
चीन की चालबाज पीएलए से निपटने के लिए चीनी सीमाओं पर मार्कोस
चीन की चालबाज पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) से निपटने के लिए भारत सामरिक चीनी सीमाओं पर स्पेशल फोर्स और नेवी के मरीन कमांडो ‘मार्कोस’ के विशिष्ट कमांडो टीमों को तैनात करने जा रहा है। उच्च पदों पर आसीन सूत्रों के अनुसार, चीन के दुस्साहस से निपटने के लिए भारत की ओर से उच्चतम स्तर पर निर्णय लिया गया है, क्योंकि, चीन ने कमांडरों की बैठक में तनाव को कम करने के लिए किए गए निर्णय के बाद अपना रुख फिर बदल लिया। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव को कम करने के लिए कई दौर की वार्ता विफल होने के बाद, भारत एक लंबी दौड़ की तैयारी कर रहा है और कुछ स्टैंड-ऑफ पॉइंटस पर नौसेना के विशिष्ट कमांडो को तैनात करने के साथ अपनी तत्परता को मजबूती दी है।
भारतीय सेना ने पहले ही अपने विशेष बलों और पैरा-कमांडो को तैनात कर दिया है और दिल्ली ने पैंगोंग त्स (झील) में गश्त के लिए शामिल होने के लिए नौसेना के विशिष्ट मरीन कमांडो (मार्कोस) को हरी झंडी दे दी है। पूर्वी लद्दाख की यह पांगोंग झील उन पांच में से चार फेस-ऑफ जगहों में से एक है, जहां पिछले सात महीनों से भारतीय और चीनी सैनिक आमने-सामने की स्थिति में हैं। शनिवार को यहां सूत्रों ने बताया कि विशिष्ट मार्कोस कमांडो झील पर स्थिति संभालेंगे और इन कमांडो को अन्य फ्लैशपोइंट (हिंसा वाली जगह) पर भी भेजा जा सकता है। यह उन्हें मौसम स्थलाकृति से परिचित करने और कठोर सर्दियों में जीवित रहने के लिए खुद को सक्षम बनाने में मदद करेगा। संयोग से, लद्दाख के कई हिस्सों में तापमान पहले ही शून्य से दस डिग्री कम हो गया है और आने वाले हफ्तों में शून्य से 30 डिग्री नीचे जा सकता है।
भारतीय सेना, वायु सेना और नौसेना द्वारा निर्बाध संचालन पर ध्यान केंद्रित करते हुए, सुरक्षा प्रतिष्ठान द्वारा पिछले कुछ महीनों में वायुसेना के गरुड़ कमांडो और स्पेशल फ्रंटियर फोर्स (एसएफएफ) को लाया गया है।
सेना ने पहले से ही सर्दियों के महीनों में तैनाती के लिए तैयार सैनिकों के लिए पर्याप्त से अधिक पूर्वनिर्मित झोपड़ियों की आपूर्ति कर दी है। भारत और चीन के एक लाख से अधिक सैनिक अब लद्दाख में 1,700 किलोमीटर लंबी एलएसी पर तैनात हैं। चीन ने भी लम्बी सर्दियों के लिए अपने सैनिकों के लिए साजो सामान की आपूर्ति को बढ़ा दिया है। मार्कोस कमांडो दुनिया के सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षित कमांडो में से एक हैं और 2008 में हुए मुंबई आतंकवादी हमले के प्रारंभिक चरण के दौरान कार्रवाई करते देखे गए थे।
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भारतीय वायु सेना के गरुड़ कमांडो और सेना के कमांडो के साथ पैंगोंग झील पर मार्कोस की तैनाती के उद्देश्य पर विस्तार से सूत्रों ने कहा कि यह तालमेल को मजबूत करेगा और तीनों सेनाओं के एकीकरण को बढ़ावा देगा।
उन्होंने कहा, चीनी सेना ने पुल बनाने के अलावा पैंगोंग झील में गश्त करने के लिए अतिरिक्त उच्च शक्ति वाली नावों को भी लगा दिया है। जबकि भारत ने चीन से पुल को हटाने के लिए कहा है, क्योंकि यह भारतीय क्षेत्र है, कमांडो के प्रभावी संचालन के लिए सुरक्षा प्रतिष्ठानों द्वारा भी परिष्कृत नावों की व्यवस्था की गयी है।
भारतीय सेना, वायु सेना और नौसेना द्वारा निर्बाध संचालन पर ध्यान केंद्रित करते हुए, सुरक्षा प्रतिष्ठान द्वारा पिछले कुछ महीनों में वायुसेना के गरुड़ कमांडो और स्पेशल फ्रंटियर फोर्स (एसएफएफ) को लाया गया है। ये दोनों इकाइयाँ पहले से ही पैंगोंग झील के दक्षिण और उत्तर के किनारों पर कुछ महत्वपूर्ण ऊंचाइयों पर संचालन कर रही हैं।
दोनों पक्षों ने सैन्य-स्तरीय वार्ता के आठ दौर आयोजित किए हैं और अगले दौर आने वाले कुछ दिनों में आयोजित हो सकते हैं। कोर कमांडर आगामी दौर में एलएसी पर स्थिति का जायजा लेंगे और बातचीत की गति बनाए रखने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराएंगे।
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