एयरसेल-मैक्सिस घोटाला: प्रवर्तन निदेशालय ने चिदंबरम को पूछताछ के लिए दोबारा बुलवाया। पीसी का कहना है कि कार्ति इस मसले से अवगत नहीं !!!

यरसेल-मैक्सिस की मंजूरी 3,500 करोड़ रुपये से अधिक थी और चिदंबरम ने यह सीसीईए को यह फाइल नहीं भेजी थी।

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एयरसेल-मैक्सिस घोटाला: प्रवर्तन निदेशालय ने चिदंबरम को पूछताछ के लिए दोबारा बुलवाया।
एयरसेल-मैक्सिस घोटाला: प्रवर्तन निदेशालय ने चिदंबरम को पूछताछ के लिए दोबारा बुलवाया।

छः घंटों की पूछताछ के बाद मंगलवार को जवाबदेही से असंतुष्ट, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूर्व मंत्रिमंडल के वित्त मंत्री पी चिदंबरम से एयरसेल-मैक्सिस घोटाले की जांच के विषय में फिर से उपस्थित होने का आदेश दिया। यह पता चला है कि चिदंबरम ने कई सवालों के जवाब में  स्वयं को निर्दोष बताते हुए मलेशियन फर्म मैक्सिस द्वारा चेन्नई स्थित मोबाइल फोन ऑपरेटर एयरसेल के नियंत्रण की एफआईपीबी (विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड) द्वारा दी गयी गैरकानूनी मंजूरी का पूरा आरोप वरिष्ठ वित्त मंत्रालय के अधिकारियों पर डालने का प्रयत्न किया है।

चिदंबरम से बेटे कार्ति की फर्मों को लगभग दो लाख डॉलर मिलने के विषय में पूछे जाने पर उनका ठेठ जवाब था कि “मुझे इस बात की जानकारी नहीं थी“। चिदंबरम ने कई बार यह झूठ बोला कि वे अपने बेटे के व्यापारिक कार्यों से अवगत नहीं थे। एफआईपीबी और आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी (सीसीईए) मानदंडों के उल्लंघन पर प्रश्नों पर चिदंबरम ने बार-बार यही कहा कि उन्होंने अधिकारियों द्वारा जांच की गई फाइलों पर ही हस्ताक्षर किए हैं। यह पता चला है कि कई अधिकारियों ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और ईडी को बयान दिए हैं कि उन्हें 2006 में तत्कालीन वित्त मंत्री चिदंबरम की इच्छाओं के अनुसार सभी फाइलों पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया था।

एफआईपीबी अध्यक्ष के रूप में, वित्त मंत्री चिदंबरम को उन दिनों केवल 600 करोड़ रुपये तक के विदेशी निवेश की मंजूरी देने की अनुमति थी । 600 करोड़ रुपये से ज्यादा की मंजूरी  के लिए आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी (सीसीईए) को अर्ज़ी भेजी जानी चाहिए थी जहां वह अध्यक्ष थे। एयरसेल-मैक्सिस की मंजूरी 3,500 करोड़ रुपये से अधिक थी और चिदंबरम ने यह सीसीईए को यह फाइल नहीं भेजी थी।ऐसा माना जाता है कि वह सीसीईए को फाइल नहीं भेजने का कारण यह था कि गृह मंत्रालय भी दूरसंचार के मामलों में सीसीईए का हिस्सा था और क्यूंकि मैक्सिस के शेयरधारक सऊदी टेलीकॉम पाकिस्तान टेलीकॉम का भी भागीदार है, गृह मंत्रालय कभी भी इस सौदे को स्वीकार नहीं करता ।

बाद में नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) के कार्यालय ने पाया कि हालांकि अवैध मंजूरी 3600 करोड़ रुपये थी, मैक्सिस से एयरसेल तक आने वाली वास्तविक रकम 4800 करोड़ रुपये से अधिक थी ! इस अनुसार इस मामले में अधिकृत राशि से 1200 करोड़ रुपये से अधिक के अंतर पाया गया । कार्ति की विवादास्पद फर्म एडवांटेज कंसल्टिंग एंड चैस मैनेजमेंट को मैक्सिस से पैसा मिला,  ईडी ने भी 1.16 करोड़ रुपये से अधिक बैंक जमा राशि उनके खाते में बरामद की है ।

जब उन्हें फिर से आने के लिए कहा गया, तो चिदंबरम ने कई बहानों से इसे टालने का प्रयत्न किया । अंत में, एजेंसी ने उन्हें जून के अंत तक आगे पूछताछ के लिए फिर से उपस्थित होने के लिए कहा है ।

 

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