सियालकोट में श्रीलंकाई नागरिक की भीड़ द्वारा हत्या
प्रियंता कुमारा, जो सियालकोट के वजीराबाद रोड पर एक निजी कारखाने में प्रबंधक के रूप में काम कर रहे थे, को 3 दिसंबर को ईशनिंदा के आरोपों में भीड़ द्वारा मौत के घाट उतार दिया गया और उनके शव को आग लगा दी गई। द न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, दो प्रमुख संदिग्धों ने पुलिस के सामने सियालकोट में एक श्रीलंकाई कारखाने के प्रबंधक की यातना और हत्या में शामिल होने की बात कबूल कर ली है।
श्रीलंकाई नागरिक प्रियंता कुमारा के शव के प्रारंभिक पोस्टमार्टम से पता चला है कि उनके सिर पर गंभीर चोट लगने से उनकी मौत हुई थी। उसको आग के हवाले करने से पहले उनके अंगों की अधिकांश हड्डियां टूट चुकी थीं। शनिवार को सामने आई रिपोर्ट और अतिरिक्त वीडियो में लिंचिंग के नए विवरण सामने आए हैं। यह सामने आया कि एक सहयोगी ने भीड़ से प्रियंता को बचाने की कोशिश की।
प्रांतीय सरकार द्वारा दी गई प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, विवाद तब सामने आया जब प्रियंता कुमारा ने सुबह 10:28 बजे कारखाने की दीवारों से कुछ पोस्टर हटा दिए। द न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, पोस्टरों पर पैगंबर का नाम लिखा हुआ था।
कुछ ही देर में फैक्ट्री मालिक मौके पर पहुंचा और मामले को सुलझाया। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुमारा ने अपनी ओर से गलतफहमी के लिए माफी मांगी थी। कुमारा द्वारा माफी मांगने के बाद, कथित तौर पर मामले को सुलझा लिया गया और कारखाने के कर्मचारी तितर-बितर हो गए।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ कार्यकतार्ओं ने अपने सहयोगियों को प्रबंधक पर हमला करने के लिए उकसाया था। कुछ ही मिनटों में, भीड़ ने औद्योगिक इकाई के परिसर के भीतर पीड़ित पर हमला किया और अंतत: उन्हें मार डाला।
जिस समय क्रूर हमला हो रहा था, उस समय कारखाने में कुल 13 सुरक्षा गार्ड मौजूद थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि उनमें से किसी ने भी पीड़ित को बचाने या भीड़ को तितर-बितर करने की कोशिश नहीं की। कुमारा के शव को बाद में कारखाने के बाहर घसीटा गया और जला दिया गया।
रिपोर्ट के मुताबिक, प्रियंता की खोपड़ी पर कई वार हुए और एक जोरदार झटका उनके दिमाग में गहराई तक चला गया, जिससे उनकी मौत हो गई। समा टीवी की रिपोर्ट के अनुसार, भीड़ ने लगभग सभी अंगों की हड्डियां तोड़ दीं। जलने और घावों से लगभग 99 प्रतिशत क्षतिग्रस्त हो गए। निचले पैरों को छोड़कर शरीर जल गया था।
कानूनी औपचारिकताओं और पोस्टमार्टम के बाद पुलिस ने सुरक्षा के बीच शव को लाहौर ले जाया गया है। शव इस्लामाबाद में श्रीलंकाई उच्चायोग को सौंपा जाएगा। भीड़ ने प्रियंता पर ईशनिंदा का आरोप लगाया था, जब उन्होंने फैक्ट्री की दीवारों पर चिपकाए गए एक धार्मिक संगठन के कुछ पोस्टरों को कथित तौर पर फाड़ दिया था।
रिपोर्ट में कहा गया है, हालांकि, शनिवार को एक पुलिस जांच से पता चला कि प्रियंता और कार्यकर्ताओं के बीच एक अन्य मुद्दे पर तीखी नोकझोंक हुई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि विदेशी कंपनियों द्वारा राजको इंडस्ट्रीज का निरीक्षण किया जाना था और मृतक ने फैक्ट्री मशीनों के पूर्ण ओवरहाल और रखरखाव का आदेश दिया था।
[आईएएनएस इनपुट के साथ]
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