मुस्लिम संगठन छात्र-छात्राओं की एक जैसी ड्रेस के खिलाफ

विवाद बढ़ता देख सीएम पिनराई विजयन ने सफाई दी। कहा- ‘सरकार स्कूली बच्चों का ड्रेस कोड तय नहीं करेगी।

0
271
मुस्लिम संगठन छात्र-छात्राओं की एक जैसी ड्रेस के खिलाफ
मुस्लिम संगठन छात्र-छात्राओं की एक जैसी ड्रेस के खिलाफ

मुस्लिम संगठन उतरे केरल सरकार के विरोध में

केरल में एलडीएफ सरकार के स्कूलों से जुड़े एक फैसले पर विवाद खड़ा हो गया है। दरअसल, सरकार ने सहायता प्राप्त स्कूलों को को-एड बनाने का फैसला किया था। साथ ही स्कूलों में छात्र-छात्राओं के लिए समान ड्रेस कोड लागू करने की बात कही थी। इसके तहत बच्चों को शर्ट और ट्राउजर पहनना था। लेकिन राज्य के कई मुस्लिम संगठन इस फैसले के विरोध में उतर आए हैं।

समान ड्रेस पैटर्न के कारण मुस्लिम संगठनों ने इसे समलैंगिकता को बढ़ावा देने वाला फैसला करार दिया है। एलडीएफ के घटक दल इंडियन नेशनल लीग (आईएनएल) ने भी सरकार के फैसले की निंदा की है। आईएनएल के मंत्री अहमद देवरकोविल को पार्टी ने कैबिनेट बैठकों में इस फैसले का विरोध जताने के लिए कहा है। विवाद बढ़ता देख सीएम पिनराई विजयन ने सफाई दी। कहा- ‘सरकार स्कूली बच्चों का ड्रेस कोड तय नहीं करेगी।

यह अधिकार उन शिक्षण संस्थानों का है, जहां बच्चे पढ़ रहे हैं। लोग पोशाक, भोजन और विश्वास के मामले में स्वतंत्र हैं और इनके बारे में अतिवादी दृष्टिकोण नहीं हो सकता है।’ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विजयन सरकार के खिलाफ इस बार सत्ता-विरोधी लहर तेजी थी, पर मुस्लिम संगठनों और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) के कारण ही उनकी वापसी हो पाई।

एलडीएफ के कई नेता सार्वजनिक मंचों से भी ये बात कह चुके हैं। ऐसे में एलडीएफ अपने वोट बैंक और घटक दलों को नाराज नहीं करना चाहती। इसी कारण उन्हें ये फैसला बदलना पड़ा

दर्जनभर स्कूल इस फैसले को पहले ही लागू कर चुके हैं। बीते महीने ही आईयूएमएल के विधायक एम के मुनीर ने ऐसे ही एक मामले में तर्क दिया था कि लड़कियां ट्राउजर पहनें, इसकी बजाय लड़के चूड़ीदार क्यों नहीं पहन सकते। इस मुद्दे पर एलडीएफ समर्थक मुस्लिम संगठनों ने भी आईयूएमएल का समर्थन किया था। इसके बाद से ही एलडीएफ के नेता इस मामले पर बोलने से बच रहे थे। केरल के शिक्षा मंत्री वी शिवनकुट्टी ने मीडिया से कहा कि सरकार किसी भी समुदाय पर एकतरफा फैसला नहीं थोपेगी।

राज्य का शक्तिशाली मुस्लिम संगठन समस्त केरल जमीयत-उल-उलेमा समलैंगिक समुदाय और महिला-पुरुष समानता पर अगले हफ्ते एक सेमिनार कर रहे हैं। सेमिनार आईयूएमएल की एक मीटिंग के बाद हो रहा है, जिसमें ये तय किया गया था कि महिला-पुरुष समानता की विचारधारा को स्कूलों पर थोपना गलत है। लेखक एम एन करासेरी ने समस्त केरल जमीयत-उल-उलेमा पर मुस्लिम समुदाय के सबसे रूढ़िवादी संगठनों में से एक होने का आरोप लगाया है। यह संगठन मुस्लिम लड़कियों की शिक्षा के खिलाफ है।

[आईएएनएस इनपुट के साथ]

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.