सर्वोच्च न्यायालय की कड़ी चेतावनी, दिल्ली में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए वैज्ञानिक तरीके अपनाए जाए

वायु प्रदूषण को रोकने के लिए सांख्यिकीय मॉडल का उपयोग करना चाहिए और वैज्ञानिक तरीकों को अपनाना चाहिए

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दिल्ली वायु प्रदुषण पर सर्वोच्च न्यायलय सख्त
दिल्ली वायु प्रदुषण पर सर्वोच्च न्यायलय सख्त

मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण की अध्यक्षता वाली एवं न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और सूर्य कांत की उपस्थिति वाली पीठ ने कहा कि न्यायालय दिल्ली में वायु प्रदूषण के महत्वपूर्ण स्तरों के बारे में बहुत चिंतित है। न्यायालय के मुताबिक वायु गुणवत्ता सूचकांक 300 से अधिक है, जो बेहद खतरनाक है।

सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को सरकार से कहा कि वह राज्य सरकारों द्वारा पराली जलाने को रोकने के लिए उठाए गए कदमों का सूक्ष्म प्रबंधन नहीं कर सकती है। न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार को दिल्ली में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए सांख्यिकीय मॉडल का उपयोग करना चाहिए और वैज्ञानिक तरीकों को अपनाना चाहिए।

पीठ ने कहा – “हम इस मामले को बंद नहीं करने जा रहे हैं। हम मामले को जारी रखेंगे, लगभग हर दिन या वैकल्पिक दिन।” पीठ ने अपनी मंशा स्पष्ट करते हुए कहा कि न्यायालय इस वायु प्रदूषण के खतरे से निपटने के लिए कदमों के प्रभावी क्रियान्वयन देखना चाहती है।

पीठ ने कहा कि वह राज्यों का सूक्ष्म प्रबंधन नहीं कर सकती और उन्हें यह नहीं बता सकती कि क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि दिल्ली एक राष्ट्रीय राजधानी है और गंभीर वायु प्रदूषण का स्तर दुनिया भर में अच्छे संकेत नहीं भेजता है।

उन्होंने केंद्र से कहा कि तदर्थ व्यवस्थाओं- मशीनों के माध्यम से सड़कों की सफाई, एंटी-स्मॉग गन, धूल प्रबंधन आदि पर ध्यान केंद्रित न करें, बल्कि वायु गुणवत्ता आयोग को वायु प्रदूषण को कम करने के लिए कुछ वैज्ञानिक अध्ययन करना चाहिए।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने जोर देकर कहा कि अधिकारियों को यह अनुमान लगाना चाहिए कि भविष्य में हवा की गुणवत्ता खराब होगी और फिर उसके अनुसार उपाय विकसित करें। उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण के प्रमुख कारकों की पहचान करने के लिए सांख्यिकीय मॉडलों की जांच की जानी चाहिए और फिर उन पर कार्रवाई की जानी चाहिए।

केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हवा की गुणवत्ता खराब होने पर अधिकारियों द्वारा अपनाई गई श्रेणीबद्ध प्रतिक्रिया के बारे में विस्तार से बताया।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने उदाहरण के लिए वायु प्रदूषण के लिए मौसमी मॉडलिंग जनवरी से मार्च, जुलाई से सितंबर और नवंबर से जनवरी तक का सुझाव दिया। उन्होंने कहा – “आपके पास दिल्ली के लिए अलग-अलग मौसमों के लिए मॉडल होने चाहिए, पिछले 5 वर्षों के आंकड़ों को देखें।”

दरअसल, शीर्ष न्यायालय एक नाबालिग आदित्य दुबे की याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें हर साल दिल्ली में पराली जलाने के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है। दिल्ली में 381 एक्यूआई की ओर इशारा करते हुए, पीठ ने केंद्र से वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए 2-3 दिनों में कदम उठाने के लिए कहा और मामले को सोमवार को आगे की सुनवाई के लिए निर्धारित किया।

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