हेट स्पीच मामले में टीवी चैनलों को सर्वोच्च न्यायालय की फटकार; कहा- मूकदर्शक क्यों बनी हुई है सरकार

हेट स्पीच के मामले में सुप्रीम कोर्ट की टीवी चैनलों व उसके एंकरों पर सख्त टिप्पणी

0
175
हेट स्पीच मामले में टीवी चैनलों को सर्वोच्च न्यायालय की फटकार
हेट स्पीच मामले में टीवी चैनलों को सर्वोच्च न्यायालय की फटकार

हेट स्पीच मामले को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने टीवी चैनलों को जमकर लताड़ा और केंद्र सरकार पर भी सवाल उठाया

हेट स्पीच के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने टीवी चैनलों व उसके एंकरों पर सख्त टिप्पणी की है। जस्टिस के एम जोसेफ ने कहा कि टीवी भड़काऊ बयानबाज़ी का प्लेटफार्म बन गया है और खासकर राजनेता इसका फायदा उठा रहे हैं।

न्यायालय ने हेट स्पीच मामले को लेकर टीवी चैनलों को जमकर लताड़ा और केंद्र सरकार पर भी सवाल किया है। कोर्ट ने कहा कि टीवी पर होने वाली बहसबाजी में एंकर की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है। सवाल ये भी है कि आखिर सरकार इसपर मूकदर्शक क्यों बनी हुई है।

इस मामले पर सुनवाई के दौरान जस्टिस के एम जोसेफ ने कहा “आजकल टीवी भड़काऊ बयानबाजी का प्लेटफार्म बन गया है। एंकर की ये जिम्मेदारी होनी चाहिए कि बहस में कोई भड़काऊ बयानबाजी न हो। वो कुछ गलत करेंगे तो उसका नतीजा भुगतना पड़ेगाप्रेस की आजादी अहमियत रखती है, लेकिन बिना रेगुलेशन के टीवी चैनल हेट स्पीच का जरिया बन गए हैं। दस लोगों को डिबेट में बुलाया जाता है, जो अपनी बात रखना चाहते है, उन्हें म्यूट कर दिया जाता है। उन्हें अपनी बात रखने का मौका ही नहीं मिलता।” कोर्ट ने कहा कि उन राजनेताओं ने इसका अधिक फायदा उठाया है जिन्हें ये टीवी प्लेटफॉर्म मंच देते हैं।

इस दौरान जस्टिस केएम जोसेफ ने पिछले साल से दायर याचिकाओं के एक बैच की सुनवाई में कहा, “मुख्यधारा के मीडिया या सोशल मीडिया पर ऐसे भाषण भरे पड़े हैं। ऐसे में एंकर का ये देखना कर्तव्य है कि किसी भी समय ऐसे नफरती बयान न दें। प्रेस की स्वतंत्रता महत्वपूर्ण है, लेकिन हमें पता होनी चाहिए कि लिमिट क्या होनी चाहिए।”

न्यायालय ने कहा कि “आखिर दर्शकों को ये हेट स्पीच क्यों पसंद आ रहे हैं? एक तरह से हेट स्पीच की लेयर चढ़ा दी गई है। जैसे किसी को धीरे-धीरे जान से मारना हो, बार बार कुछ आधार बनाकर हेट स्पीच को दिखाया जा रहा है, उसे मंच दिया जा रहा है।”

सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर सरकार मूक दर्शक क्यों बनी हुई है?
“सरकार को ऐसे मामलों पर प्रतिकूल रुख नहीं अपनाना चाहिए, बल्कि न्यायालय की सहायता करनी चाहिए।”

अब इस मामले की अगली सुनवाई 23 नवंबर को होगी। न्यायालय ने केंद्र सरकार को कहा है कि वो ये स्पष्ट करे कि क्या वह अभद्र भाषा पर अंकुश लगाने के लिए विधि आयोग की सिफारिशों पर कार्रवाई करने का इरादा रखती है।

[आईएएनएस इनपुट के साथ]

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.