सैफुद्दीन सोज़ और प्रेस्टीट्यूट्स (खबरिया दलाल) का नाटक

सैफुद्दीन सोज़ ने अपनी पत्नी से सुप्रीम कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण (हैबियस कॉर्पस) दायर करवाके नकली उन्माद (हिस्टीरिया) पैदा करने की कोशिश की; मुकदमा खारिज

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सैफुद्दीन सोज़ ने अपनी पत्नी से सुप्रीम कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण (हैबियस कॉर्पस) दायर करवाके नकली उन्माद (हिस्टीरिया) पैदा करने की कोशिश की; मुकदमा खारिज
सैफुद्दीन सोज़ ने अपनी पत्नी से सुप्रीम कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण (हैबियस कॉर्पस) दायर करवाके नकली उन्माद (हिस्टीरिया) पैदा करने की कोशिश की; मुकदमा खारिज

बवाल मचाने के लिए फर्जी याचिका

सैफुद्दीन सोज़ के नाटक ने एक बार फिर से कश्मीर आधारित पत्रकारों की भूमिका और दिल्ली में उनके तंत्र को उजागर किया है। जैसा कि धारा 370 के उन्मूलन की वर्षगांठ 5 अगस्त को आ रही है, इस नाटक की पटकथा कांग्रेस नेता सैफुद्दीन सोज़ ने लिखी और जिसे एनडीटीवी, इंडिया टुडे, इंडियन एक्सप्रेस और टेलीग्राफ द्वारा स्पष्ट रूप से प्रेस्टीट्यूशन (खबरिया दलाल) का कार्य कहा जा सकता है। सबसे पहले, सोज़ की पत्नी द्वारा सीधे सुप्रीम कोर्ट में एक नकली हैबियस कॉर्पस (बन्दी प्रत्यक्षीकरण) याचिका दायर की गयी। यह स्वयं एक धोखाधड़ी है – उस पत्नी द्वारा हैबियस कॉर्पस कैसे दायर किया जा सकता है जो उस व्यक्ति के साथ रह रही हो? हैबियस कॉर्पस याचिका एक लापता व्यक्ति को खोजने के लिए होती है। कैसे एक पत्नी, जो अपने पति के साथ पिछले कई दशकों से रह रही है, एक व्यक्ति का पता लगाने के लिए एक याचिका दायर कर सकती है? क्या कांग्रेस के वकील अभिषेक सिंघवी जो उनके वकील हैं, उनको भी नहीं पता कि यह एक फर्जी याचिका है? इसके अलावा, सोज़ को जेड-स्तरीय सुरक्षा प्राप्त है! वो हेबियस कॉर्पस के तहत कैसे आ सकते हैं?

जम्मू-कश्मीर सरकार ने जवाब दाखिल किया कि उन्होंने सोज को अपनी दिल्ली यात्रा के विवरण दिखाते हुए कभी हिरासत में नहीं लिया। इसलिए, यह कोई आश्चर्य नहीं कि याचिका खारिज हो गई। तो वास्तविक स्थिति क्या है? सैफुद्दीन सोज़ अपनी सुरक्षा के नियंत्रण में है और उनकी यात्रा के लिए अनुमति की आवश्यकता है। सोज़ एक अत्यधिक ज्वलनशील (भड़काऊ) वक्ता हैं और घाटी में उनकी गतिविधियाँ प्रतिबंधित हैं और उन्हें एक उचित सुरक्षा ड्रिल के साथ बाहर जाने की अनुमति की आवश्यकता होगी। याचिका के खारिज होने के बाद, उन्होंने प्रेस्टिट्यूट पत्रकारों और मीडिया हाउस के साथ एक नाटक किया और हो हल्ला मचाया कि उन्हें हिरासत में लिया गया है और उन्हें बाहर जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है। इंडियन एक्सप्रेस, टेलीग्राफ, एनडीटीवी, और इंडिया टुडे जैसे मीडिया घरानों और उनके भ्रष्ट पत्रकारों को यह झूठ बोलने में बिल्कुल शर्म नहीं आई कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से झूठ बोला।

इस खबर को अंग्रेजी में यहाँ पढ़े।

नाटक देखिये:

कुछ घंटों के बाद, सैफुद्दीन सोज़ को अपनी सुरक्षा वाले लोगों के साथ अपनी बहन के घर जाते देखा गया। अगर उन्हें हिरासत में लिया गया था तो क्या वह बाहर निकल सकते हैं? एक मुसीबत खड़ी करने वाले को झूठ बोलते पकड़ा गया है क्योंकि वह निराश है कि उसे घूमने और कश्मीर में भीड़ को उकसाने की अनुमति नहीं है। वीडियो देखें:

प्रेस्टीट्यूट्स को संदेश

आप इस नाटक और धोखाधड़ी में क्यों खेल रहे हैं? क्या आपको सैफुद्दीन सोज़ की तथाकथित दुर्दशा पर मगरमच्छ के आंसू बहाने, लिखने और ट्वीट करने के लिए भुगतान किया जा रहा है? या आप कश्मीर में तनाव पैदा करने और लोगों को उकसाने का हिस्सा थे? आपको शर्म आनी चाहिए।

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