कोविड महामारी की दूसरी लहर और ऑक्सीजन की कमी से पीड़ित रोगियों को देखते हुए, भारत सरकार ने रविवार को प्रत्येक सरकारी अस्पताल में जिलेवार ऑक्सीजन संयंत्रों (प्लांट्स) की स्थापना शुरू करने के लिए धन आवंटित किया है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के प्रत्येक जिला मुख्यालय में प्रेशर स्विंग एडोरप्शन (पीएसए) मेडिकल ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट्स की स्थापना के लिए पीएम केयर फंड से आपातकालीन निधि आवंटन को मंजूरी दी, इसके तहत 551 प्लांट लगाए जायेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा – “इन संयंत्रों को जल्द से जल्द क्रियाशील बनाया जाना चाहिए। ये ऑक्सीजन संयंत्र जिला मुख्यालयों के अस्पतालों में ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करेंगे।”
भारत सरकार ने एक बयान में कहा – “अस्पतालों में ऑक्सीजन की उपलब्धता को बढ़ाने हेतु प्रधानमंत्री के दिशानिर्देश के अनुरूप, पीएम केयर्स फंड से देश के सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधा केंद्रों पर 551 समर्पित प्रेशर स्विंग एडोरप्शन (पीएसए) मेडिकल ऑक्सीजन जेनरेशन की स्थापना के लिए धन के आवंटन के लिए एक सैद्धांतिक मंजूरी दी है। प्रधानमंत्री ने निर्देश दिया है कि इन प्लांट्स को जल्द से जल्द कार्यात्मक बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ये संयंत्र जिला स्तर पर ऑक्सीजन की उपलब्धता को प्रमुखता से बढ़ावा देंगे।”
टाटा, आईटीसी, जिंदल और अडानी जैसे कॉर्पोरेट घराने जर्मनी, सिंगापुर और सऊदी अरब से टैंकर और संयंत्र आयात करने के लिए जुट गए।
ये समर्पित संयंत्र विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के जिला मुख्यालयों में चिह्नित सरकारी अस्पतालों में स्थापित किए जाएंगे। खरीद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के माध्यम से की जाएगी। पीएम केयर्स फंड ने इस साल की शुरुआत में देश में सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधा केंद्रों के अंदर अतिरिक्त 162 समर्पित प्रेशर स्विंग एडोरप्शन (पीएसए) मेडिकल ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट्स की स्थापना के लिए 201.58 करोड़ रुपये आवंटित किये थे।
इस खबर को अंग्रेजी में यहाँ पढ़े।
“जिला मुख्यालय स्थित सरकारी अस्पतालों में पीएसए ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट स्थापित करने के पीछे मूल उद्देश्य सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को और मजबूत करना है और यह सुनिश्चित करना है कि इनमें से प्रत्येक अस्पताल में सक्षम ऑक्सीजन आपूर्ति की सुविधा हो। इस तरह के सक्षम ऑक्सीजन आपूर्ति प्रणाली अस्पतालों और जिले की दिन-प्रतिदिन चिकित्सा ऑक्सीजन की जरूरत को पूरा करेगी। इसके अलावा, तरल चिकित्सा ऑक्सीजन (एलएमओ) सक्षम ऑक्सीजन आपूर्ति प्रणाली के लिए “टॉप अप” के रूप में काम करेगा। इस तरह की प्रणाली यह सुनिश्चित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी कि जिलों के सरकारी अस्पतालों को ऑक्सीजन की आपूर्ति में अचानक व्यवधान का सामना न करना पड़े और कोविड-19 रोगियों एवं अन्य जरूरतमंद रोगियों के प्रबंधन के लिए पर्याप्त निर्बाध ऑक्सीजन की आपूर्ति हो सके।
रोगियों की भारी वृद्धि के कारण ऑक्सीजन की आपूर्ति में आई तीव्र कमी ने कई अस्पतालों को आपूर्ति की सुव्यवस्थितता के लिए उच्च न्यायालयों से संपर्क करने के लिए मजबूर किया है। ऑक्सीजन आपूर्ति और उसमें कमी को लेकर दिल्ली और महाराष्ट्र जैसी राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के बीच टकराव और न्यायालयों में तीखी बहस चल रही है। बाद में रेलवे और भारतीय वायु सेना को ऑक्सीजन टैंकरों और ऑक्सीजन संयंत्रों की रसद की आपूर्ति के लिए काम में लगाया गया। टाटा, आईटीसी, जिंदल और अडानी जैसे कॉर्पोरेट घराने जर्मनी, सिंगापुर और सऊदी अरब से टैंकर और संयंत्र आयात करने के लिए जुट गए। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) जैसे बीएचईएल, आरआईएनएल सहित कई इस्पात कंपनियों को ऑक्सीजन का उत्पादन करने के लिए दबाव बनाया गया।
- मुस्लिम, ईसाई और जैन नेताओं ने समलैंगिक विवाह याचिकाओं का विरोध करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश और राष्ट्रपति को पत्र लिखा - March 31, 2023
- 26/11 मुंबई आतंकी हमले का आरोपी तहव्वुर राणा पूर्व परीक्षण मुलाकात के लिए अमेरिकी न्यायालय पहुंचा। - March 30, 2023
- ईडी ने अवैध ऑनलाइन सट्टेबाजी में शामिल फिनटेक पर मारा छापा; 3 करोड़ रुपये से अधिक बैंक जमा फ्रीज! - March 29, 2023