ओआईसी को भारत की नसीहत, आतंकवाद का समर्थन बर्दाश्त नहीं!
कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक को एनआईए कोर्ट ने टेरर फंडिंग केस में उम्रकैद की सजा सुनाई है। अब ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन के इंडिपेंडेंट परमानेंट ह्यूमन राइट कमीशन (ओआईसी-आईपीएचआरसी) ने इस फैसले की निंदा करते हुए टिप्पणी की, जिसे भारत ने अस्वीकार्य बताया है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि दुनिया आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करेगी। ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (ओआईसी) इसे (आतंक को) किसी भी सूरत में सही नहीं ठहराए।
बागची ने कहा- यासिन मलिक के मामले में फैसले को लेकर भारत की निंदा करने वाली ओआईसी-आईपीएचआरसी की टिप्पणियों को भारत स्वीकार नहीं करेगा। इन टिप्पणियों के माध्यम से ओआईसी-आईपीएचआरसी ने ऐसा बयान देकर मलिक की आतंकी गतिविधियों का समर्थन किया है। अदालत में मलिक के खिलाफ लगे आरोप साबित हुए हैं और उसके बाद ही उसे सजा सुनाई गई है। उन्होंने कहा- दुनिया आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस चाहती है।
ओआईसी ने मलिक की सजा की आलोचना करते हुए कहा था- मलिक को अमानवीय परिस्थितियों में कैद किया गया है, जो कश्मीर में रह रहे मुसलमानों के उत्पीड़न को दर्शाता है। ओआईसी ने मलिक की सजा को भारतीय न्याय प्रणाली का मजाक बनाने जैसा बताया। यासीन मलिक को सजा देना गलत है।
यासीन पर पाकिस्तान के समर्थन से कश्मीर में आतंकी हमलों के लिए फंडिंग और आतंकियों को हथियार मुहैया कराने से जुड़े कई केस दर्ज थे। उसे 25 मई को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। एनआईए के वकील उमेश शर्मा ने बताया था- यासीन को दो मामलों में उम्रकैद और 10 मामलों में 10 साल सजा सुनाई गई है। सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी। इसके अलावा इस अलगाववादी नेता को 10 लाख रुपए जुर्माना भरना होगा।
19 मई की सुनवाई के दौरान यासीन अपने गुनाह कबूल कर चुका है। मलिक पर 25 जनवरी 1990 को श्रीनगर में वायुसेना के जवानों पर हमला करने का आरोप है। इस घटना में 40 लोग घायल हुए थे, जबकि चार जवान शहीद हो गए थे। स्क्वाड्रन लीडर रवि खन्ना उनमें से एक थे। यह सभी एयरपोर्ट जाने के लिए गाड़ी का इंतजार कर रहे थे, तभी आतंकियों ने उन पर हमला कर दिया था। मलिक ने मीडिया को दिए इंटरव्यू में भी इस बात का जिक्र किया था।
इसके साथ ही पाकिस्तानी आतंकियों के साथ संबंध रखने के आरोप भी हैं। साथ ही जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया सईद के अपहरण के भी आरोप लगे हैं। 1990 में कश्मीरी पंडितों की हत्या कर उन्हें घाटी छोड़ने पर मजबूर करने में भी यासीन की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
[आईएएनएस इनपुट के साथ]
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