जब संपूर्ण ब्रिटेन में लॉकडाउन है, तो भारत सरकार ने लंदन से आने-जाने वाली उड़ानें क्यों शुरू कीं?

यूके में लॉकडाउन होने के बावजूद भारत सरकार एयर इंडिया के कर्मचारियों को जोखिम में क्यों डाल रही है?

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यूके में लॉकडाउन होने के बावजूद भारत सरकार एयर इंडिया के कर्मचारियों को जोखिम में क्यों डाल रही है?
यूके में लॉकडाउन होने के बावजूद भारत सरकार एयर इंडिया के कर्मचारियों को जोखिम में क्यों डाल रही है?

दिल्ली सरकार ने लंदन से आने वाले यात्रियों के लिए 7 दिनों के क्वारेंटाइन की घोषणा की!

यह दिलचस्प है कि आखिर भारत सरकार ने यूनाइटेड किंगडम (यूके) के साथ उड़ान संचालन को फिर से शुरू करने की अनुमति क्यों दी जबकि वह देश कोविड के नए संक्रमण खतरे की वजह से लॉकडाउन में है। लंदन से आने वाले यात्रियों को सात-दिन अनिवार्य संस्थागत क्वारेंटाइन और शेष 7 दिन घरेलू क्वारेंटाइन में रखने का साहसिक निर्णय लेने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बधाई के पात्र हैं। पहले लंदन में लॉकडाउन लगने के साथ ही भारत सरकार ने लंदन से आने जाने वाली उड़ानों पर सात दिनों के लिए प्रतिबंध लगा दिया था और फिर इसे अगले सात दिनों तक यानी सात जनवरी तक बढ़ा दिया था। अब 8 जनवरी से, लंदन के लिए उड़ानों की अनुमति दे दी गयी है, जबकि ब्रिटेन अभी भी एक गंभीर कोविड संक्रमण का सामना कर रहा है।

बोर्डिंग से पहले कोविड-नेगेटिव होना अनिवार्य है!

भारतीय विमान वाहक एयर इंडिया का कहना है कि लंदन से दिल्ली आने वाले यात्रियों को कोविड-नकारात्मक (नेगेटिव) परीक्षण रिपोर्ट के साथ हवाई अड्डे पर आना होगा। लेकिन तथ्य यह है कि जब दिल्ली हवाई अड्डे पर जांच की गई, तो लंदन से सवार कुछ यात्री दिल्ली हवाई अड्डे पर जांच के दौरान कोविड-सकारात्मक (पॉजिटिव) पाए गये।

केजरीवाल ने गुरुवार को केंद्र से आग्रह किया था कि भारत और ब्रिटेन के बीच उड़ानों पर प्रतिबंध को 31 जनवरी तक बढ़ाया जाए क्योंकि ब्रिटेन की कोविड स्थिति अत्यंत गंभीर है।

सात दिवसीय संस्थागत क्वारेंटाइन के पूरा होने के बाद, ऐसे यात्रियों को सात दिनों के लिए एक और होम क्वारेंटाइन के तहत रहना होगा जो कि दिल्ली सरकार के जिला अधिकारियों द्वारा सख्त निगरानी के माध्यम से सुनिश्चित किया जाएगा। शुक्रवार को जारी एक आदेश में, दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने कहा कि नए नियम 14 जनवरी तक एक परीक्षण के आधार पर लागू होंगे। एक अधिकारी ने कहा कि नए नियमों के क्रियान्वयन को बढ़ाने के बारे में निर्णय, स्थिति की समीक्षा के बाद लिया जायेगा।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि यूके से वालों को इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय (आईजीआई) हवाई अड्डे पर कोविड-19 परीक्षण में पॉजिटिव पाए जाने पर सरकार द्वारा स्थापित सुविधा केंद्रों पर अलग किया कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा, “दिल्लीवासियों को ब्रिटेन से आये वायरस के संपर्क में आने से बचाने के लिए, दिल्ली सरकार ने महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। ब्रिटेन से आने वाले यात्रियों को हवाई अड्डे पर पहुँचते ही अनिवार्य रूप से स्व-भुगतान वाले आरटी-पीसीआर परीक्षण से गुजरना होगा।” केजरीवाल ने ट्वीट किया – “ब्रिटेन से आने वाले सभी लोग, जो परीक्षण में पॉजिटिव पाए जायेंगे, उन्हें अलहदगी (आइसोलेशन) केंद्र में रखा जायेगा। नेगेटिव आये लोगों को सात दिनों के लिए संगरोध (क्वारेंटाइन) सुविधा केंद्र में रखा जाएगा, इसके बाद वे सात दिन तक होम क्वारेंटाइन रहेंगे।”

उन्होंने कहा – “नेगेटिव पाए जाने वालों को भुगतान वाली और सरकार द्वारा मुफ्त संस्थागत क्वारेंटाइन सुविधा, दोनों का विकल्प दिया जाएगा।” अब तक 13 दिल्ली निवासी कोविड-19 के नये संस्करण से संक्रमित पाए गए हैं, कोविड का नया संस्करण पहली बार यूके में पाया गया था। केजरीवाल ने गुरुवार को केंद्र से आग्रह किया था कि भारत और ब्रिटेन के बीच उड़ानों पर प्रतिबंध को 31 जनवरी तक बढ़ाया जाए क्योंकि ब्रिटेन की कोविड स्थिति अत्यंत गंभीर है।

भारत सरकार का मौन संदिग्ध

यहां सवाल यह है कि नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली भारत सरकार के नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने लंदन और दिल्ली के बीच उड़ानों को फिर से शुरू करने की अनुमति क्यों दी? भारतीय उड़ान कर्मचारियों (मूल रूप से राष्ट्रीय वाहक एयर इंडिया से) को लंदन जाकर यात्रियों को दिल्ली वापस लाकर कर्मचारियों का जीवन खतरे में डालने की आवश्यकता क्या थी? मोदी या उनके नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी, जो ट्विटर पर बहुत सक्रिय हैं परंतु इस मुद्दे पर अब मौन व्रत पर हैं। असली कारण क्या है? अति के मौन को मूर्खता या असंवेदनशीलता ही कहा जा सकता है, जब तक कि ऐसा करने के अन्य कारण न हों। क्या किसी वीआईपी परिवार के सदस्य जो नए साल के जश्न के लिए लंदन गए थे, वहाँ फंस गए हैं और अब घर लौटना चाहते हैं?

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