मोदी की महत्वाकांक्षी बुलेट ट्रेन परियोजना महाराष्ट्र में भूमि अधिग्रहण मुद्दों के कारण पटरी से उतर रही है। केवल 23% भूमि का ही अधिग्रहण हो पाया है

मोदी की बुलेट ट्रेन परियोजना महाराष्ट्र में भूमि अधिग्रहण के मुद्दे के कारण समस्या में है!

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मोदी की बुलेट ट्रेन परियोजना महाराष्ट्र में भूमि अधिग्रहण के मुद्दे के कारण समस्या में है!
मोदी की बुलेट ट्रेन परियोजना महाराष्ट्र में भूमि अधिग्रहण के मुद्दे के कारण समस्या में है!

महाराष्ट्र में एनएचएसआरसीएल अब तक 23 प्रतिशत भूमि का अधिग्रहण करने में सक्षम रहा है!

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी बुलेट ट्रेन परियोजना महाराष्ट्र में भूमि के अधिग्रहण में भारी देरी के कारण पूरी तरह से पटरी से उतर गई है। 4 मार्च को एक प्रेस वार्ता (कॉंफ़्रेंस) में, नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) जिसे अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन के निर्माण का जिम्मा सौंपा गया है, ने कहा कि गुजरात में 95% भूमि अधिग्रहण हो चुका है और महाराष्ट्र में रेल की पटरियों के लिए केवल 23% भूमि अधिग्रहण ही हो पाया है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना का उद्घाटन मोदी और जापानी पीएम शिंजो आबे ने संयुक्त रूप से सितंबर 2017 में किया था।

एनएचएसआरसीएल ने कहा कि अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन का गुजरात चरण पहले खुल सकता है, अगर वह अगले तीन महीनों में महाराष्ट्र में भूमि का अधिग्रहण नहीं कर सके। एनएचएसआरसीएल के एमडी अचल खरे ने यह भी कहा कि परियोजना को पूरा करने के लिए 2023 की निर्धारित समय सीमा संभव नहीं है, और गुजरात की ओर से सिविल (निर्माण) कार्य 2024 तक पूरा होने की उम्मीद है। एनएचएसआरसीएल ने परियोजना हेतु गुजरात में 352 किलोमीटर लंबी भूमि में से 95 प्रतिशत भूमि का अधिग्रहण कर लिया है, लेकिन महाराष्ट्र में 156 किलोमीटर में से केवल 23 प्रतिशत भूमि का अधिग्रहण ही कर सका है।

साबरमती और अहमदाबाद स्टेशनों और उस शहर में 18 किमी फैलाव के लिए ठेके 25 मार्च को जारी किये जायेंगे, जबकि वडोदरा स्टेशन और उस शहर में 7 से 8 किमी के फैलाव के लिए ठेके जून में जारी किये जायेंगे।

खरे ने कहा, “352 किलोमीटर लम्बे फैलाव हेतु 95 प्रतिशत भूमि लोगों के सहयोग के साथ-साथ गुजरात सरकार की भी मदद से हमने हासिल कर ली है।” उन्होंने यह भी कहा कि बाकी बचा 5 प्रतिशत भी जून के मध्य तक अधिग्रहित कर लिया जायेगा। उन्होंने कहा – “एनएचएसआरसीएल महाराष्ट्र में अब तक 23 प्रतिशत भूमि का अधिग्रहण करने में सक्षम रहा है। अगर हम अगले तीन महीनों में लगभग 70 प्रतिशत से 80 प्रतिशत भूमि प्राप्त करने में सफल होते हैं, तो हम पूरी परियोजना को एक साथ शुरू कर सकते हैं।”

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अगर नहीं, तो एनएचएसआरसीएल को पहले चरण में बुलेट ट्रेन का गुजरात के हिस्से को चालू करने का विचार करना होगा और दूसरे चरण में महाराष्ट्र के हिस्से को, उन्होंने कहा। खरे ने कहा, “महाराष्ट्र में भूमि अधिग्रहण को लेकर कई मुद्दे हैं। परियोजना के गुजरात चरण को पहले चालू करने के लिए हम अपने जापानी समकक्षों के साथ बातचीत कर रहे हैं।”

महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार ने नवंबर 2019 में सत्ता में आने के बाद कहा था कि वह परियोजना की आवश्यकता की समीक्षा करेगी। खरे ने कहा कि परियोजना के गुजरात वाले हिस्से के लिए, 325 किमी फैलाव और पांच स्टेशनों के निर्माण के लिए 32,500 करोड़ रुपये के ठेके दिए गए हैं। बुलेट ट्रेन के लिए गुजरात में आठ और महाराष्ट्र में चार स्टेशन होंगे

खरे ने कहा – “साबरमती और अहमदाबाद स्टेशनों और उस शहर में 18 किमी फैलाव के लिए ठेके 25 मार्च को जारी किये जायेंगे, जबकि वडोदरा स्टेशन और उस शहर में 7 से 8 किमी के फैलाव के लिए ठेके जून में जारी किये जायेंगे।” उन्होंने कहा कि 2023 में परियोजना को मूल समय सीमा पर पूरा करना संभव नहीं है क्योंकि महाराष्ट्र में कोविड-19 महामारी के कारण एक वर्ष बर्बाद हो गया और महाराष्ट्र में भूमि अधिग्रहण के मुद्दों के कारण भी काफी देरी हो रही है। उन्होंने कहा, “हम 2024 तक यानी चार साल में गुजरात की ओर के सिविल कार्यों के पूरा होने की उम्मीद करते हैं।”

एनएचएसआरसीएल को हाई-स्पीड ट्रेनों के लिए रोलिंग स्टॉक (पटरी पर चलने वाली छोटी गाड़ी) के 24 सेटों की आवश्यकता होगी, जिनमें से 18 जापान से आयात किए जाएंगे, जबकि 6 भारत में निर्मित किए जाएंगे। खरे ने कहा – “जापान ने भारत में रोलिंग स्टॉक के छह सेटों के निर्माण की अनुमति देने पर सहमति व्यक्त की है। जापान के निर्माता एक भारतीय कंपनी के साथ समझौता करेंगे और ‘मेक इन इंडिया‘ पहल के तहत उन्हें यहां बनाएंगे। वार्ता चल रही है।”

एनएचएसआरसीएल के एमडी ने यह भी बताया कि विभिन्न बाधाओं के कारण वडोदरा स्टेशन पर संरेखण (अलाइनमेंट) को बदल दिया गया है। नए एलाइनमेंट से लगभग 2,000 करोड़ रुपये की बचत होगी। इस परियोजना की नींव सितंबर 2017 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और उनके तत्कालीन जापानी समकक्ष शिंजो आबे द्वारा रखी गई थी। इससे अहमदाबाद और मुंबई के बीच यात्रा में लगने वाले वर्तमान समय जो छह घंटे है, को तीन घंटे से भी कम करने की उम्मीद है

[पीटीआई इनपुट के साथ]

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