सीपीआई-एम से दो बार के सांसद और वर्तमान भाजपा सदस्य अब्दुल्लाकुट्टी ने भाजपा के लिए एक सख्त भविष्यवाणी की है।

क्या केरल में आगामी विधानसभा चुनावों में सीपीआई-एम अपने पश्चिम बंगाल के साथियों (कॉमरेड) के नक्शे कदम का अनुसरण करने की कोशिश कर रहा है?

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क्या केरल में आगामी विधानसभा चुनावों में सीपीआई-एम अपने पश्चिम बंगाल के साथियों (कॉमरेड) के नक्शे कदम का अनुसरण करने की कोशिश कर रहा है?
क्या केरल में आगामी विधानसभा चुनावों में सीपीआई-एम अपने पश्चिम बंगाल के साथियों (कॉमरेड) के नक्शे कदम का अनुसरण करने की कोशिश कर रहा है?

विजयन ने राजनैतिक दुश्मनों की हत्या के लिए “बंगाल शैली” को अपनाया!

केरल में संभवतः अप्रैल 2021 में होने वाले विधानसभा चुनाव में हत्याओं की एक श्रृंखला देखने को मिल सकती है। अपने खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की एक श्रृंखला के कारण परेशान मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और पार्टी के केरल से सचिव कोडिएरी बालाकृष्णन[1], खुफिया एजेन्सी के अधिकारियों के अनुसार, अपनी सत्ता के तहत सभी बलों का प्रयोग कर संघ परिवार के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने की योजना बना रहे हैं।

मार्क्सवादियों को जिस बात की चिंता है, वह है भाजपा केरल इकाई के प्रमुख के सुरेंद्रन द्वारा मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों के खिलाफ लगाए गए आरोपों के स्रोत। दिलचस्प बात यह है कि यह सुरेंद्रन थें, जिन्होंने विजयन और बालाकृष्णन के खिलाफ भ्रष्टाचार के अधिकांश आरोपों का खुलासा किया था, न कि फुर्तीला केरल मीडिया, जिसमें सीपीआई-एम कैडर (कार्यकर्ता) का वर्चस्व है[2]

एपी अब्दुलाकुट्टी, पार्टी से दो बार के सांसद, जिन्हें मार्क्सवादियों द्वारा बाहर का रास्ता दिखा दिया गया, जब उन्होंने नरेंद्र मोदी के विकास के एजेंडे से सीखने के लिए मार्क्सवादियों को नसीहत दी[3], और अब्दुलाकुट्टी ने हाल ही में एक पुस्तक “राष्ट्रीय मुस्लिम” लिखी है, जिसमें ऐसे ही परिदृश्य की संभावना व्यक्त की है।

यदि मुख्यमंत्री विजयन के पूर्व प्रमुख सचिव एम शिवशंकर द्वारा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), सीमा शुल्क (कस्टम्स) और एनआईए को दिए गए बयान के कोई संकेत हैं, तो सीपीआई-एम 1964 में पार्टी की स्थापना के बाद से एक बड़े संकट की ओर अग्रसर है।

जब भी मार्क्सवादियों की सार्वजनिक छवि धूमिल होती है, तो पार्टी नेतृत्व पार्टी के पेशेवर निशानेबाजों को आरएसएस के कुछ नेताओं को समाप्त करने का आदेश दे देता है। कन्नूर के एक पार्टी कार्यकर्ता ने कहा, “सीपीआई-एम नेतृत्व इस धारणा को मानता है कि अगर आरएसएस के कुछ नेताओं की हत्या कर दी जाती है, तो यह उन पर अल्पसंख्यकों के विश्वास को और बढ़ायेगा।” उन्होंने कहा कि पार्टी नेतृत्व ने पहले ही मारे जाने वाले संघ परिवार के लोगों की एक सूची तैयार कर ली है, ताकि वह मुस्लिम और ईसाई मतदाताओं को पार्टी के पक्ष में वापस ला सके

