पालघर मॉब लिंचिंग (भीड़ द्वारा हत्या) मामला लगातार सुर्खियों में बना हुआ है और सभी की अंतरात्मा को घायल कर रहा है। मूल त्रासदी में जोड़ते हुए, जहां ड्राइवर के साथ दो साधुओं को मौत के घाट उतारा गया था, खबर आई है कि साधुओं की तरफ से एक अधिवक्ता, दिग्विजय त्रिवेदी की सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई, जबकि वे हिंदू समाज की ओर से मृतक साधुओं का प्रतिनिधित्व करने के लिए जा रहे थे।
त्रिवेदी पालघर मॉब लिंचिंग मामले में अधिवक्ता पी एन ओझा और अधिवक्ता अरुण उपाध्याय की सहायता करने वाली टीम का हिस्सा थे।
वह अपने सहयोगियों के साथ वसई से दहानू तक जा रहे वाहन के काफिले का हिस्सा थे। जब यह दुर्घटना हुई तब अधिवक्ता अरुण उपाध्याय सामने एक अन्य कार में थे। फिलहाल, तेज गति के कारण दुर्घटना का मामला दर्ज किया गया है। अधिवक्ता अरुण उपाध्याय से जब संपर्क किया गया तो वह सदमे की स्थिति में थे और उन्होंने षणयंत्र से इनकार नहीं किया।
ईसाई मिशनरियों के साथ नक्सली कम्युनिस्ट अपने विरोधियों पर जानलेवा हमला कर डराने-धमकाने में सक्षम हैं। उनका पिछला ट्रैक रिकॉर्ड विरोधियों को चुप कराने के लिए क्रूर भीषण हिंसक हमलों को इंगित करता है। पालघर मॉब लिंचिंग के हत्या आरोपी गिरोह की जमानत का विरोध करने वाली कानूनी टीम को निशाना बनाने के लिए हुई दुर्घटना की विस्तृत जांच ही किसी भी संभावित सुनियोजित हिट-एंड-रन (हत्या कर भाग जाना) कोण को सामने ला सकती है।
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भायंदर के एक युवा गतिशील अधिवक्ता दिग्विजय त्रिवेदी की मेंधवन मार्ग पर एक दुर्घटना में मृत्यु हो गई। यह दुर्घटना 13 मई 2020 की सुबह लगभग 10 बजे हुई जब वह दहानू न्यायालय में भीड़ के हमले में मारे गए साधुओं के हिंदू समाज की ओर से अपना पक्ष प्रस्तुत करने आ रहे थे। उनके सहयात्री भी गंभीर रूप से घायल हो गये। रिपोर्ट के अनुसार, दिग्विजय त्रिवेदी (एमएच 04 एचएम 1704) ने कार पर नियंत्रण खो दिया और कार सड़क के किनारे पलट गयी।
हत्या के मामले में आरोपियों की संख्या 141 तक
गडचिंचले हत्या मामले के आरोपियों की संख्या अब कुछ और गिरफ्तारी के साथ 141 हो गई है। कई अभी भी वन क्षेत्र में छिपे हुए हैं और उन्हें बाहर निकालने के लिए तलाशी अभियान जारी है। इनमें से नौ किशोर अपराधियों की संख्या में अब एक की बढ़ोतरी हो गई है। भिवंडी में किशोर सुधारक संस्था में अब कुल 10 लोग हैं। हत्या के छह नए आरोपियों को आज न्यायालय में पेश किया गया और 19 मई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया।
हिरासत में पहले से मौजूद 106 लोगों में से पांच को 16 मई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है, जबकि शेष 101 को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। इसके अलावा, 19 और आरोपी पहले ही पुलिस हिरासत में भेजे जा चुके हैं।
सीबीआई / एसआईटी जांच की जरूरत
पालघर मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को विशेष जांच दल द्वारा निगरानी के साथ की जानी चाहिए। मुंबई उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (पीआईएल) शीघ्र ही सुनवाई के लिए तैयार है। उम्मीद है, ऐसा होगा। साधु और अब दिग्विजय त्रिवेदी को इसका हक है।
मामले को ध्यान में रखते हुए, पालघर जिले में कानून और व्यवस्था बनाए रखना महाराष्ट्र सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। हत्या-आरोपी-गिरोह के लिए जमानत को किसी भी कीमत पर अस्वीकार किया जाना चाहिए और साजिश के कोण सिद्धांत की जांच की जानी चाहिए और उजागर किया जाना चाहिए। एक त्वरित सुनवाई, हत्या के आरोपियों को सजा और न्याय के लिए समाज के सभी वर्गों से एक पुकार है। जब तक मुख्यमंत्री तेजी से और निष्पक्ष रूप से कार्यवाही नहीं करते शिवसेना इस गाथा में सबसे अधिक खोएगी।
ध्यान दें:
1. यहां व्यक्त विचार लेखक के हैं और पी गुरुस के विचारों का जरूरी प्रतिनिधित्व या प्रतिबिंबित नहीं करते हैं।
संदर्भ:
[1] पालघर हत्या: साधु के ड्राइवर के परिवार ने सीबीआई जांच की मांग की – Apr 24, 2020, hindi.pgurus.com
- क्या हिंदू समाज के साधुओं को न्याय मिलेगा? समय है कि दिल्ली हस्तक्षेप करे - July 17, 2020
- दिग्विजय त्रिवेदी की मौत: दुर्घटना या षणयंत्र? - May 15, 2020
- पालघर मॉब लिंचिंग- आरोपी हत्यारों को जमानत नहीं - May 1, 2020