भ्रष्ट पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम के लिए बुरे दिन आने वाले हैं!
आईएनएक्स मीडिया रिश्वत मामले को गुरुवार को उस समय गति मिली जब विशेष अदालत ने रिश्वत देने वाली सह-आरोपी इंद्राणी मुखर्जी को मुख्य अभियुक्त, भ्रष्ट, पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के सभी गंदे कर्मों का खुलासा करने हेतु एक सरकारी गवाह होने की अनुमति दी। अदालत ने 11 जुलाई को इंद्राणी की मौजूदगी के लिए एक वारंट भी जारी कर दिया, ताकि संबंधित दस्तावेज के माध्यम से उसे मामले में एक सरकारी गवाह बनने और उसको सहमति देने के बारे में जाना जा सके।
वह वर्तमान में अपनी बेटी शीना बोरा की हत्या के मामले में बाइकुला जेल, मुंबई में बंद है। इसी मामले में कंपनी के संस्थापक पीटर मुखर्जी भी जेल में हैं। विशेष न्यायाधीश अरुण भारद्वाज ने आईएनएक्स मामले की एक आरोपी इंद्राणी मुखर्जी को क्षमा कर दिया, जब उसने यह स्वीकार किया कि वह स्वेच्छा से इस मामले में एक सरकारी गवाह बन गई है।
इस बीच, तीन महीने पहले, केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने चिदंबरम के साथ मिलीभगत के आरोप में वित्त मंत्रालय में काम करने वाले चार पूर्व अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति मांगी।
इंद्राणी पहले ही केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) के सामने कबूल कर चुकी है कि उसने तत्कालीन वित्त मंत्री चिदम्बरम के निर्देशों पर विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (FIPB) की मंजूरी के लिए कार्ति की फर्मों को 5 करोड़ रुपये रिश्वत दी थी। यह पता चला है कि एजेंसियों ने उसके बयानों को दर्ज किया है, जो चिदंबरम के गंदे कृत्यों को उजागर करते हैं, जिन्होंने इंद्राणी पर बेटे कार्ति को रिश्वत देने के अलावा अपनी अन्य मांगों को पूरा करने के लिए दबाव डाला। इंद्राणी ने जांचकर्ताओं को बताया कि उसे चिदंबरम की सभी मांगों को मानने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि वह अपने टीवी चैनल आईएनएक्स मीडिया में अवैध रूप से 305 करोड़ रुपये का निवेश लाने के लिए आयकर के अभियोजन का सामना कर रही थी।
आईएनएक्स मीडिया रिश्वत मामला
2007 में, आईएनएक्स मीडिया टीवी चैनल के मालिकों पीटर और इंद्राणी को विदेशी निवेश के रूप में केवल 5 करोड़ रुपये लाने के लिए एफआईपीबी की मंजूरी मिली। लेकिन वे अवैध रूप से 305 करोड़ रुपये लाए और 2008 में आयकर विभाग (आईटी) द्वारा पकड़े गए। जब उन्हें आयकर विभाग से नोटिस मिला, तो इंद्राणी और पीटर ने तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम से संपर्क किया। इंद्राणी ने अपने स्वीकारोक्ति बयान में कहा कि चिदंबरम ने उसे आयकर अभियोजन से बचाने का वादा किया और सिफारिश की कि वह कार्ति को 5 करोड़ रुपये दे दे। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पाया कि यह रिश्वत का पैसा कार्ति की दो विवादास्पद फर्मों- एडवांटेज स्ट्रेटेजिक कंसल्टिंग और चैस मैनेजमेंट सर्विसेज में लगाया गया था। रिश्वत लेने के बाद, एफआईपीबी की अगुवाई करने वाले चिदंबरम ने आईएनएक्स मीडिया को एक अवैध कार्योत्तर-मंजूरी दी और अवैध रूप से 305 करोड़ रुपये कर आश्रयों (टैक्स हेवन्स) से प्राप्त करने के लिए हो रहे आयकर अभियोजन को अवरुद्ध कर दिया।
दिसंबर 2014 में एयरसेल-मैक्सिस जांच के सिलसिले में ईडी के जांच अधिकारी राजेश्वर सिंह ने चिदंबरम के घर और कार्ति की फर्मों पर छापेमारी के बाद आईएनएक्स मीडिया रिश्वत मामले का खुलासा किया गया था। ईडी और आयकर संयुक्त जांच ने 14 देशों और 21 विदेशी खातों में परिवार की अवैध संपत्ति का खुलासा किया।
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सीबीआई ने फरवरी 2018 में कार्ति को गिरफ्तार किया और खतरे को भांपते हुए, चिदंबरम दिल्ली हाई कोर्ट और 2 जी ट्रायल कोर्ट में गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा प्राप्त करने के लिए पहुँचे। अक्टूबर 2018 में, ईडी ने दिल्ली, ऊटी, लंदन और स्पेन में कार्ति की 54 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति जब्त की थी।
इस बीच, तीन महीने पहले, केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने चिदंबरम के साथ मिलीभगत के आरोप में वित्त मंत्रालय में काम करने वाले चार पूर्व अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति मांगी। जांच में पाया गया कि अफसरों ने चिदंबरम के साथ 2008 में एफआईपीबी को अवैध रूप से मंजूरी देने के मामले में साजिश रचने में नीति आयोग के सीईओ सिंधुश्री खुल्लर, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय के पूर्व सचिव अनूप के पुजारी और हिमाचल सरकार में वर्तमान प्रमुख सचिव प्रबोध सक्सेना और एक सेवानिवृत्त अवर सचिव रवीन्द्र प्रसाद शामिल थे। फाइल फिलहाल वित्त मंत्रालय के पास लंबित है और सीबीआई चिदंबरम और बेटे कार्ति पर आरोप-पत्र दायर करने की मंजूरी मिलने का इंतजार कर रही है।
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