इस बार दशहरा रैली ठाकरे और शिंदे दोनों के लिए शक्ति प्रदर्शन हेतु महत्वपूर्ण
मुंबई में दशहरा रैली से पहले शिंदे गुट को बड़ी कामयाबी मिली है। शिवसेना का गढ़ माने जाने वाले वरली इलाके के 3 हजार से अधिक शिव सैनिक रविवार को शिंदे गुट में शामिल हो गए हैं। रविवार को शिव सैनिक सीएम हाउस पहुंचे और शिंदे गुट में शामिल होने का ऐलान कर दिया।
इससे पहले पांच अक्टूबर को शिवाजी पार्क में दशहरा रैली के लिए उद्धव ठाकरे को हाई कोर्ट जाना पड़ा था। मैदान मिलने के बाद ठाकरे रैली की तैयारी में लगे हुए थे। इस बीच एक साथ इतनी बड़ी संख्या में शिव सैनिकों का शिंदे गुट में शामिल होना ठाकरे की मुश्किलें बढ़ा सकता है।
वरली में शिवसेना का एक तरफा कब्जा माना जाता है, लेकिन अब समीकरण बदलते हुए दिखाई दे रहें हैं। उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे साल 2019 के महाराष्ट्र विधान सभा चुनाव में पहली बार वरली से विधायक चुने गए थे। इतना ही नहीं जिन सचिन अहीर को शिवसेना ने विधान परिषद में भेजा है, वरली उनका भी गृह क्षेत्र है। सचिन विधानसभा चुनाव से पहले शरद पवार की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी छोड़कर शिवसेना में शामिल हुए थे।
वरली के शिवसैनिकों का शिंदे गुट में शामिल होना शिंदे के लिए बड़ी सफलता के तौर पर देखा जा रहा है। इस समय शिंदे प्रदेश के हर जिले में पार्टी को मजबूत करने के लिए हिंदू गर्व गर्जना यात्रा निकाल रहे है। यात्रा के बीच तीन हजार शिव सैनिकों का शिंदे गुट में शामिल होने का सीधा असर दशहरा रैली में पड़ सकता है। शिंदे गुट के विधायक दिलीप लांडे पहले ही अपने एक बयान में कह चुके हैं कि यात्रा का प्रभाव शिवसेना को दशहरा रैली में दिखेगा।
दशहरा रैली शिवसेना और शिंदे गुट दोनों के लिए महत्वपूर्ण, इसे शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जाता है। दोनों ने ही मुंबई बीएमसी में शिवाजी पार्क में रैली करने की अनुमति मांगी थी। इसके बाद मामला हाई काेर्ट तक गया और फैसला शिवसेना के पक्ष में हुआ।
बाला साहब ठाकरे ने 19 जून 1966 को शिवसेना की स्थापना की थी। स्थापना के बाद 30 अक्तूबर 1966 को मुंबई के शिवाजी पार्क में एक बड़ी रैली का आयोजन हुआ था, जिसमें बड़ी संख्या में लाेग शामिल हुई थे। इसके बाद ये शिवसेना के लिए परंपरा बन गई। पिछले 56 साल से शिवसेना, शिवाजी पार्क पर हर दशहरे को रैली का आयोजन करती है।
शिवाजी पार्क से शिवसेना की कई यादें जुड़ी हुई है। बाला साहब अपने सभी बड़े राजनीतिक फैसलों का ऐलान इसी पार्क में ही किया करते थे। उद्धव ठाकरे ने बेटे आदित्य ठाकरे की राजनीति में एंट्री इसी शिवाजी पार्क से कराई थी।
[आईएएनएस इनपुट के साथ]
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