भारत में सात सप्ताह मनाने की समीक्षा
भारत में 7-सप्ताह के प्रवास के बाद, परिचित सीमाओं में, घर वापस आने में खुशी होती है। सात हफ्ते में बहुत कुछ वादा किया गया था, लेकिन एक भी पूरा नहीं हुआ सिवाय कैबिनेट फेरबदल के जिसमें महत्वपूर्ण मंत्रालयों की बागडोर वापिस से अपात्र नेताओं के पास ही रह गयी ।
चिदंबरम बेटा – पापा जोड़ी
कार्ती अधिकारियों को उल्लू बनाने की कोशिश कर रहें हैं | Twitter के नागरिकों को धमकी देते रहते हैं, ये कहते हुए के मैं कोई भी देश की सीमा को पार कर सकता हूँ, और मेरी सम्पत्ति 6L करोड़ है!
उनके सबसे बड़े दावे में से एक यह है कि उनकी संपत्ति का नेट मूल्य 6 लाख करोड़ (9 3 अरब डॉलर) है और उन्हें दुनिया में कहीं भी जाने के लिए पासपोर्ट की आवश्यकता नहीं है। सौभाग्य से इसके विवेचन के बदौलत एक लुकआउट परिपत्र (एलओसी) जारी हुआ और कार्ती हर अदालत में इस को चुनौती देते रहते हैं।महंगी वकीलों पर खर्च करने के लिए बहुत पैसा है इनके पास जबकि एक गरीब देश बेहतर कल की उम्मीद में संघर्ष कर रहा है ।
मोदी जी, अब वक़्त आ गया है की इस कल के नवाब के झांसे का खुलासा किया जाए ।
इनका दूसरा दावा है कि वर्तमान सरकार में कुछ उच्च और शक्तिशाली लोगों को नीचे लाने के लिए उनके पास पर्याप्त सबूत हैं । चिदंबरम का वर्तमान शासन पर भारी असर है जिसके कारण सरकार २४ घंटों में आम आदमी तक पहुंचाई जानेवाली सुविधा में भी मंदगति महसूस कर रही है । मोदी जी, अब वक़्त आ गया है की इस कल के नवाब के झांसे का खुलासा किया जाए । मेरा विश्वास कीजिये की इस “सी परिवार” के राजनीतिक प्रतिशोध की गुहार पर जनता कोई सहानुभूति नहीं दिखाएगी, उल्टा कुछ दिवाली की पटाखे ही छूट जाएँ ।
अजय सिंह कौन हैं ?
राजधानी में कि स्पाइसजेट के अध्यक्ष, अजय सिंह,द्वारा एनडीटीवी खरीदे जाने के बारे में (100-280 करोड़ रुपये की लागत में ) अफवाह चल रही है, जबकि भारतीय प्रतिभूति बोर्ड बोर्ड (सेबी) शेयर की हेरफेर, एक शेल कंपनी आदि के लिए स्वामित्व के संदिग्ध हस्तांतरण के ठोस सबूत प्रदान किए जाने के बावजूद भी संपूर्ण रूप से निष्क्रिय है । बताया जा रहा है कि हमें गौर करना चाहिए कि एक विशेष अधिकारी (ओएसडी) ने इतना धन अर्जित कर लिया कि वह स्पाइसजेट खरीद सकता है, और इसे मारानों को बेचकर फिर इसे एक क्षण में ही वापस भी खरीद लेता है ।
जैसा शेरलॉक होम्स का कहा है कि जब बाकी सब कुछ समाप्त हो जाए, तो जो भी शेष रहता है, हालांकि यह कितना भी असंभव लगे, वह सत्य होता है – यह सच है कि श्री अजय सिंह कुछ राजनेताओं के लिए बेनामी हैं, और शायद उनमें से कुछ वर्तमान कैबिनेट में भी हों । श्री मोदी जी, यह समस्या मौजूदा सरकार के शरीर में कैंसर के समान है, और इसका तुरंत ही निष्कर्ष निकलना होगा । जैसा कि हिंदुस्तानी में कहते हैं, अकलमंद को इशारा ही काफी होता है, कौन आपके कैबिनेट में वास्तविक शक्ति का इस्तेमाल कर रहा है, यह स्पष्ट है, ठीक 70 के दशक नायक की तरह, जिसे सभी दर्शकों में उसकी प्रेमिका और मां के सिवाय कोई भी नहीं पहचान पाता था ।
जिस देश में जीएसटीेेएन रूकती है
जीएसटी की बुनियाद, अप्रस्तुत जीएसटीएन मंच के परिणाम की चेतावनी मैंने इसके ऑनलाइन आने कि कई माह पूर्व ही दे दी थी। जीएसटीएन एपीआई (एफ़ेस प्रोवाइडर इंटरफेस) की सेवा प्रदान करने वाली साइटों पर एक त्वरित नज़र डालते ही यह बहुतायत से स्पष्ट होता है कि यह सॉफ्टवेयर रोलआउट के लिए तैयार नहीं है।इससे बड़ा सवाल यह उठाता है – इन्फोसिस ने सरकार द्वारा साइट विकसित करने कि लिए दिए गए 1400 करोड़ रुपयों का क्या किया ? यूपीए -2 की निवर्तमान सरकार ने यह सुनिश्चित किया था कि जीएसटीएन का स्वामित्व निजी संस्थाओं के स्वामित्व में हो (जिनमें से कई यूपीए-2 के वित्त मंत्री के वफादार मिनियन थे ), साथ ही साथ यह भी सुनिश्चित किया गया था कि 24.5% की भागीदार केंद्र अपनी पूरी अदायगी कर दे । वर्तमान वित्त मंत्री ने अपने पूर्ववर्ती मंत्री के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि केवल एक निजी संस्था ही दैनिक रूप से होने वाळी हजारों प्रक्रियाओं को संभाल सकती है । भारत अपने वित्त मंत्री के रूप में सिर्फ वकीलों का ही चयन क्यों करता है? भारत माता ने इस क्रूर दंड के लिए क्या क्या ही किया है ? इससे भी महत्वपूर्ण बात, श्री मोदी जी ,आपकी सरकार में वास्तविक वित्त मंत्री कौन हैं?
यह कुछ समस्याएं हैं जो हमारे देश के सामने हैं ।यूपीए -2 कम से कम अगले ५० सालों तक सत्ता में आने के योग्य नहीं है। लेकिन मौजूदा सरकार द्वारा स्वयं के लिए निश्चित किये गए लक्ष्य ने इसे कमजोर बना दिया है और इसे जल्द ही सही दिशा में संचालित करने की आवश्यकता है नहीं तो यह एनडीए-1 के रास्ते पर जा सकती है। (जो कुछ के लिए तो चमक रहा है लेकिन वास्तव में किसी और के घर को जला रहा है।)
Note:
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