जाए। इसके बाद, केंद्रीय एजेंसी ने 2008 में हत्या के आरोप में दो पादरियों – पादरी थॉमस कोट्टूर, पादरी जोस पुथ्रीकायिल और एक नन – सिस्टर सेफी को गिरफ्तार किया।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, कोट्टूर और पुथ्रीकायिल के कथित रूप से सेफी के साथ अवैध संबंध थे, जो कॉन्वेंट में ही रहती थी। 27 मार्च, 1992 की रात को, अभया ने कथित रूप से कोट्टूर और सेफी को शारीरिक संबंध बनाते देखा, जिसके बाद तीनों अभियुक्तों ने उसे कुल्हाड़ी से काटकर कुएं में फेंक दिया, यह आरोप-पत्र में दर्ज बयान है।
पूरा निर्णय नीचे प्रकाशित किया गया है:
sc-1114-2011 (Abhaya Case) by PGurus on Scribd
[पीटीआई इनपुट्स के साथ]
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