झूठ, उससे अधिक झूठ और लिबरल कथाएं। झूठ को हजार बार कहो। यही गलत प्रचार प्रसार चाल (गोएबल्सियन ट्रिक) है जिसे भारत के वामपंथी और तथाकथित उदारवादी इस्तेमाल करते हैं। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में एकजुटता व्यक्त करने के लिए 5 अप्रैल को 9 बजे 9 मिनट के लिए सभी लाइटों को बंद करने के राष्ट्रव्यापी आह्वान की वजह से इलेक्ट्रिक ग्रिड की संभावित विफलता (ट्रिपिंग) की ताजा कहानी इस सूची में सबसे हालिया है। 3 अप्रैल को मोदी द्वारा जनता से अपील करने के तुरंत बाद, पहले वामपंथी दल और तथाकथित उदारवादी हरकत में आ गए, इस संभावना के साथ कि पीएम कुछ अवैज्ञानिक कर रहे हैं। आपके सहयोगी जब सत्ता में थे तब की बिजली कटौती याद है? क्या ग्रिड विफल हुआ था? यह नकली हो-हल्ला कि देश में ‘हिंदुत्व‘ को मजबूत करने के लिए पारंपरिक दीप जलाने का आह्वान किया गया, को कोई मानने के लिए तैयार नहीं हुआ। पर, आप बौद्धिक-दिवालिया लोगों उदास होते रहिये।
बनावटी बयान
3 अप्रैल की शाम तक, वाम-दलों द्वारा समर्थित कुछ इंजीनियरों की मंडली, बहुत सारे लोगों द्वारा बिजली बंद करने पर देश में इलेक्ट्रिक ग्रिड के धराशायी हो जाने की संभावना के बयान के साथ सामने आए। वे भूल गए कि एक रेफ्रिजरेटर या एयर-कंडीशनर जैसे भारी बिजली भार वाले यंत्र अभी भी काम कर रहे थे। प्रधानमंत्री ने केवल रोशनी बंद करने के लिए कहा था न कि पूरी बिजली को। ये “संदेह” सोशल मीडिया नेटवर्क और अन्य जगह फैलने लगे। विडंबना यह है कि बिल्कुल यही लोग हर साल अर्थ ऑवर(Earth hour) मनाने के लिए एक घंटे के लिए सभी बिजली आपूर्ति बंद करने की जोर-शोर से मांग करेंगे! किसी भी फालतू कारण के लिए मोमबत्ती लेकर सड़कों पर निकलने के बारे में क्या।
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सब ठीक है
सभी विद्युत ग्रिड बिल्कुल ठीक हैं, जैसा कि इस समाचार रिपोर्ट ने पुष्टि की है[1]। जब प्रधानमंत्री ने देश में 21 दिनों के बंद का सामना कर रहे लोगों के मनोबल को बढ़ाने के लिए एक प्रतीकात्मक आयोजन किया, तो पिछले तीन दिनों से सफेद झूठ क्यों फैलाया जा रहा है? ताज़ा ख़बरों के अनुसार ये लोग अपनी पुरानी घृणित योजनाओं और कुत्सित चाल की प्रयोगशाला में लौटकर आगे क्या करना चाहिए इसकी योजना बना रहे है… पर उनकी समझ में ये नहीं आ रहा कि उनकी प्रयोगशाला के उत्पाद निरर्थक ही हैं!
अगला तमाशा – आतिशबाजी?
अगली नाराजगी में वे सोशल मीडिया में शिकायत कर रहे हैं कि कई लोग पटाखे फोड़ रहे हैं और वातावरण को प्रदूषित कर रहे हैं। आप 130 करोड़ की आबादी वाले देश को कैसे नियंत्रित कर सकते हैं? कुछ लोग उत्साहित हो सकते हैं या पीएम और सत्तारूढ़ भाजपा की छवि खराब करने के लिए उदारवादियों द्वारा पटाखे फोड़ने की नृशंसतापूर्वक साजिश रची जा सकती है। बुरे-इरादे के साथ कुछ भी संभव है – आग लगाकर उससे एक नई कहानी बनाना – घिसी-पिटी, तुच्छ बातें जिसे सीधे स्मार्टफ़ोन के कूड़ेदान में फेंक देना चाहिए (यह लेखक किसी लेख को प्रकाशित करके फिर उसे कूड़े में फेंकने के लिए दोषी नहीं ठहराए जाना चाहते – इसलिए जो पर्यावरण के लिए सही है वहीं कर रहा हूं)! पत्रकार राजदीप सरदेसाई सोलापुर की एक पुरानी आगजनी की घटना को अपलोड करने के स्तर तक चले गए!
.@DelhiPolice this Rajdeep is sharing fake news . This was olde video but he is sharing it today. pic.twitter.com/jUkA5WlC9E
— Farrago Abdullah (@abdullah_0mar) April 5, 2020
यह उल्लेख की जरूरत नहीं कि उन्होंने मोदी पर कुछ यूरोपीय देशों की नकल करने का आरोप लगाया! कुछ नीच व्यक्तियों ने अपने घर की सभी लाइटों को चालू करके खुशी प्राप्त की (यह असंतोष दिखाने का उनका तरीका है)।
आखिरी मजाक
सबसे बड़ा मज़ाक एक और फर्जी कथा था, जिसमें कहा गया कि 6 अप्रैल, 1980 को सत्तारूढ़ पार्टी (भाजपा) का गठन किया गया था, प्रधान मंत्री ने 5 अप्रैल को पारंपरिक दियों की देशव्यापी रोशनी की योजना बनाई है। तुच्छ, निरर्थक बातों के लिए उपद्रव करने का उनका अपार उत्साह ही उनके पतन का कारण होगा!
नरेंद्र मोदी के लिए नफरत ने इन उदारवादियों को तार्किक रूप से अंधा कर दिया है, वे उदारवादी जो कथित तौर पर कांग्रेस पार्टी के कुछ नेताओं द्वारा वित्त पोषित हैं। जब मोदी ने सार्वजनिक दान को इकट्ठा करने के लिए एक विशिष्ट माध्यम – पीएम केअर फंड की घोषणा की, तो इन्हीं लोगों ने हद से ज्यादा बौद्धिक चिंतन किया, जिसमें इस माध्यम में दोष खोजने की कोशिश की गई थी। मुझे उम्मीद है कि भगवान (हाँ वे ही भगवान जिन पर ये लोग विश्वास नहीं करते हैं!) उन्हें सद्बुद्धि दें।
संधर्भ:
[1] PM Modi’s 9-minute blackout call goes well, no disruption electricity grid – Apr 5, 2020, The Times of India
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