बाड़मेर जिले में 9 साल में यह आठवां मिग क्रैश
राजस्थान में बाड़मेर के भीमड़ा गांव में गुरुवार रात 9 बजकर 10 मिनट पर वायु सेना का एक फाइटर जेट मिग-21 बायसन (ट्रेनर एयरक्राफ्ट) क्रैश हो गया। धमाका इतना तेज था कि आसपास के 8-10 किमी तक आवाज सुनाई दी। आधे किमी तक फैले मलबे में चारों तरफ आग ही आग थी। हादसे में विमान में सवार दोनों पायलट शहीद हो गए।
देर रात एयरफोर्स ने घटनास्थल के आसपास के करीब आधा किलोमीटर इलाके को कब्जे में ले लिया। एयरफोर्स बिखरे हुए मलबे को इकट्ठा करने और घटना की जांच-पड़ताल में जुटी है। 100 से ज्यादा जवान और एयरफोर्स अधिकारी मौके पर मौजूद हैं।
इस घटना के कुछ वीडियो सामने आए हैं, जिसमें हादसे के बाद घटनास्थल पर विमान के मलबे में आग लगी हुई है। बॉडी पाट्र्स बिखरे पड़े हैं। पास ही एक मोबाइल भी टूटकर गिरा हुआ है। विमान जहां गिरा वहां 15 फीट के दायरे में बड़ा गड्ढा हो गया है। बाड़मेर में सैन्य विमान हादसे का 9 साल में यह आठवां मामला है।
मिग-21 ने उत्तरलाई से उड़ान भरी थी। भीमड़ा के पास अचानक विमान में तकनीकी खराबी आ गई। बताया जा रहा है कि मिग रेत के एक टीले पर जाकर क्रैश हुआ। फ्यूल होने की वजह से इसमें आग लग गई। दोनों पायलट विमान से इजेक्ट हो पाते, इससे पहले ही वह आग के गोले में तब्दील हो गया।
यह भी सामने आ रहा है कि हादसे के दौरान एक मकान भी क्षतिग्रस्त हो गया है। हालांकि, अधिकारियों की ओर से इसकी अभी तक पुष्टि नहीं की गई है।
भीमड़ा गांव से करीब 2 किलोमीटर दूर इशरा मौका तला गांव छावनी में तब्दील कर दिया गया है। इस गांव के निवासी ओम प्रकाश कोडेचा ने बताया- रोज की तरह लोग खाना खाने के बाद सोने की तैयारी में थे। इतने में आसमान में आग का गोला दिखाई दिया। कुछ देर बाद ही तेज धमाका हुआ। यह देखकर गांव वाले घटनास्थल की ओर दौड़े। मौके पर आग की लपटें उठ रही थीं। 2 लोगों की बॉडी पड़ी थीं। हादसे के करीब 45 मिनट बाद पुलिस और सेना के अधिकारी मौके पर पहुंचे।
वायु सेना ने दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के लिए कोर्ट ऑफ इंक्वायरी का आदेश दिया है। साथ ही, जान गंवाने वालों के परिवार के प्रति शोक संवेदना जताई है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी से हादसे को लेकर बातचीत की।
रूस और चीन के बाद भारत मिग-21 का तीसरा सबसे बड़ा ऑपरेटर है। 1964 में इस विमान को पहले सुपरसोनिक फाइटर जेट के तौर पर एयरफोर्स में शामिल किया गया था। शुरुआती जेट रूस में बने थे और फिर भारत ने इस विमान को असेंबल करने के राइट्स और टेक्नीक भी हासिल कर ली थी।
तब से अब तक मिग-21 ने 1971 के भारत-पाक युद्ध, 1999 के कारगिल युद्ध समेत कई मौकों पर अहम भूमिका निभाई है। रूस ने तो 1985 में इस विमान का निर्माण बंद कर दिया, लेकिन भारत इसके अपग्रेडेड वैरिएंट का इस्तेमाल करता रहा।
मिग-21 बाइसन लड़ाकू विमान की स्पीड 2229 किलोमीटर प्रति घंटा है। इसकी रेंज 644 किलोमीटर के आसपास थी। हालांकि, भारत का बाइसन अपग्रेडेड वर्जन लगभग 1000 किमी तक उड़ान भर सकता है। इसकी लंबाई 15.76 मीटर है। इसकी लागत 177 करोड़ के करीब है। बिना हथियारों के इसका वजन 5,200 किलो है, जबकि हथियारों से लैस होने पर वजन करीब 8,000 किलो है।
[आईएएनएस इनपुट के साथ]
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