इस खबर को अंग्रेजी में यहाँ पढ़े।

केरल में आरएसएस और अन्य संघ परिवार के कार्यकर्ताओं को खत्म करने के लिए सीपीआई-एम के नेताओं द्वारा अपनाए गए तरीकों के बारे में जानने के लिए अब्दुल्लाकुट्टी की पुस्तक महत्वपूर्ण है। “2008 में केरल में सीपीआई-एम और आरएसएस के बीच आमना-सामना हुआ था। दोनों पक्षों के पांच-पांच लोगों ने अपनी जान गंवाई थी[4]। पार्टी की सांसद पी साथीदेवी ने पार्टी के तत्कालीन सचिव विजयन से कहा था कि इन भीषण हत्याओं को रोकने के लिए कुछ किया जाना चाहिए। विजयन ने कुछ समय के लिए सोचा और फिर कहा कि हमें राजनैतिक दुश्मनों की हत्या करते समय “बंगाल शैली” का पालन करना चाहिए[5]। विजयन ने साथीदेवी को बताया कि, बंगाल में, वे बस व्यक्तियों का अपहरण करते हैं, उन्हें एक बैग में डालते हैं, और नमक से भरी एक खाई में फेंक देते हैं। दुनिया को कभी पता नहीं चलता कि उस व्यक्ति के साथ क्या हुआ था।

अब्दुल्लाकुट्टी ने याद दिलाया कि कैसे बंगाल के दिवंगत सीपीआई-एम सांसद अनिल बसु ने पार्टी के दुश्मनों की हत्या करने में पार्टी की रणनीति को सराहा था। संसद के सेंट्रल हॉल में बसु के साथ चाय पीते हुए, अब्दुलाकुट्टी ने उनसे पूछा था कि संघ परिवार के नेताओं की हत्या के लिए बंगाल में अपनाई गयी शैली के बारे में पिनारयी विजयन ने जो कहा उसकी क्या प्रमाणिकता है। बसु ने कहा – “हां, हमारे पास एक परिष्कृत शैली है। बंगाल की शैली बहुत सरल है। केरल में कामरेड उस पुरानी पद्धति का अनुसरण करते हैं, जो केवल बर्बरता थी। यदि आप विजयन द्वारा सुझाई गए तरीके से हत्याएं करते हो, उसमें न तो रक्त की एक भी बूंद बहेगी और न ही हड्डी का कोई टुकड़ा होगा।” यह सुनकर अब्दुल्लाकुट्टी और केरल के एक अन्य सांसद सुरेश कुरुप चौंक गए और उन्हें झटका लगा।

यदि मुख्यमंत्री विजयन के पूर्व प्रमुख सचिव एम शिवशंकर द्वारा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), सीमा शुल्क (कस्टम्स) और एनआईए को दिए गए बयान के कोई संकेत हैं, तो सीपीआई-एम 1964 में पार्टी की स्थापना के बाद से एक बड़े संकट की ओर अग्रसर है। लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों की लहर में डूबने से पहले, शायद पार्टी के नेता कुछ प्रमुख भाजपा/ आरएसएस नेताओं का जीवन छीन सकते हैं।

संदर्भ:

[1] दो पोलित ब्यूरो सदस्यों द्वारा सोने की तस्करी और नशीले पदार्थों के व्यापार में विवादों का सामना करने के बाद कम्युनिस्ट गहरी चुप्पी साधे हुए हैं!Nov 2, 2020, hindi.pgurus.com

[2] Two ministers linked with gold smugglers; CM is the organiser, alleges K. SurendranOct 29, 2020, Mathrubhumi

[3] Kerala’s AP Abdullakutty: A devout Muslim, a Modi bhaktJun 8, 2019, India Times

[4] In Kannur, RSS-BJP and CPI(M) have lost equal numbers to political violenceMar 07, 2017, Scroll

[5] Kerala CPM secretary asked us to adopt Bengal model of burying people alive in Kerala, says former MPJan 30, 2014, India Today

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