विश्व हिंदू परिषद की तब्लीगी जमात पर पूर्ण प्रतिबंध की मांग
इस्लामी समूह तब्लीग़ी जमात पर हाल में सऊदी अरब में लगे प्रतिबंध के बाद भारत में भी इस समूह पर प्रतिबंध लगाने की मांग उठने लगी है। देश की हिंदूवादी संस्था विश्व हिंदू परिषद ने भारत में इस समूह पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की है।
इस बारे में विश्व हिंदू परिषद ने गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार के हवाले से संस्था के ट्विटर हैंडल पर एक प्रेस रिलीज़ जारी की।
इस रिलीज़ में आलोक कुमार ने सऊदी अरब सरकार के फ़ैसले का स्वागत करते हुए तब्लीग़ी जमात को ‘इस्लामी कट्टरपंथ की फ़ैक्ट्री’ और ‘वैश्विक आतंकवाद का पोषक’ क़रार दिया है। इसलिए यह संस्था न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए गंभीर संकट बन गया है।
वीएचपी का आरोप है कि अमेरिकी ट्रेड सेंटर पर हुए हमले, गोधरा में 59 हिंदुओं को ज़िंदा जलाने और स्वामी श्रद्धानंद की नृशंस हत्या, ये सब मरकज़ की विचारधारा से जुड़ी रही है।
प्रेस विज्ञप्ति :
तबलीगी ज़मात पर भारत में भी लगे पूर्ण प्रतिबन्ध : @AlokKumarLIVE pic.twitter.com/ukEL9zhGG6
— Vishva Hindu Parishad -VHP (@VHPDigital) December 16, 2021
वीएचपी ने सरकार से तब़्लीग़ी जमात को लेकर चार मांगें सामने रखी हैं।
पहला ये कि भारत में तबलीग़ी जमात और उसके अनुयायियों के साथ इज़्तिमा पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए। उसने दूसरी मांग ये रखी कि निज़ामुद्दीन मरकज़ के भवनों और उसके बैंक खातों को तुरंत सील कर दिया जाए।
तीसरी मांग, इनके आर्थिक स्रोतों का पता लगाकर उसे बंद करने की है। आख़िरी और चौथी मांग है कि इन्हें समर्थन देने वाली दारुल उलूम देवबंद और पीएफ़आई जैसी संस्थाओं पर भी नकेल कसी जाए। आलोक कुमार ने कहा, “लोगों का जीवन संकट में डालने वाले तब्लीग़ी जमात के आर्थिक स्रोतों का पता लगाकर इनके बैंक खातों, कार्यालयों और क्रियाकलापों पर भारत समेत संपूर्ण विश्व समुदाय द्वारा प्रतिबंध लगाया जाए। यह इस्लामी कट्टरवादी संगठन रूस समेत विश्व के अनेक देशों में पहले से ही प्रतिबंधित है।”
उन्होंने आगे कहा, “इसके बावजूद, सऊदी अरब सरकार के इस निर्णय का स्वागत करने के बजाय भारत की कुछ मुस्लिम संस्थाओं के विरोध से आतंक-पोषण में उनकी भूमिका स्वयं स्पष्ट कर दी है। वास्तव में इस संस्था का असली जन्मदाता दारुल उलूम देवबंद (उत्तर प्रदेश के सहारनपुर स्थित) ही तो है।”
रिलीज़ में कहा गया कि 1926 में निज़ामुद्दीन से शुरू इस संस्था को हरियाणा के मेवात में धर्मांतरण कराने से ताक़त मिली और आज यह विश्व के 100 से अधिक देशों में फैल चुका है।
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