क्यों इतने सारे बाबू लोग सी-कंपनी के एक व्यक्ति का बचाव करने की कोशिश कर रहे हैं?

एचएफटीए घोटाले के पीछे दिमाग को गिरफ्तार करने से बचाने की कोशिश में, बाबू असामान्य उत्सुकता दिखा रहे हैं।

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क्यों इतने सारे बाबू लोग सी - कंपनी के एक व्यक्ति का बचाव करने की कोशिश कर रहे हैं?
क्यों इतने सारे बाबू लोग सी - कंपनी के एक व्यक्ति का बचाव करने की कोशिश कर रहे हैं?

आईआईटी मुंबई से स्नातक उपाधि के बाद विदेशी विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर उपाधि। कई नीति तय करनेवाली समितियों, प्रबुद्ध मंडलों एवँ अनुसंधान संगठनों में सदस्यता। जीवन-साथी जो सहपाठी है और उतना ही कुशल भी। ये दम्पति मीडिया के चहेते हैं क्योंकि उन्होनें कई सारी कलन विधि बनाई और वित्त मंत्रालय को भारतीय वित्तीय बाजार के लिए नीतियाँ बनाने में सहायता की। प्रभावशाली। परंतु… (ऐसे मामलों में हमेशा एक ‘परंतु’ होता है)

यह जानने के लिए कि भारत में प्रधान शेयर बाजार कैसे चलता है, इस दंपति को इस बाजार में हुए व्यापार गतिविधि का समय शृंखला विवरण दिया गया। ये विवरण उन्हें केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए दिया गया था क्योंकि वे वित्त मंत्रालय से जुड़े प्रतिष्ठित नीति निर्माण समिति का हिस्सा थे और वित्त मंत्रालय भारत में सभी वित्तीय विषयों पर अंतिम अधिकारी है [1]। परंतु उन्होनें इसे अच्छा-खासा पैसा बनाने का अवसर बना दिया!

पत्नी और उसकी बहन, जिसका विवाह इसी शेयर बाजार के व्यापार के प्रमुख से हुआ है (करोड़ों गुना हित-संघर्ष), ने कंपनियां बनाई जिसने दिए गए विवरणों का उपयोग करके ऐसी नीतियां बनाई जिससे यह पता चल सके कि शेयर कैसा व्यवहार करेंगे। इन कलन विधियों को मुनाफे के लिए (और कदाचित कुछ लाभांश के लिए) कई दलालों को बेचे गए और यह कई वर्षों तक चला जब कुछ लोगों ने इस सफेदपोश अपराध से भारी मुनाफा कमाया। वांछित परिणाम सुनिश्चित करने के लिए, शेयर बाजार में बड़ी धांधली की गई थी ताकि इन दलालों को पहले अभिगम दिया जाए।

और अब, यह पति एड़ी चोटी का जोर लगा रहा है ताकि अपना (और अपनी पत्नी का) बचाव कर सके, इस आशा में कि यह सब किसी तरह हट जाएगा। इसका गुरु खुद का बचाव करने के लिए मारा मारा फिर रहा है और उन सारे समर्थकों को इस जोड़ी की सहायता करने के लिए बुलाया गया है।

प्रधानमंत्री और वर्तमान वित्त मंत्री को मामले के तथ्यों को ध्यान में रखते हुए कार्यवाही करनी चाहिए और किसी भी बाबू, फिर चाहे वह कितना ही ऊंचे स्थान पर क्यों ना हो, को हस्तक्षेप करने नहीं दिया जाना चाहिए। यह शर्मिंदगी की बात है कि इस दम्पति ने अभी तक किसी भी पद से इस्तीफा नहीं दिया है और सपनों की दुनिया में जी रहे हैं। जब किसी व्यक्ति का नाम सीबीआई के एफआईआर में दर्ज हो जाए, तो उस व्यक्ति का कर्तव्य बनता है कि वह दूसरे लोगों के लिए ईमानदारी का एक उदाहरण प्रस्तुत करे।

ये दम्पति कौन है यह जानने के लिए पीगुरूज में सितंबर-अक्टूबर 2017 में प्रकाशित हुए ‘एनाटॉमी ऑफ क्राइम’ शृंखला में खोज करें।

संदर्भ:

[1] Anatomy of a crime P4 – Who benefited from the HFT scam? Oct 4, 2017, PGurus.com

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