कर्नाटक में ओला-उबर बैन होने का असर बाकी देश पर भी देखने को मिल सकता है!
कर्नाटक सरकार ने ऑनलाइन कैब कंपनियों को नोटिस जारी कर 3 दिनों के अंदर ऑटो सर्विस बंद करने के लिए कहा है। कंपनियों को नोटिस का जवाब 3 दिन में देना होगा। आदेश न मानने पर कंपनी और वाहन मालिक के खिलाफ केस दर्ज किया जाएगा।
यह कदम यात्रियों की तरफ से शिकायत करने के बाद आया है। परिवहन विभाग से शिकायत की गई थी कि कैब कंपनियां न्यूनतम किराया 100 रुपए ले रही हैं, भले ही दूरी 2 किमी से कम हो। सरकारी गाइडलाइन के मुताबिक, ऑटो किराया के लिए 2 किमी तक का अधिकतम किराया 30 रुपए तय है। इसके बाद हर किमी पर 15 रुपए लिए जा सकते हैं।
सरकार को यात्रियों की तरफ से लगातार शिकायतें आ रही थीं कि ऑनलाइन कैब कंपनियों की तरफ से चलने वाले ऑटोरिक्शा का किराया बहुत ज्यादा है। सितंबर माह में सरकार ने ओवरचार्जिंग के 292 केस दर्ज किए थे। वहीं स्टेट पुलिस अथॉरिटीज ने कहा कि कंपनियों के पास ऑटो-रिक्शा ऑपरेट करनी की परमिशन भी नहीं है।
कर्नाटक की ही तरह दूसरों राज्यों की सरकार भी ओवरचार्जिंग से जुड़ी शिकायत पर कंपनियों पर एक्शन ले सकती है। ये भी देखना होगा कि उन राज्यों में ऑटो रिक्शा ऑपरेशन की परमिशन कंपनियों के पास है या नहीं। ऐसा इसलिए क्योंकि नियम केवल कैब सर्विस के लिए बने हैं।
बेंगलुरु में ऑटोरिक्शा ड्राइवर्स यूनियन (एआरडीयू) खुद का एप लॉन्च करने की तैयारी में है। ‘नम्मा यात्री‘ नाम का एप 1 नवंबर को लॉन्च किया जाना है। बेकन फाउंडेशन के साथ साझेदारी में इसे लॉन्च किया जाएगा, जिसे इंफोसिस के को-फाउंडर नंदन नीलेकणी का सपोर्ट है।
यूनियन का कहना है कि हम उन ग्राहकों को खो रहे हैं, जिन्हें ज्यादा किराया देना पड़ रहा है। इसीलिए हम एप लॉन्च कर रहे हैं। नम्मा यात्री एप का किराया सरकार की तरफ से तय शुल्क के अनुसार होगा।
ओला के फाउंडर भाविश अग्रवाल हैं। उन्होंने 2008 में आईआईटी बॉम्बे से बीटेक की पढ़ाई की। कॉलेज के बाद माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च में दो साल तक नौकरी की। इसके बाद उन्होंने एक ऑनलाइन वेबसाइट ओलाट्रिप.कॉम (Olatrip.com) शुरू की जो हॉलीडे पैकेज और वीकेंड ट्रिप प्लान करती थी।
ओला ने भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और यूके में अपनी कैब सर्विस शुरू की है। कंपनी के सीईओ भाविश अग्रवाल का कहना है कि हमने भारत में एक सस्टेनेबल बिजनेस मॉडल बना लिया है। अब हम इसे ग्लोबल स्तर पर लेकर जाना चाहते हैं।
कंपनी का दूसरा फोकस मोबिलिटी को इन्वायरनमेंट फ्रेंडली बनाने पर है। भाविश का कहना है कि भारत की ज्यादातर आबादी टू व्हीलर या थ्री व्हीलर वाहनों पर चलती है। अगर इसे इलेक्ट्रिक कर दिया जाए तो इसका बड़ा इम्पैक्ट दिखेगा। हम अगले कुछ साल में 10 लाख इलेक्ट्रिक व्हीकल रोड पर देखना चाहते हैं।
[आईएएनएस इनपुट के साथ]
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