कश्मीरी पंडितों को न्याय कब दिला पाएगी सरकार?
घाटी में लगातार हो रही कश्मीरी पंडितों की हत्याओं के कारण बीते दिनों कई कश्मीरी पंडितों ने अपना घर छोड़ दिया। गुरुवार को शोपियां के चौधरीगुंड गांव की आखिरी कश्मीरी पंडित महिला डॉली कुमारी भी अपने परिवार के साथ घर छोड़कर चली गईं। डॉली कुमारी जैसे करीब 10 ऐसे पंडित परिवार थे, जो अपना घर छोड़कर जम्मू जा चुके हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, डॉली ने कहा कि मैंने हिम्मत दिखाकर वहां रहना चाहा, लेकिन वहां डर का माहौल है, इसलिए रहना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि अन्य लोगों के गांव छोड़ने के बाद भी मैंने रुकने का फैसला किया था। इस उम्मीद में कि हालात सुधर जाएंगे, लेकिन ऐसे हालात नजर नहीं आ रहे हैं। अगर आगे जाकर स्थिति ठीक होती है, तो मैं अपने घर वापस आ जाउंगी। किसी को अपना घर छोड़कर जाना अच्छा नहीं लगता है। मुझे घर छोड़ते हुए बहुत दुख हो रहा है।
चौधरीगुंड गांव में 15 अक्टूबर को टारगेट किलिंग के इरादे से आतंकियों ने पूरन कृष्ण भट्ट पर फायरिंग कर दी थी। इससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया, जहां डॉक्टर्स ने उसे मृत घोषित कर दिया। उससे दो महीने पहले, शोपियां के छोटीगम गांव के सेब के बाग में एक कश्मीरी पंडित की हत्या कर दी गई थी।
इसी साल जून में लगातार टारगेट किलिंग के बाद कश्मीरी पंडित घाटी छोड़ने लगे थे, जिसके बाद सरकार ने सरकारी नौकरी कर रहे पंडितों के लिए ट्रांसफर पॉलिसी में बदलाव किया था। हालांकि, पंडितों का कहना था कि उनका ट्रांसफर घाटी के बजाय जम्मू में कर दिया जाए।
खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, टारगेट किलिंग पाकिस्तान की कश्मीर में अशांति फैलाने की नई योजना है। माना जा रहा है कि इसका मकसद, आर्टिकल 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास की योजनाओं पर पानी फेरना है। आर्टिकल 370 हटने के बाद से ही कश्मीर में टारगेटेड किलिंग कि घटनाएं बढ़ी हैं, जिसमें खासतौर पर आतंकियों ने कश्मीरी पंडितों, प्रवासी कामगारों और यहां तक कि सरकार या पुलिस में काम करने वाले उन स्थानीय मुस्लिमों को भी सॉफ्ट टागरेट बनाया है, जिन्हें वे भारत का करीबी मानते हैं।
कश्मीरी पंडितों ने एक बार फिर से अपनी सुरक्षा की मांग तेज कर दी है। घाटी में पीएम पैकेज के तहत नौकरी कर रहे कर्मचारियों ने सोमवार को विरोध प्रदर्शन कर, सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। ये लोग खुद को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाने की मांग कर रहे हैं। मई-और जून में कश्मीर में हुई टारगेट किलिंग के चलते कश्मीर पंडित पलायन कर जम्मू पहुंचे थे। 4 महीने से ज्यादा वक्त बीत गया, लेकिन अभी भी वो अपनी सुरक्षा की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। कश्मीरी पंडितों का कहना है कि जब तक उन्हें सुरक्षित माहौल नहीं मिलता, वे घर वापसी नहीं करेंगे।
घाटी में लगातार हो रही हत्याओं के बाद कश्मीरी पंडित अपना घर छोड़कर जाने लगे हैं। पीएम पैकेज से मिले अनंतनाग के मट्टन स्थित पंडित कॉलोनी में सन्नाटा पसरा है। मीडिया से बात करते हुए कश्मीरी पंडित रंजन ज्योतिषी ने बताया कि अनंतनाग स्थित मट्टन की कश्मीरी पंडित कॉलोनी से 90% लोग जा चुके हैं। लोगों के सब्र का बांध टूट चुका है, जिसके बाद रात में ही वे पलायन कर गए।
[आईएएनएस इनपुट के साथ]
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